चूम्मू बीच की गीली रेत में लोट लगाता था, पानी से निकलता ही नहीं था। मार्था से कह कर हम उसको शाम का दूध अदरक उबलवा कर पिलाते थे। लेकिन हम खाना, चाय अलग अलग जगह पर जाकर खाते पीते थे। हमने देखा कोंकण खाने में कहीं कहीं महाराष्ट्र और कर्नाटक का पुट है। शायद पड़ोस का असर है। चाय के साथ हमने देबली खाई। आज जो हमें नेवरी एक दुकान से मिली, वो आटे की थी उसमें भरावन गुड़, कसा नारियल, मेवा था शेप तो वही गुझिया जैसी थी पर स्वाद बिल्कुल अलग. मसाले वाला अनानास तो कहीं भी मिल जाता था. हम डिनर तक घूमते ही रहते थे. हमारा गोवा पर्ल आफ ईस्ट कहलाता है। खूबसूरत बीच सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं इसलिये विदेशी पर्यटक यहाँ खूब आते हैं। उनको देखना भी बहुत अच्छा लगता था। अंकुर तो नानवेज़ खाता है। उसके लिये सी फूड की भरमार थी। श्वेता और मैं हर मील में नया वेज ट्राई करते थे। आज हमने चूम्मू के लिये लाइफ जैकेट खरीदी। रात हो गई थी पर उसने उसे पहन कर रट लगा ली कि बीच पर चलो। बड़ी मुश्किल से उसे समझाया कि सुबह चलेंगे। रात हमने भाखरी(चावल के आटे की रोटी) के साथ टैण्डर कोकोनट की सब्जी खाई, गज़ब का स्वाद था। सोलकढ़ी पीकर तो मजा ही आ गया। सोलकढ़ी में कोकम और कोकोनट मिल्क पड़ता है। जहाँ इतनी स्वादिष्ट पीने को सोलकढ़ी हो, वहाँ सॉफ्टड्रिंक का क्या काम भला, मेरा ऐसा मानना है। थके हुए थे, आते ही सो गये। सुबह टन टन की आवाज से नींद खुली। जल्दी से बाहर आई। एक कूड़ा उठाने वाली गाड़ी रूक रूक कर चल रही थी। उस पर दो आदमी खड़े थे। लोग जल्दी जल्दी अपने घरों से डस्टबिन ला कर उसे देते जाते थे, वे गाड़ी में खाली कर के उन्हें लौटाते जाते थे। तब मुझे समझ आया कि यहाँ उत्तम कूड़ा निस्तारण के कारण जगह जगह कूड़े के ढेर नहीं हैं। आज हमें जल क्रीड़ाओं के लिये प्रसिद्ध बागा बीच जाना था। जल्दी नाश्ता किया और पहुँचे। यहाँ अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों की अधिकता के कारण अतिथी देवो भव की भावना साफ नजर आ रही थी। यानि जहाँ से रेत शुरू होती थी, वहाँ से पतली नारियल की जटा से बनी टाट पट्टी गीली रेत तक जाती थी। यानि गर्म रेत से उनके पैर न जले। चुम्मू में लाइफ जैकेट पहन कर गज़ब की फुर्ती आ गई। बार बार उसे लहरों से पकड़ कर लाना पड़ता था। दुकानदार ने बेचते समय जो जो कहा था, उसमें उसे ये समझ आया कि पीली जैकेट उसकी रक्षा करेगी इसलिये वो कुछ भी कर सकता है। अंकुर श्वेता चुम्मू को छोड़ कर जल क्रीड़ा पैराग्लाइडिंग, वाटर स्कींग, वाटर सर्फिंग, स्कूट्रिंग के लिये जाना चाहते थे। मैंने कहा कि कपड़े बदल कर ,इसकी जैकैट ले जाओ, गीली रेत है ही इसके खेलने को। वो गये और उनके जाने के बाद, ये चुपचाप रेत से खेलता रहा, बीच बीच में मुझे देख लेता। अंकुर श्वेता आ गये। आते ही बोले,’’माँ आज अर्पाटमैंट में शिफ्ट होना है।’’हम चल दिये। मुझे और चुम्मू को अर्पाटमैंट
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Wednesday, 2 August 2017
