मेरा 15 दिन का विजिट था लेकिन गीता और दित्या की छुट्टी की वजह से और बेहद उनकी इच्छा से छ हफ्ते का प्रोग्राम बनाया। समान कुछ लाना नहीं था इसलिए तैयारी मुझे ज्यादा करनी नहीं थी। मुख्य मेरी बी पी की दवा थी जो मैंने पासपोर्ट के साथ पहले ही रख ली थी। KML फ्लाइट से मेरी 3.55 की 26 जून को इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली से मेरी फ्लाइट थी। मेडिकल इंश्योरेंस और टिकट आदि मेरी तसल्ली के लिए अंकुर ने देसी तरीके से समझा, सब 📌 अप कर दिया। यात्रा मुझे हमेशा से रेल द्वारा पसंद है पर यहां रेल नहीं जाती। मजबूरी में तो मैं फ्लाइट में जाती ही हूं। उत्कर्षनी मुझे फ़ोन पर समझाती, आपको कुछ नहीं करना, न ही सोचना। असिस्टेंट अंकुर से आपको ले लेगा और यहां मुझे हैंडओवर कर देगा। 25 की शाम को श्वेता ने कैब से मुझे मंगवा लिया। शाश्वत सामान के लिए मेरा इंतजार कर रहा था। घर जाते ही अदम्य बहुत गंभीर था उसने मुझे पूछा,"नीनो,आप गीता के पास तो हमेशा के लिए नहीं जा रही हो न!" मेरा जवाब न में सुनकर उसे बहुत तसल्ली हुई और वह मुस्कुराया। रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट मुझे जल्दी जाने की आदत है। अंकुर ऑफिस से आया। मुझे समझाता रहा, पानी पीते रहना फ्लाइट में, थोड़ा बहुत चलते रहना ताकि पैरों में जाम न हो। मैंने ज़िद करके 11 बजे ही घर से निकलवाया। इसका फायदा यह हुआ कि रात को 11:00 के बाद दिल्ली में ट्रकों की एंट्री होती है। जगह-जगह जाम मिल रहे थे। श्वेता गूगल पर रास्ता साफ देखने में लगी रही और अंकुर ध्यान से ड्राइविंग कर रहा था। खैर हम समय से एयरपोर्ट पहुंच गए। अंकुर असिस्टेंट के लिए चला गया। मैं गाड़ी में बैठी रही, श्वेता गाड़ी से बाहर खड़ी अंकुर का इंतजार करने लगी। क्रमशः