मेरे कपड़े तो सूखे नहीं थे। बहुत ठंड लग रही थी। खाना खाया। मैंने चादर लपेट ली और कंबल ओढ़ लिया। थोड़ी देर बाद दूसरी चादर बदल ली। कंबल ओढ़ कर उस पर ये सीली चादर फैला ली। धीरे धीरे ठंड भागती जा रही थी। हमारे आस पास की सीटों में एक लड़का बहुत ही अजीब हरकतें कर रहा था। मिडल सीट खोलने लगा तो मैंने कहा,’’हमारे ऊपर की 19 और 22 अपर सीट पर आप लेटो, सोओ।’’वो बोला,’’हम अपनी रिर्जव सीट पर ही लेटेंगे।’’मैं लंच कर चुकी थी। उसने मिडल सीट खोल ली। मैं भी ये सोच कर अपनी लोअर सीट पर लेट गई कि क्यों इसे नियम कायदे बताऊँ? क्या पता नाइट ड्यूटी से आ रहा हो। गुप्ता जी सब सहयात्रियों से मिल जुल कर 4 बजेे आए। उन्होंने अपना बैग हाथ में लिया, अब मैं निश्चिंत होकर सो गई। सोकर उठी तो मैंने और सामने साइड सीट पर बैठी जेठानी जी ने चाय पी। देवरानी भी आ गईं। अब हम चारों के बीच में ’आजकल बच्चों की शादी’ के विषय पर बहुत मजे़दार गोष्ठी शुरु हो गई। सबके प्रश्नों का जवाब गुप्ता जी दे रहे थे। चर्चा चलती ही जा रही थी। इतने में प्रवीण अपने बेटे को लेकर दादू के पास आ गया। मीटिंग डिस्पर्स हो गई। रात आठ बजे एक हमारी एक सहयात्री महिला, गुप्ता जी से बोली कि उसकी मिडिल सीट है। वह लोअर सीट चाहती है। गुप्ता जी ने तुरंत उन्हें अपनी सीट दे दी और वे उसकी सीट पर सोने चले गए। ये महिला खिड़की की ओर पैर करके रास्ते की ओर सिर करके सो गई। सुबह 5.30 पर हम जिसीडीह स्टेशन पर उतरे। स्टेशन पर हमें अपने सभी साथी मिले। मेरी फेसबुक मित्र महिमा शर्मा सबसे पहले मिलीं और अपनी दोनों बहनों जया गौड़ और पद्मा शर्मा से परिचय करवाया। पद्मा जी का व्यक्तित्व बहुत गरिमामय है और सफेद बाल उन पर बहुत फ़बते हैं। क्रमशः
बैजनाथ यात्रा भाग 1 https://neelambhagi.blogspot.com/2022/08/1-baba-baidyanath-dham-deoghar-yatra.html