Search This Blog

Showing posts with label Kongi Chinease Traditional Dish. Show all posts
Showing posts with label Kongi Chinease Traditional Dish. Show all posts

Tuesday 11 April 2017

काॅन्गी चाइनीज़ ट्रैडिशनल डिश, लेडीज मार्किट, तुंग चोई स्ट्रीट हाॅन्ग काॅन्ग यात्रा Hong Kong Yatra Part 7 नीलम भागी नीलम भागी

काॅन्गी चाइनीज़ ट्रैडिशनल डिश, लेडीज मार्किट, तुंग चोई स्ट्रीट हाॅन्ग काॅन्ग यात्रा भाग 7
                                                         नीलम भागी
गीता को लेकर चल तो मैं पड़ी, लेकिन रास्ता मुझे मालूम नहीं था। चाबी पर होटल का नाम था और ये पता था कि पास में ही है। एक कहावत सुनी थी कि पूछते पूछते तो इंसान लंदन भी पहुँच जाता है। पर मैं सड़कों के नाम पढ़ते हुए सात मिनट में होटल पहुँच गई। गीता अभी दूध खत्म कर ही रही थी कि उत्तकर्षिनी भी आ   गई। उसे देखते ही गीता तसल्ली से सो गई। हमने डिनर शुरू किया। मेरी वेज डिश थी, पोचड लैट्यूस विद सुपिरियर सोया साॅस, उत्तकर्षिनी बहुत अच्छी कूक है और कुछ नया करना उसका शौक है, स्वाद देने के लिये उत्तकर्षिनी ने उसमें नूडल भी डलवाये। उसमें ओएस्टर साॅस, बनाने वाले ने अपनी खुशी से डाल दिया। पहला चम्मच तो मैंने निगल लिया, दूसरा मुहँ में डालने की मेरी हिम्मत ही नहीं हुई। उत्तकर्षिनी ने कांग पो स्टाइल प्राॅन स्वाद से खाई और मैंने हांग कांग स्टाइल टोस्ट विद पिनट बटर एण्ड कंडैस मिल्क, काॅफी के साथ। खाते ही हम जल्दी से सो गये। उठते ही मैं ब्रेकफास्ट के लिये गई। एक स्लिप पर लिखा था ’ काॅन्गी चाइनीज़ ट्रैडिशनल डिश’, जिसकी कई वैराइटी थी। मैंने शाकाहार के हिसाब से प्लेन काॅन्गी विद कान्डीमैन्ट्स ली। ये चावल से बनती है। चावल को इतना पकाया जाता है कि दाना दिखाई नहीं देता समझ लो चावल की मांड इसे बोल में लेकर, साथ में कई वैरायटी के नमकीन होते हैं, उनमें मिला कर खाते हैं। नानवेज वाले इसमें मांस मछली के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े डाल कर, सूखी मछलियां डाल कर , आचार, बारीक कटी प्याज, हरी, लाल मिर्च और सोया सॉस के साथ खा रहे थे। नाश्ता करके  मैं रूम में गई, गीता सो रही थी। उत्तकर्षिनी तैयार थी, उसने घूमने जाने की पूरी तैयारी कर ली थी। दूध की बोतल भी तैयार थी। वह ब्रेकफास्ट के लिये चली गई। मैंने गीता के मुहं में बोतल लगा दी और तैयार होने लगी। उत्तकर्षिनी के लौटने तक हम दोनो तैयार थीं। आज हमारा बस से जाने का प्रोग्राम था, लैंचू लिंक व्यू प्वाइंट, शिंग मा ब्रिज, नैन व्यूलिंग पार्क और उसमें हांग कांग का राष्ट्रीय पुष्प और प्रतीक चिन्ह बौहनिया ब्लैकिना देखा फिर आर्कषक हाॅलीवुड रोड।
  गीता को बस यात्रा पसंद नहीं आ रही थी। वो ट्रेन ट्रेन का जाप करने लगी। कारण ट्रेन में जाते ही उसकी प्रैम फोल्ड कर देते हैं। गीता खुशी से घूमती रहती है। ट्रेन से बाहर के दृश्य भी तो दर्शनीय है। कहीं भी पानी, पुल और हरियाली दिखते हैं। हांग कांग दक्षिणी चीनी सागर में 236 द्वीपों का समूह है। जिसमें मुख्य हांग कांग द्वीप, कोलून व न्यू टेरेटेरीज चीन की मुख्य भूमि और न्यूटेरेटेरीज के बीच शाम चुन नदी बहती है। लैन्चू द्वीप यहाँ का सबसे बड़ा टापू है। यह एक प्रमुख व्यापारिक बंद्रगाह था। हम फिर टेªन से लौटे और स्टेशन से मैप देखते हुए पैदल पैदल लेडीज मार्किट पहुँचे, जैसा कि नाम है यहाँ सभी दुकानों को महिलायें चला रहीं थी और जम कर बारगेनिंग हो रही थी। यहाँ हमने खूब खरीदारी की।   तुंग चोई स्ट्रीट की महिलाओं की मार्किट तो मेरी आँखों में बस गई। सामान से नहीं उन महिलाओं की बेचने की कला के कारण। जहाँ आज मार्किट है वो पहले एक माॅन्क काॅक नामक गाँव था। 1924 में जब इसे डवलप किया गया, तो यहाँ की गलियों के नाम यहाँ उगने वाली सब्जियों के नाम पर रक्खे गये। इसका विकास रिहायश के लिये किया गया। 1960 में यह कमर्शियल सेंटर बन गया। 1970 के शुरू में अंर्तराष्ट्रीय तेल संकट के कारण बेरोजगारों को यहाँ स्टाॅल लगाने की परमिशन दी गई। जो आज अपनी क्वालिटी के कारण खरीदारों को अपनी ओर आकर्षित करती है। शाम को हमने हारबर में लाइट एण्ड साउण्ड प्रोग्राम देखने जाना था। सामान बहुत हो गया था। उसे रखने के लिये हम होटल की ओर चल पड़े। रास्ते में जिस खाने की दुकान पर भीड़ देखते, वहाँ से कुछ नया खाने को, बहुत ध्यान से पढ़ कर लेते। एक बहुत मशहूर दुकान से नारियल का ड्रिंक लिया, नाम नहीं याद आ रहा है जो बहुत स्वाद था। कुकीज़ की बहुत वैरायटी थी। मैं ज्यादातर कूकीज़ और चाय काॅफी ही लेती थी। उसका भी एक कारण है वो ये कि एक स्नैक्स की र्कानर की दुकान थी। वहाँ  वेज़ ओर नाॅनवेज़ भजिए तले जा रहे थे। उत्तकर्षिनी बोली,’’ माँ यहाँ के पकौड़े खाते हैं।’’मैं जिस साइड पर खड़ी थी, वहाँ से बनना दिखाई दे रहा था। एक पतीले में उसका घोल था। जिसमें वो वेज वा नानवेज़ दोनो ही डुबो के तल रहा था। ये देख मैंने कहा,’’बेटी, तूं अपने लिये ले ले मैं नहीं लूंगी।’’वो बोली,’’दोनो वैज ही खाते हैं।’’ मैं बोली,’’नहीं, तुम और गीता खाओ।’’ और न खाने का कारण बताया। सुनते ही वो तपाक से बोली कि परसों जो फ्राइड बिन्स खाई थीं, जिसे आप सोयाबीन के ग्रेन्यूल्स समझ के खा रहीं थी और बोल रहीं थी कि यहाँ के सोयाबीन का स्वाद अलग है। वो सोयाबीन नहीं पोर्क था।’’क क्रमशः