94 वर्षीय अम्मा गर्मी में सत्तू का शरबत पीती हैं। बरसात आते ही जो बचा हुआ सत्तू होता है, उसको पराठा बनाने में इस्तेमाल कर लेते हैं। पर इस बार मैंने उसकी बर्फी बनाने की कोशिश की। पहली बार में ही बहुत लाजवाब बनी इसलिए आपसे शेयर कर रही हूं।
एक कटोरी सत्तू, एक कटोरी घी, दो कटोरी चीनी या गुड़, एक कटोरी पानी और नारियल का बुरादा क्योंकि एक्सीडेंट के कारण मेरा एक हाथ अभी काम नहीं कर रहा इसलिए ड्राई फ्रूट मैं काट नहीं सकती। सत्तू चने को भूनकर बनता है इसलिए ज्यादा भूनने की जरूरत नहीं होती। कढ़ाई में मैंने आधा कटोरी से ज्यादा घी डाला। घी गर्म होने पर उसमें सत्तू डाल दिया और उसको कम आंच पर चलाने लगी। जब अच्छी तरह गर्म होकर महकने लगा, कितना गर्म?
कि उसे छुआ ना जा सके। गैस बंद कर दी। दूसरे बर्तन में एक कटोरी पानी में दो कटोरी चीनी या गुड़ डालकर उसमें अगर गुड़ लेंगे तो पिसी हुई सौंफ डालें, चीनी डालेंगे तो इलायची कूट कर डाली। चीनी या गुण उबलने पर, उबलते ही गैस बंद कर दी। अब इस चाशनी को भूने सत्तू में डालकर साथ ही नारियल का बुरादा मिलाकर चलाती रही। मैंने घी कम डाला है और दूसरे हाथ से कढ़ाई नहीं पकड़ सकती किस लिए धीरे-धीरे इसको चलाती रही । इस प्रोसेस में गैस नहीं जलानी है। जैसे-जैसे चाशनी ठंडी होती जाएगी। यह अपने आप गाढ़ा होता जाएगा और किनारे छोड़ देता है। अब इसे छोड़ कर, एक थाली में घी लगाकर तैयार कर लिया फिर इसको चलाया। इसमें से थोड़ा सा लेकर उसकी गोली बनाकर देखी। आराम से बनने लगी तो इस मिक्सचर को थाली में फैला दिया। कटोरी की उल्टी तरफ से फैलाते हुए चिकना कर लिया। आप चाहें तो इस पर कटा हुआ मेवा डालकर सैट करें। 1 घंटे बाद इस पर पसंद के पीस काटने का निशान लगा दिया। जल्दी काटना है कि मैं वहां rrr rr है कि आर और उसके बाद मैंने कहा ठीक हो रहीं हूं और वही बैठ गया और उसके तो फ्रिज में रख दे। वरना 4 घंटे के लिए बाहर ही जमने दे । निशान तो हमने पहले लगा दिए थे। अब पीस निकाल लिए। पहली बार में ही अम्मा को बहुत पसंद आई क्योंकि एक तो सत्तू की, दूसरा ड्राई फ्रूट ना डालने से उनको चबाने में दिक्कत नहीं और मुंह में घुल रही थी। मैं हलवाई तो हूं नहीं इसलिए मेरी बर्फी का आकार हलवाई जैसा नहीं है और ना ही मैंने कोई फूड कलर डाला है। लेकिन स्वाद लाजवाब है। आप घी कम ना करें मैंने हेल्थ के कारण कम किया है ।
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