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Saturday, 10 November 2018

मनचली गाड़ी का सफ़र!! कुछ नहीं कहने को है, खड़ी रही तो..........बिहार यात्रा Bihar yatra भाग 2 नीलम भागी

 कुछ नहीं कहने को है, खड़ी रही तो..........बिहार यात्रा भाग 2
                                    नीलम भागी
मैंने एक कर्मचारी से पूछा,’’गाड़ी के मोतीहारी कब तक पहुँचने का अनुमान है?’’उसने जवाब दिया,’’कुछ नहीं कहने को है, खड़ी रही तो, यहीं आधा घण्टा खड़ी रहेगी।’’उसका उत्तर सुन कर लगा कि गाड़ी है या मनचली! जब दिल करेगा चलेगी, जब दिल करेगा रूकेगी। खैर डिब्बा बहुत साफ सुथरा और सुन्दर था। बढ़िया डस्टबिन भी रक्खा हुआ था। जिसे भरने पर खाली भी किया जा रहा था। फर्श और टॉयलेट भी साफ थे और उसमें टॉयलेट पेपर भी रक्खा हुआ था। शायद गाड़ी नई थी, अगर उसमें गुटका, पान मसाला या तंबाकू थूका न गया तो बहुत सुन्दर रहेगी। सामने सीट की अत्यंत सुन्दर युवती का नाम इन्नमा था। उसे लखनऊ उतरना था। समय रात 9 बजे पहुंचने का था पर रेलवा के लक्षण देखकर नहीं लग रहा था कि वो रात दो बजे तक लखनऊ पहुँचेगें। उसके पति ने डॉ0 संजीव से कहा कि वे इन्नमा को अपनी लोअर सीट दे दें और उसकी मिडिल सीट ले लें क्योंकि वह प्रैगनेंट है। डॉ0 संजीव तुरंत सीट छोड़ कर उसके पति के पास जाकर बैठ गये। मैंने उसे कहा ,’’ तुम लेट जाओ।’’ वो बोली,’’मैं सात बजे नहीं सोती।’’ मैंने कहा कि मैं तुम्हें सोने को नहीं, लेटने को कह रहीं हूं। जब से घर से निकली हो, गाड़ी के इंतजार में बैठी या खडी रही हो। वो चादर ओढ़ कर लेट गई। मायके जा रही थी, बार बार उसके अम्मी अब्बू के फोन आ रहे थे। मैं और वो बतियाने लगे। नौ बजे सबने बिस्तर लगाया और सोने लगे। साइड सीट पर दो लड़कियां अपने ग्रुप से आकर सो गई। मैं भी मोबाइल में लग गई। बिहारी श्रमिकों ने वहीं अपनी सीट के पास ही कपडे बदले। पहले उतारे गए नये कपड़े, कच्छा बनियान पहने पहने ही कपड़े घड़ी करके (तह लगा कर)रक्खे फिर नये र्शाट्स और नई टी र्शट्स पहनी और सो गए। मैं बीच बीच में सो भी जाती। सुबह हुई अभी हम यूपी में ही थे। बड़े इंतजार के बाद गोरखपुर आया। इस समय दोनो साइड सीट की लड़कियां उठ कर बैठ चुकी थीं। उन्होंने मेकअप भी लगा लिया था। सीट न06 पर उनका एक साथी युवक आकर बैठ गया और वो आपस में बतियाने लगे। तमीज़दार  भाषा और अच्छी हिन्दी सुनने को मिल रही थी। लड़कियां जो भी खाने को देखती डिमांड करती, युवक उन्हें दिलवा देता साथ ही पहले खिलाये व्यंजनों को गिनवा देता। सुनकर वे खी खी कर हंस देतीं। वे कुछ भी खाने से पहले उस युवक से कहतीं,’’लीजिए, आप भी खाइए न।’’वह युवक बड़ी विनम्रता से जवाब देता,’’आप ही खा लीजिए, हमें कुछ भी खाते लैट्रिन लग जायेगी।’’ लड़कियां जवाब देतीं,’’लैट्रिन तो बिल्कुल साफ है।’’ उसने जवाब दिया कि उसमें पानी नहीं है। उनमें से एक लड़की ने कहाकि उसमें टॉयलेट पेपर तो हैं न। ये तो उनके लिए बहुत बड़ा मजाक बन गया। जिस पर वह हंसते हंसते लोट पोट हो गये। गाड़ी बघा पर रूकी तो चलने का नाम न ले। चली तो जाकर चमुआ पर तो अड़ ही गई। राह के स्टेशन साफ थे। कई जगह देखा कि सफाई कर्मचारी झाड़ू लगाते हुए कचरा इक्ट्ठा करने की बजाय रेल पटरी पर ही फैला रहे थे। शायद उनकी ड्यूटी में स्टेशन साफ करना होगा, पटरी साफ करना नहीं। नरकटिया के बाद बेतिया बड़ी देर में आया। एक सीन मुझे बहुत हैरान कर रहा था वह यह कि बीच में किसी भी जगह गाड़ी रूकती तो छोटे छोटे लड़के गले और हाथों में गुटके की पुड़ियों की माला लटकाये बेचने को आते। न कि चाय पकौड़े। पटरी के दोनो ओर फैली हरियाली मन को मोह रही थी। जमीन ऐसी कि मिट्टी दिखाई नहीं दे रही थी। किसी भी वनस्पति ने धरा को ढक रक्खा था। मोतिहारी से काफी पहले सुगौली स्टेशन पर, लगेज लेकर ए.सी. से बाहर आकर दोनो दरवाजों के बीच  ताजी़ हवा में मैं खड़ी हो गई। दोनो दरवाजों से दूर दूर तक हरियाली ही दिख रही थी। साथ ही मेरे दिमाग में ये प्रश्न भी खड़ा हो गया कि जहाँ की धरती
 इतनी उपजाऊ हो, वहाँ के लोग क्यों प्रवासी बनने को मजबूर हैं? और अब मैं मोतिहारी बापूधाम स्टेशन पर वही लोकगीत गुनगुनाते उतरी ’रेलिया बैरन, पिया को देरी से लाये रे।   
 


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4 comments:

डॉ शोभा भारद्वाज said...

यात्रा पढ़ कर सोच में पड़ बिहार की यात्रा आपके माध्यम से कर लू इतना सुंदर बिहार तें के यह हाल जबकि पूरे भारत में बिहारी फैले हैं बुध्दिजीवी वर्ग है ट्रेन के यह हाल आपके साथी यात्री की जेबें खाली करवाने वाली महिलाएं कल मी टू अभियान में शामिल न हो जाएँ दिलचस्प लेख अगले लेख का इंतजार पढ़ भी रही हूँ हँस भी रही हूँ

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद

Unknown said...

आपका लेख पढ़ कर ये लगा किआप यात्राओं का वर्णन बहुत ख़ूबसूरती से करते है।मुझे लगा कि आपके साथ मैं भी चुपचाप बैठी देख रहीं हूँ। आपने आज राहुल सांकृत्यायन जी की याद दिला दी।धन्यवाद अपनी यात्रा में मुझे भी शामिल किया।

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार💐