जिस दिन से अमर उजाला शुरू हुआ है, अम्मा मेरठ से उसकी पाठक रही। नोएडा शिफ्ट इस शर्त पर हुई थी कि यहां उनकी गाय गंगा जमुना रह सकेंगी और अमर उजाला मिलेगी। गंगा यमुना तो चोरी हो गई थी पर अमर उजाला उन्हें 96वें साल में अंतिम सांस तक मिली। कोरोना काल में मैंने उन्हें अमर उजाला के लिए दुखी देखकर सोशल मीडिया पर शेयर किया। उनके लिए सेनीटाइज होकर अमर उजाला घर आती। कूड़ा गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर दीपक कल पूछ रहा था," यहां जो अम्मा अमर उजाला पढ़ती रहती थी। वह दिख नहीं रही!" जो भी शोक प्रकट करने आता है, वह यह कहना नहीं भूलता अम्मा अखबार बहुत पढ़ती थी। क्योंकि गेट के सामने लेटी, बैठी पढ़ती रहती थी। अमर उजाला ने उनका शोक संदेश निशुल्क प्रकाशित किया है।
हार्दिक धन्यवाद, नीलम भागी
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Monday, 31 March 2025
अमर उजाला का हार्दिक आभार नीलम भागी
Friday, 21 March 2025
अमर उजाला से लगाव! मेमोरी में अम्मा की पुरानी पोस्ट देखकर! नीलम भागी
96 वें साल में अम्मा का अमर उजाला से लगाव, जब से शुरू तब से इसे ही पढ़ती हैं। अगर कभी वेंडर दूसरी दे जाए तो वह गुस्सा करती हैं। मुझे बाजार से लानी पड़ती है। कोरोना के दिनों में मैंने यह शेयर किया, उन्होंने सेनीटाइज करके हमारे घर में अम्मा की पसंद अमर उजाला भिजवानी शुरू कर दी। लाल सिंह जी पहुंचा देते। 31 जनवरी को उनके अनुसार उन्हें यमराज लेने आ रहे थे, पर छोड़ गए।
तब से अम्मा थोड़ी कंफ्यूज सी हो गई है लेकिन शाम तक अपने कमजोर हाथों से बैठे हुए , लेटे हुए अपनी पसंद की अखबार पढ़ लेती हैं और प्रश्न बहुत पूछने लगीं हैं। मसलन पहले पेज पर ऐड देखकर पूछेंगी," इन सब ने सौ नंबर लिए हैं, जो इनका फोटो कवर पेज पर है!" मेरे बाजू में सोती हैं। उनके सोने के बाद रात को मैं उनके सिरहाने से अखबार हटाती । 9 मार्च से अम्मा ने अखबार नहीं पढ़ा क्योंकि वे ICU में हैं।
https://www.facebook.com/share/p/19u6vLBY9j/?mibextid=xfxF2i
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