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Monday 18 March 2024

कटक की ओर रसगुल्ला मार्केट, उड़ीसा यात्रा भाग 9 नीलम भागी way to Cuttack Odisha Yatra Part 9 अखिल भारतीय सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह

 


उड़ीसा की राजधानी रहा कटक, मेरी इस यात्रा में नहीं था। काठजोड़ी और महानदी के मिलन स्थल पर बसे उड़ीसा की व्यवसायिक राजधानी कटक में, कई साल पहले जब हम इस प्राचीनतम कटक में आए थे तो यहां के पर्यटन स्थल नंदनकानन, जूलॉजिकल पार्क, बरबटी फोर्ट, श्री मां कटक चंडी मंदिर, नेताजी बर्थ प्लेस म्यूजियम, स्टेट बोटैनिकल गार्डन, महानदी बराज, उड़ीसा स्टेट मैरिटाइम, श्री श्री धवलेश्वर मंदिर, डियर पार्क, जोब्रा पार्क और विशेष महानदी मेरे ज़ेहन में बसे हुए थे और 'वे टू कटक  Way to Cuttack' देखते ही, मैं कटक की ओर चल पड़ी। क्योंकि भुवनेश्वर में इतना परिवर्तन और विकास देखा है मन में यही आया कि कटक कैसा होगा! जब मैं  1978 में  यहां आई थी तब मैं बीएससी की छात्रा थी। मोबाइल तो कल्पना में भी नहीं था और कैमरा भी नहीं था। जो भी देखा था और गाइड से सुना था, वह मन में बसा हुआ था। भुवनेश्वर से लगभग 30 किमी दूर है। इस मार्ग पर आते ही विकास नज़र आने लगा। चौड़ी साफ सुथरी सड़के, फ्लाईओवर, व्यवस्थित ट्रैफिक, नारियल के पेड़ के साथ हरियाली, रास्ता बहुत खूबसूरत! आना बहुत अच्छा लगा। रास्ते  में मंदिर देख, मैं दर्शन के लिए फिर गाड़ी से उतर गई। याद आया कि इस तरह तो मेरा पुरी जाना छूट जाएगा। बाहर से हाथ जोड़कर गाड़ी में बैठ गई। पर  रसगुल्ला मार्केट देखकर, मैं अपने को रोक नहीं सकी क्योंकि यह पहले नहीं था। मैं अकेली ही वहां जाती हूं। हर तरह के रसगुल्ले छेना पोडा की दुकाने थीं। सबसे ज्यादा मुझे आकर्षित किया! वह था, रसगुल्ला बहुत प्यारी मिट्टी की हांडी में देते हैं। हांडी के ऊपर चित्रकार की गई है और छेना पोडा नारियल के पत्तों से बनी हुई छोटी सी ढक्कनदार टोकरी में देते हैं। कई तरह के रसगुल्ला! रसगुल्ला तो वही, पर उनको पकाने के तरीके अलग-अलग थे आंच और पकाने के समय के कारण उनके सुनहरी रंग के शेड कई थे, तो लाजमी है स्वाद में भी फर्क होगा!   सिर्फ केसर रसगुल्ला में रंग केसर के कारण था। अब हम काठजोरी नदी के  बाजू में चल रहे हैं। बड़े-बड़े  मॉल, बहुमंजिला भवन, सड़के कटक की आधुनिकता को दर्शा रहे हैं। यह उड़ीसा का शहर राज्य की व्यवसायिक राजधानी है, जो अपने किलो, मंदिरों और हस्तशिल्प कला के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां का  पीपली गांव हस्तशिल्प कला के कारण जाना जाता है। भुवनेश्वर से यहां आने के लिए सार्वजनिक वाहन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट उत्तम है और सस्ता है। बस 20₹, ऑटो, शेयरिंग ऑटो40₹ आदि खूब चलते हैं। और हम प्राचीन भुवनेश्वर में प्रवेश कर रहे हैं।

भुवनेश्वर से कटक की ओर विकास https://youtu.be/7ByFDz73Vp4?si=nJb4GHdrdaevGVWI

 क्रमशः