नीलम भागी
नहा कर हम लंच के लिये निकले और बिल्कुल स्थानीय कोंकण स्वाद के रैस्टोरैंट में गये । हम किसी भी नियम कायदे से नहीं ऑर्डर करते थे कि थ्री कोर्स मील हो या फोर कोर्स। रबर की चप्पल पहने घूमते रहते, जहाँ सड़क किनारे नारियल पानी पिया, कभी उसी से पूछ लिया कि किस दुकान की क्या चीज मशहूर है। वहीं पैदल पैदल खाने पहुँच गये। बाकि हमारा घुमक्ड़ संघ हमें मैसेज़ करता रहता था कि कहाँ पर क्या मशहूर है। किसी भी खाने के स्वाद ने हमें निराश नहीं किया। हमने वरन भात का आर्डर किया। वो तो दाल चावल आ गये फिर साबूदाने की खिचड़ी भी ऑर्डर की। ताजा कसा नारियल तो तकरीबन सब में पड़ता है। लौटे तो सो गये। उठते ही मैंने अंकूर से कहा कि मुझे यहाँ की टूरिस्ट बस में घूमने जाना है। वो बोला,’’कैब ले लेते हैं, कल सब चलते हैं।’’मैं बोली,’’बस में अलग अलग जगह के लोग होंगे, गाइड से सुनने को कहानियाँ मिलेंगी, मैं तो उसमें ही जाना चाहती हूँ।’’ अंकूर ने चुम्मू से पूछा,’’माँ के साथ जाना है या मम्मा पापा के साथ।’’ वो बोला,’’नीनो के साथ।’’अंकूर उसी समय स्कूटी लेकर चुम्मू के साथ टिकट लेने चला गया। आया तो चूम्मू बड़ा ही खुश, बोला,’’नीनो कल हम दोनों घूमने जायेंगे।’’ उसके खुश होने का एक सबसे बड़ा कारण था कि मैं उसे किसी बात से रोकती नहीं क्योंकि कभी कभी तो मेरा बेटे के घर जाना होता है। मैं सिर्फ उसे लाड करती हूँ और न ही किसी को कुछ कहने देती हूँ। मेरे साथ जाने की खुशी में वो सुबह एक ही आवाज में उठा, श्वेता ने जैसे जैसे कहा करता गया। यहाँ किचन की सुविधा से चाय दूध जब दिल करे बना लेते।
महाभारत में गोवा का ज़िक्र क्गोपराष्ट्र गाय चराने वाले राष्ट्र के रूप में मिलता है। गाय सुनते ही चुम्मू ने मुझे गाय दिखा दी क्योंकि मैं ध्यान से सुन रही थी, वह खिड़की से बाहर देख रहा था।