मैं सफेद छोलों में भिगोते या उबालते समय थोड़ा सा मीठा सोडा डालती थी। फिर लोहे की कढ़ाई में छौंक लगाती तो वे काले हो जाते थे। अब सोडा नहीं डालती।
छोले धोकर कम से कम 6 घण्टे भिगोकर, उसी पानी में प्रेशर कुकर में दो चम्मच चाय पत्ती की पोटली बांध कर डाल देती थी। जैसी ही प्रेशर से सीटी नाचने लगती या एक सीटी बजने लगती तो गैस बिल्कुल स्लो करके सीटी का बजना रोक कर 25 मिनट तक मंदी आंच में पकने देती। बाद में गैस बंद करके प्रेशर खत्म होने पर चाय की पोटली निकाल कर, काले छोले छौंक देती।
फिर चाय की पोटली की जगह सफेद चने उबालते समय एक आंवला डाल देती। उबलने के बाद कुकर खोलते ही काले चनों में से आंवला निकाल कर फेंक देती। इसके लिए साल भर आवंला सूखा कर रखती हूं। कई बार आंवले के टुकड़े छोलों में बिखर जाते तो उन्हें निकालना पड़ता पर कुछ मुश्किल नहीं।
अब मैं अनार के छिलके बिल्कुल नहीं फैंकती। छोले उबालते समय अनार के छिलके का टुकड़ा उसमें डाल देती हूं। उबालने के बाद कुकर खोलते ही ऊपर छिलका रखा होता है उसे निकाल लिया। काबुली चने काले हो जाते हैं बिल्कुल मुफ्त में गज़ब की रंगत!!फिर छौंक दिए। ज्यादा काले करने हैं तो ज्यादा छिलका डाल दो। कम करने हैं तो कम। आधा किलो छोले में आधा अनार का छिलके से बिल्कुल काले हो जाते हैं बाकी इस हिसाब से आप बनाते समय डालें।
नीलम भागी