
अदम्य इस साल केजी कक्षा में आ गया। उसे अपने से पाँच साल बड़े भाई शाश्वत का जन्मदिन जुलाई में आता हैं। ये अब उसे समझ आ गया है। उस दिन अंकुर श्वेता माली की मदद से सोसाइटी में एक पेड़ शाश्वत से लगवाते हैं। माली को उसकी देखभाल का पैसा देते हैं, अपने जन्मदिन पर अपने हाथ से पेड़ लगाने से उस पेड़ से बच्चे को मोह रहता है।

इस बार अदम्य ने शाश्वत के जन्मदिन से एक दिन पहले ही पापा से पूछा,’’कल मेरा और भइया का पेड़ लगाना है। हमारा पेड़ कहां है?’’ कोरोना महामारी के कारण, मानसून में भी पौधे बेचने वाले नहीं आ रहें हैं। जैसे हमेशा इन दिनों में आते रहते थे। अंकुर ने समझाया, कोई माली ही नहीं आया। जब पौधे बेचने वाले आयेंगे, हम तब लगवा देंगे। अदम्य का जवाब,’’भइया के कितने पेड़ हो गए हैं। मेरा एक ही पेड़ है।’’श्वेता ने प्यार से खिलौनों की तस्वीरें दिखा कर कहा,’’आप इसमें से कोई खिलौना पसंद कर लो, हम मंगवा देते हैं।’’ अदम्य का जवाब, ’’नहीं मुझे पेड़ ही चाहिए।’’बच्चे के पास तो एक ही अस्त्र होता है वह है रोना और उसका रोना चालू हो गया। अंकुर का मुझे फोन आया,’’ कोई नर्सरी का पता दो और अदम्य की जिद बताई।’’मैंने हॉटीकल्चर डिर्पाटमैंट के अमित कुमार से नर्सरी के बारे में पूछा, उन्होंने सेक्टर आठ और सेक्टर तैतींस नर्सरी का पता बता दिया। सुन कर अंकुर तुरंत सोसाइटी के माली के पास गया और उससे अगले दिन छ पेड़ लगाने की जगह बनाने

