राजरानी को अगर कोई सुखी कर सकता था तो वो परशोतम का प्लॉट। उसने उसी लाइन में रहने वाली सुमित्रा को परशोतम के साथ प्लॉट बदलने को राजी कर लिया पर परशोतम राजी नहीं था। राजरानी ने मुझे सुमित्रा से मिलवाया कि हम दोनों मिल कर परशोतम का दिमाग साफ करें। पर मुझे तो सुमित्रा के व्यक्तित्व ने आकर्षित किया। कारण उस कॉलौनी में वह सबसे ज्यादा सोलह सिंगार में रहती है। मैंने राजरानी से पूछाकि ये हमेशा करवाचौथ की तरह सजी रहती है! राजरानी दुखी होकर बोली,’’क्या करे बेचारी! ऐसे रहना इसकी मजबूरी है।’’ मैंने पूछा,’’क्यों?’’उसने बताया कि इसका पति मुरारी बहुत बढ़िया ढोलक बजाता है। वो एक कान में बाली पहनकर बालों का गुच्छा माथे पर डाल कर, जुल्फों को झटके दे देकर ढोलक बजाता था। यहां एक लड़की बिन्नी मुरारी की अदाओं पर मर मिटी। मुरारी ने सुमित्रा से कहा कि मैं बिन्नी के बगैर नहीं जी सकता। सुमित्रा बहुत भली है। उसने कह दिया कि उसे घर नहीं घुसने दूंगी। वह बिन्नी को लेकर गांव के घर चला गया। सुमित्रा की एक मैडम के पति पायलेट हैं। उसने ये कहानी सुनकर सबसे पहले उसे ये मकान खरीद दिया कि धीरे धीरे चुका देना। मैडम जब फर्नीचर बदलती है तो सुमित्रा को ही देती है। ये इतना क्या करे! बेच देती है। काम के साथ उन्हें दो समय खाना खिलाने जाती है। इसके दोनों बेटे पढ़ रहें हैं। मैडम का एक ही बेटा वो भी विदेश चला गया। मैडम ने कह दिया कि मकान का पैसा पूरा हो गया है। दो समय बिना नागा मैडम के काम करने जाती है। मैडम भी घूमने गई हुई थीं। बच्चे बोले,’’ मां गांव चलते हैं बाबू को देख कर आते हैं।’’ उसके मन में भी उत्सुकता थी कि देख कर आउं कि कैसे रहता है? बढ़िया कपड़े पहन कर बड़े ठस्के से गांव गई। मुरारी तो भंग खाकर चारपाई पर पड़ा था। बिन्नी भिखारन सी लग रही थी। हाथ जोड़ कर सुमित्रा से कहने लगी,’’इसे ले जाओ , गांव में कहां ढोलक बजाने से कमाई! भंग खाकर पड़ा रहता है। मैं खेतों में मेहनत मजदूरी करके दोनों की दो जून की रोटी का बड़ी मुश्किल से जुगाड़ कर पाती हूं। बच्चे उसी समय बोले,’’ अम्मा घर चलो न।’’ सुमित्रा ने बिन्नी को जवाब दिया,’’वहां आस पास कोई भांग का ठेका नहीं है। जहां से भी लेने जायेगा, मोल की आयेगी और मैं भंगेड़ी को क्यूं रक्खूं।’’शाम तक वह वापिस अपने घर आ गये। तब से बच्चे कभी बाप का नाम नहीं लेते हैं। सुमित्रा ऐसे ही रहती है। उसका कहना है कि मेरी तो इज्जत का रखवाला बिछुए, सिंदूर चूडी आदि है। ये देख कर ,कोई कुछ पूछता ही नहीं है फिर लड़के बड़े हो ही रहें हैं। मैं समझ गई कि सुमित्रा की मैडम और कुमार राजरानी की इच्छा पूरी नहीं होने देंगे। राजरानी ने नोएडा में कोठी बना ली है पर इस प्लॉट ने उसकी खुशी भंग कर रक्खी है। चांदनी ढेरो मिठाई लेकर घर आई। परिवार मिलकर दीवाली की तैयारी करने लगा। पूजा के बाद से परशोतम मिठाई पर मिठाई खाता जा रहा था। खीर पूरी सब्जी़ तो खाई ही। हमेशा दीवाली के अगले दिन इन्हें मिठाई मिलती है। इस बार पहले ही मिली। उसे खुशी से खाता देख चांदनी को बहुत खुशी मिल रही थी। मोनू टोनू दिए और पटाखे जला रहे थे। देर रात वे सोए। क्रमशः