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Monday, 31 March 2025

अमर उजाला का हार्दिक आभार नीलम भागी



जिस दिन से अमर उजाला शुरू हुआ है, अम्मा मेरठ से उसकी पाठक रही।  नोएडा शिफ्ट इस  शर्त पर हुई थी कि यहां उनकी गाय गंगा जमुना रह सकेंगी और अमर उजाला मिलेगी। गंगा यमुना तो चोरी हो गई थी पर अमर उजाला उन्हें  96वें  साल में अंतिम सांस तक मिली। कोरोना काल में  मैंने उन्हें अमर उजाला के लिए दुखी देखकर सोशल मीडिया पर शेयर किया। उनके लिए  सेनीटाइज होकर अमर उजाला घर आती। कूड़ा गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर दीपक कल पूछ रहा था," यहां जो अम्मा अमर उजाला पढ़ती रहती थी। वह दिख नहीं रही!" जो भी शोक प्रकट  करने आता है, वह यह कहना नहीं भूलता अम्मा अखबार बहुत पढ़ती थी। क्योंकि गेट के सामने लेटी, बैठी  पढ़ती रहती थी। अमर उजाला ने उनका शोक संदेश निशुल्क प्रकाशित किया है।
हार्दिक धन्यवाद, नीलम भागी