दिवाली की रात को उत्कर्षनी और राजीव जी का अमेरिका से शुभकामनाओं का फोन आ गया था. उनके यहां 12 घंटे बाद दिवाली है. यह फोन उनकी छोटी दिवाली का था. साथ ही दित्या का सोकर उठने का वीडियो था, दिवाली की बधाई देते हुए. कुछ देर में राजीव जी ने दित्या का फोटो भेजा, जिसमें वह नीले रंग की पोशाक पहनकर दिवाली के लिए तैयार है, फूल, झुमके, माला, अंगूठी, हेयर बैंड, पहने और हाथ में पर्स लटका रखा है. मुझे देखकर बहुत हंसी आई. उत्कर्षनी की परेशानी भी समझ आई. जब भी उसके लिए नया कपड़ा त्यौहार पर लो, वह उसी समय पहन लेती है. न पहनाओ तो रोती है, बच्चों के पास एक ही अस्त्र होता है रोना, जिसे वह शस्त्र की तरह इस्तेमाल करता है. अब दिवाली को भी नई ड्रेस चाहिए. उत्कर्षनी को फोन पर पूछा. उसने जवाब दिया, "एक नई ड्रेस इसको दिखाए बिना रखी हुई है, पता नहीं साइज आएगा कि नहीं अगर इसको ट्राई करवा कर लेती, तो यह वह भी पहन लेती वह कल पूजा से पहले निकालूंगी." अभी उसकी परिवार की फोटो आई है. देखकर मेरा मन खुश हो गया. आपको भी अपनी खुशी में शामिल करना चाहती हूं और अपने प्रवासी परिवार के लिए शुभकामनाओं की भी उम्मीद करती हूं.💐
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