जल क्रीड़ा, बागा बीच, सोलकढ़ी, भाखरी, टैण्डर कोकोनट की सब्जी, कूड़ा मैनेजमैंट Goa Yatra गोवा यात्रा भाग 4 नीलम भागी
चूम्मू बीच की गीली रेत में लोट लगाता था, पानी से निकलता ही नहीं था। मार्था से कह कर हम उसको शाम का दूध अदरक उबलवा कर पिलाते थे। लेकिन हम खाना, चाय अलग अलग जगह पर जाकर खाते पीते थे। हमने देखा कोंकण खाने में कहीं कहीं महाराष्ट्र और कर्नाटक का पुट है। शायद पड़ोस का असर है। चाय के साथ हमने देबली खाई। आज जो हमें नेवरी एक दुकान से मिली, वो आटे की थी उसमें भरावन गुड़, कसा नारियल, मेवा था शेप तो वही गुझिया जैसी थी पर स्वाद बिल्कुल अलग. मसाले वाला अनानास तो कहीं भी मिल जाता था. हम डिनर तक घूमते ही रहते थे. हमारा गोवा पर्ल आफ ईस्ट कहलाता है। खूबसूरत बीच सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं इसलिये विदेशी पर्यटक यहाँ खूब आते हैं। उनको देखना भी बहुत अच्छा लगता था। अंकुर तो नानवेज़ खाता है। उसके लिये सी फूड की भरमार थी। श्वेता और मैं हर मील में नया वेज ट्राई करते थे। आज हमने चूम्मू के लिये लाइफ जैकेट खरीदी। रात हो गई थी पर उसने उसे पहन कर रट लगा ली कि बीच पर चलो। बड़ी मुश्किल से उसे समझाया कि सुबह चलेंगे। रात हमने भाखरी(चावल के आटे की रोटी) के साथ टैण्डर कोकोनट की सब्जी खाई, गज़ब का स्वाद था। सोलकढ़ी पीकर तो मजा ही आ गया। सोलकढ़ी में कोकम और कोकोनट मिल्क पड़ता है। जहाँ इतनी स्वादिष्ट पीने को सोलकढ़ी हो, वहाँ सॉफ्टड्रिंक का क्या काम भला, मेरा ऐसा मानना है। थके हुए थे, आते ही सो गये। सुबह टन टन की आवाज से नींद खुली। जल्दी से बाहर आई। एक कूड़ा उठाने वाली गाड़ी रूक रूक कर चल रही थी। उस पर दो आदमी खड़े थे। लोग जल्दी जल्दी अपने घरों से डस्टबिन ला कर उसे देते जाते थे, वे गाड़ी में खाली कर के उन्हें लौटाते जाते थे। तब मुझे समझ आया कि यहाँ उत्तम कूड़ा निस्तारण के कारण जगह जगह कूड़े के ढेर नहीं हैं। आज हमें जल क्रीड़ाओं के लिये प्रसिद्ध बागा बीच जाना था। जल्दी नाश्ता किया और पहुँचे। यहाँ अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों की अधिकता के कारण अतिथी देवो भव की भावना साफ नजर आ रही थी। यानि जहाँ से रेत शुरू होती थी, वहाँ से पतली नारियल की जटा से बनी टाट पट्टी गीली रेत तक जाती थी। यानि गर्म रेत से उनके पैर न जले। चुम्मू में लाइफ जैकेट पहन कर गज़ब की फुर्ती आ गई। बार बार उसे लहरों से पकड़ कर लाना पड़ता था। दुकानदार ने बेचते समय जो जो कहा था, उसमें उसे ये समझ आया कि पीली जैकेट उसकी रक्षा करेगी इसलिये वो कुछ भी कर सकता है। अंकुर श्वेता चुम्मू को छोड़ कर जल क्रीड़ा पैराग्लाइडिंग, वाटर स्कींग, वाटर सर्फिंग, स्कूट्रिंग के लिये जाना चाहते थे। मैंने कहा कि कपड़े बदल कर ,इसकी जैकैट ले जाओ, गीली रेत है ही इसके खेलने को। वो गये और उनके जाने के बाद, ये चुपचाप रेत से खेलता रहा, बीच बीच में मुझे देख लेता। अंकुर श्वेता आ गये। आते ही बोले,’’माँ आज अर्पाटमैंट में शिफ्ट होना है।’’हम चल दिये। मुझे और चुम्मू को अर्पाटमैंट
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