हांग कांग मे
जिंजर ब्राउन शुगर चाय भारत जैसी थी। मैजिस्टिक ब्रांच बुद्धा विश्व में खुले
मैदान में बुद्ध की कांस्य प्रतिमा की ऊँचाई 23 मीटर और कमलासन व केन्द्र को जोड़ कर कुल ऊँचाई करीब 34 मीटर और वजन करीब 250 टन है। बुद्ध के मुख पर करीब 2 किग्रा सोना जड़ा है। मूयवू पर्वत की तलहटी से थ्येनथेन
बुद्ध की प्रतिमा तक जाने के लिये 260 पत्थरों की सीढ़ियाँ हैं। सबसे हैरान किया पूजा करने के तरीके ने लाइनों में
हवन कुण्ड की तरह आयताकार बड़े बड़े बर्तन लगे थे। गुच्छों में अगरबत्तियाँ
श्रद्धालु खरीद कर, हमारे देश की तरह
दूर से दिखने वाली बुद्ध की प्रतिमा की ओर विश्व से आए पर्यटक मुँह करके
अगरबत्तियाँ जलाकर भारत की तरह प्रार्थना कर रहे थे। अगरबत्ती की राख उन बर्तनों
में गिर रही थी। मैंने भी 260 सीढ़ियाँ चढ़ीं,
बुद्ध के दर्शन किये मुझे अपने पर गर्व होने
लगा! हमारे देश से फैला धर्म है। लोग बुद्ध को देख रहे थे और मैं उनके चेहरे से
टपकती श्रद्धा को देख रही थी। मेरा देश महान लेकिन मैंने पूजा, पूजा के स्थान पर ही की।
मकाऊ में हमें
पुर्तगाली रैस्टोरैंट मिल गया। उत्तकर्षिनी खोजती है कि उसके व्यंजन में बीफ न हो
और मैं नानवेज न हो। मैंने मैन्यू कार्ड खंगाला और एक कैप्सीकम डिश और एक साइड डिश,
बींस विद राइस आर्डर की। र्स्टाटर में ब्रैड के
स्क्वायर साथ में कई तरह के सॉस और मक्खन। मक्खन के स्वाद ने तो मुझे गंगा यमुना
के दूध से अपने हाथ से बनाये मक्खन की याद दिला दी। मेरी डिश थी लाल, हरी और पीली ऑलिव ऑयल में सौटे की पतली पतली
कटी नमकीन शिमला मिर्च, दूसरी डिश देखते
ही मेरे मुंह से निकला, अरे! ये तो हमारे
राजमां चावल हैं।
मकाउनिस की आस्था का प्रतीक, अमा टैम्पल गये। जो लगभग 1488 से बना प्राचीन, समुद्र की देवी, मछुआरों की रक्षक का देवी टैम्पल है। यहाँ भी मोटी मोटी पीली या रंगीन
अगरबत्तियाँ जला कर लोग, हमारी तरह हाथ
जोड़ कर प्रार्थना कर रहे थे। लेकिन जलाने की जगह फिक्स थी।
हिन्दू और बौद्ध
दोनों की आस्था है मुक्तिनाथ धाम में यह धाम यह दिखाने का एक आदर्श उदाहरण है कैसे
3800 मीटर की ऊँचाई पर नेपाल
में दो धर्म एक ही पवित्र स्थान को आपसी सम्मान और समझ के साथ साझा कर सकते हैं। क्रमशः
यह आलेख मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा द्वारा प्रकाशित इंगित पत्रिका के राष्ट्रीय संगोष्ठी विशेषांक से भारतीय जीवन शैली का वैश्विक रूप से लिया गया है। क्रमशः
यह आलेख मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा द्वारा प्रकाशित इंगित पत्रिका के राष्ट्रीय संगोष्ठी विशेषांक से भारतीय जीवन शैली का वैश्विक रूप से लिया गया है।