नौलखा मंदिर परिसर से स्थानीय श्रद्धालुओं से बतियाती मैं विवाह मंडप की ओर चल दी। नेपाल में जनकपुर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहां के राजा जनक थे। जो सीता जी के पिता जी थे। यह भगवान राम की ससुराल के नाम से विख्यात है। यहां की भाषा मैथिली, हिन्दी और नेपाली है। यहां पर अयोध्या से बारात आई थी और राम जी और जानकी का विवाह माघ शीर्ष शुक्ल पंचमी को जनकपुरी में संपन्न हुआ था। विवाह मंडप में जाने के लिए दस रुपए का टिकट लिया। परिसर के भीतर ही राम जानकी विवाह मंडप है। मंडप के खंभों और दूसरी जगहों को मिलाकर कुल 108 प्रतिमाएं हैं। जानकी मंदिर से सटे राम जानकी विवाह मंडप के चारों ओर छोटे छोटे ’कोहबर’ हैं जिनमें सीता राम, माण्डवी भरत, उर्मिला लक्ष्मण एवं श्रुतिकीर्ति शत्रुघ्न की मूर्तियां हैं।
मंदिर पगोड़ा शैली में बना हुआ है। सफाई उत्तम है। यहाँ आकर बैठना मुझे अच्छा लगता है। आप भी विवाह मंडप को देख सकते हैं। दिए गए लिंक पर क्लिक करके।https://youtu.be/Mx0DPMYVUbo
मदिर से बाहर आकर थोड़ा पैदल घूमी। दहीं लस्सी की दुकानों का नाम कृष्णा के नामों पर दिखे। रैस्टोरैंट में परिवार काम करता है। मसलन अंदर महिला पूरी बेलती है और बाहर पुरुष तलता है। स्वाद और सफाई से कोई समझौता नहीं। नेपाली मुद्रा में व्यंजनों के रेट लिखें हैं। हमारा 100रु यहाँ 160रु हो जाता है। पिंजरों में कैद पक्षी भी बिकते हैं। दुकानों के बीच में खाली जगह पर फलों सब्जियों और मिट्टी के बर्तनों की भी खरीदारी कर सकते हैं। ई-रिक्शा खूब मिलती है। उन पर जनकपुर दर्शन लिखा रहता है। ₹100 में वो आपको अच्छी तरह यहां के दर्शनीय स्थल घुमा देते हैं। यात्रा को काठमांडु जाना था। वहाँ चुनाव था इसलिए जाना स्थगित हो गया। यहाँ से हम सीतामढ़ी की ओर चल दिए।
जनकपुर से सीतामढ़ी 35 किमी. पूरब में एन.एच 104 पर भिट्ठामोड़ भारत नेपाल सीमा पर स्थित है। सीमा खुली है। अब हम अपने देश में आ गए हैं। भारत नेपाल का संबंध तो रोटी बेटी का है। दुकानों के नाम भी संबंध दिखाते हैं। मसलन भारत नेपाल साड़ी संगम! रामायण काल में मिथिला राज्य का यह महत्वपूर्ण अंग बिहार के उत्तर में गंगा के मैदान में स्थित यह जिला नेपाल की सीमा से लगा है। यहाँ की बोली बज्जिका है जो मिथिला और भोजपुरी का मिश्रण है। हिन्दी उर्दू राज काज की भाषा एवं शिक्षा के माध्यम की भाषा है। दिमाग में पौराणिक सुनी, पढ़ी कथाएं भी चल रहीं हैं। आँखें रास्ते की सुन्दरता, जगह जगह प्राकृतिक पोखरों को देख रहीं है। यहाँ हो रहे विकास का बालरूप भी देखने को मिल रहा है। उम्मीद है कि ये विकास युवा भी होगा। सीतामढ़ी सांस्कृतिक मिथिला का प्रमुख शहर एवं जिला है। यह हिन्दुओं का बिहार में प्रमुख तीर्थ एवं पर्यटन स्थल है जो लक्षमना(लखनदेई) नदी के तट पर स्थित है। अब हम फूलेहरा की ओर जा रहे हैं। क्रमशः