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Tuesday, 1 June 2021

समझदार बिल्ली.... नीलम भागी

  



हुआ यूं कि हमारे ऊपर के फ्लोर में फीनिशिंग का काम किसी कारणवश बंद कर दिया गया था। एक कमरे को पूरा करके मेरी बेटी उत्तकर्षिनी के पढ़ने के लिए तैयार कर दिया था। ग्राउण्ड फ्लोर में संयुक्त परिवार रहता है। कहीं से एक बिल्ली का बच्चा उसके पास आ गया। जब मैं रात को उसके रूम में सोने जाती तो मेरी आहट सुन कर वो छोटे से बिल्ली के बच्चे को कमरे से बाहर कर देती। मैं देख कर भी अनदेखा कर देती थी। क्योंकि अम्मा को बिल्लियों से बहुत चिड़ थी। मेरठ में गाय घर में रहती थी। जरा सी असावधानी से कोई बिल्ली दूूध, ताजा बना दी घी, ठंडा होनेे को रखा होता उसमें  में मुंह डाल जाती तो ढेरो दूध फैंकना पड़ता या कुत्ते ढूंढने पड़ते दूध पिलाने के लिए। उनका मानना है कि बिल्ली के शरीर पर परजीवी होते हैं जो बिमारी फैलाते हैं। बिल्ली भगाने के लिए कोई चीज उठा कर नहीं मारती थीं। क्योंकि दादी ने कह रखा था कि अगर बिल्ली मर गई तो मारने वाले को सोने की बिल्ली देनी पड़ती है तभी बिल्ली की हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है। बुर्जुगों ने चूहों से निजात दिलवाने के लिए ही ऐसा फैला रखा होगा। चूहे नुक्सान जो पहुंचातें हैं और बिल्ली चूहे खाती है। उत्तकर्षिनी का यह बिल्ली का बच्चा भी बड़ी समझदार! कई बार वह पढ़ाई में खोई रहती। मैं जाकर दरवाजे पर नॉक करती तो दरवाजा खुलते ही वह मुझे देखते ही बाहर निकल जाता। जब वह आई थी तो सर्दियां थीं। उत्तकर्षिनी उसे अपने कोट की जेब में बिठा लेती। जब खाने पीने नीचे आती तो उसकी जेब में बच्चा भी आ जाता। अम्मा देखते ही उसे बाहर निकलवा के उत्तकर्षिनी को अंदर आने देती फिर हाथ धुलवाती। बिल्ली बाहर आंगन में बैठी रहती। जब ये ऊपर जाती तो ये इसके साथ चली जाती। बड़ी होने पर वह समझ गई की उसे घर के अंदर नहीं जाना है। उत्तकर्षिनी विदेश चली गई। घर पूरा बन गया। ये घर में पता नहीं कहां रहती है? पालतू बिल्ली नहीं है इसलिये हमने इसका नाम भी नहीं रखा है। इसे बिल्ली कहते हैं। पर यह नीचे कभी घर के  अंदर नहीं आती। ऊपर सब जगह घूमती है। घर के चारों ओर लगे पेड़ों पर बैठे पक्षियों और गिलहरियों का शिकार करती है। पिछले आंगन में कभी यह आती थी। बंदरों के उत्पात के कारण वहां लोहे का जाल लगा दिया है। अब यह साल में एक या दो बार पिछले आंगन में जाती है फिर लगातार दायें बायें देखे बिना, दिन में कई बार जाती है। वहां लोहे की अलमारी और दीवार के बीच में जगह है। जहां यह बच्चे देती है। 6 साल तक तो पता ही नहीं चला कि यह बच्चे कहां देती है? जब छोटे छोटे बच्चे कभी एक दो या तीन आंगन में घूमते हैं तब पता चलता है ये क्यों पीछे जा रही थी! बच्चे जैसे ही जरा से संभलते हैं। अम्मा का काम बढ़ जाता है। वे अंदर न आएं इसलिए सबको हिदायत देतीं हैं कि पीछे के दरवाजे बंद रखो पर कोई न कोई खुला छोड़ ही देता है और बलुंगड़े पूरे घर में भागना शुरू कर देते हैं। 93वें साल में अम्मा डण्डी से डराते हुए इन्हें भगाती है। बच्चे शायद खेल समझते हैं।  बिल्ली जब आकर ये देखती है तो पीछे आंगन में जाकर आवाज करती है। बच्चे चले जाते हैं। उसके बाद ये बच्चों को ले जाती है। ये समझदार बिल्ली फिर अगले प्रसव के समय ही अंदर आती है। 




नीलम भागी