Search This Blog

Showing posts with label # Chottu Ram Kisan Mahavidhayaly Jind. Show all posts
Showing posts with label # Chottu Ram Kisan Mahavidhayaly Jind. Show all posts

Monday, 25 July 2022

परिषद के कार्यक्रम और भव्य कवि सम्मेलन भाग 5 नीलम भागी Part 5Neelam Bhagi


    परिषद के कार्यक्रम’ सत्र की मुख्य वक्ता प्रो. नीलम राठी ने परिषद के तीन अनिवार्य कार्यक्रमों सहित सामयिक कविता, संगोष्ठी, पुस्तक चर्चा आदि के सम्बन्ध में विस्तार से बात रखी। उन्होंने साहित्य संवर्धन यात्रा व परिषद द्वारा इनके प्रकाशन की बात बतलाने सहित साहित्य परिक्रमा की सदस्यता बढ़ाने व इसमें अपनी रचनाएँ भेजने का आवाहन किया। कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ. योगेश वासिष्ठ ने इस अवसर पर जानकारी दी कि हरियाणा में तीन नहीं अपितु प्रत्येक तिमाही आधार पर नव संवत्सर, व्यास जयंती, वाल्मीकि जयन्ती व वसन्त पंचमी के चार कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


परिषद कार्य विस्तार सत्र में राष्ट्रीय महामन्त्री ऋषि कुमार मिश्र जी ने बतलाया कि 27 राज्यों में परिषद की 695 इकाइयाँ कार्य कर रही हैं। प्रदेशों में प्रान्त, प्रान्त में ज़िला, तहसील व इकाई स्तर पर कार्य हो रहा है। देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी साहित्य संवर्धन यात्राएँ हुई हैं। प्रश्न चर्चा के दौरान प्रवास को भी कार्य विस्तार के लिए महत्त्वपूर्ण माना गया।


राष्ट्रीय प्रचार मन्त्री प्रवीण आर्य ने इस अवसर पर जानकारी दी कि इस वक्त परिषद कार्यकर्ता अपनी विदेश यात्राओं के दौरान वहाँ परिषद के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। वहाँ साहित्य परिक्रमा भी भेजी जाने लगी हैं, जिससे विश्व स्तर पर इसका प्रसार हो रहा है। इस दृष्टि से उन्होंने अमेरिका में सुनीता बग्गा के योगदान का विशेष उल्लेख किया।

रात्रिकालीन सत्र में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता ओज के सशक्त हस्ताक्षर हरियाणा प्रान्तीय अध्यक्ष प्रो. सारस्वत मोहन मनीषी ने की। हास्य-व्यंग्य की फुलझड़ियों तथा ओज की बुलंदियों के आरोहण-अवरोहण के स्वरों से युक्त सधा हुआ मंच संचालन डॉ मनोज भारत द्वारा किया गया। कवि सम्मेलन की शुरुआत डॉ. जगदीप राही द्वारा की गई सरस्वती वंदना से हुई। जय सिंह आर्य, हंस राज रल्हन, कर्मवीर तिगड़ाना, नाहर सिंह दहिया और डॉ सुरेश पंचारिया ने अपनी रचनाओं के माध्यम से दुश्मन पड़ोसियों को ललकारा तो अखिलेश द्विवेदी, सत्यपाल पराशर ओर महेंद्र सिंह सागर द्वारा प्रस्तुत की गई गजलों के अशआर भी खूब सराहे गए। डॉ. शकुंतला शर्मा, भारत भूषण वर्मा, अनूप अनजान, डॉ. कविता और मोनिका शर्मा के शृंगारिक प्रतीक भी सभी के कोमल भावों को उद्वेलित करने में सफल रहे। इस कवि सम्मेलन में 21 कवियों ने सहभागिता की। कवि सम्मेलन की सबसे बड़ी विशेषता उसका सरस होने के साथ-साथ चिंतनपरक और राष्ट्र जागरण के संदेश से युक्त रहा। हरीन्द्र यादव ने जब लोकछन्द माहिया में राष्ट्रीयता के प्रतीकों को पिरोया तो श्रोता झूमने को मजबूर हो गए। अधिक समय होने पर भी प्रो. सारस्वत मोहन मनीषी के स्वर जब मंच पर गूँजे तो श्रोता उत्साह से सराबोर हो गए। छोटी बहर की उनकी ग़ज़ल एक आँख रानी, एक आँख पानी। तृप्ति है बुढापा, प्यास है जवानी पर तो श्रोता साथ-साथ काव्य पाठ करने लगे।



   डिनर के बाद  हम  8 महिलाएं एक हॉल में सोने के लिए गईं। पर सोने की किसी को भी जल्दी नहीं थी। सत्र के बीच में ऋषि कुमार मिश्र जी ने परिचय तो सबका करवा ही दिया था। हमने ज़रा भी समय गवाएं बिना अंताक्षरी शुरू कर दी। कोई सोफे पर लेटा है,कोई गद्दे पर तो कोई खड़ा है। 4,4 की टीम में जबरदस्त मुकाबला हुआ। मजेदार बात यह कि एक भी गला बेसुरा नहीं था। डॉ शकुंतला शर्मा इस आयु में भी ने सधी हुई आवाज में गा रही थी और ऐसे ऐसे गीत निकाल रही थी कि जो किसी ने सुने ही नहीं थे। मैं गीतों की बहुत शौकीन हूं इसलिए मैंने सुने हुए थे। मोनिका शर्मा की तो आवाज बिल्कुल अलग तरह की  बहुत अच्छी है। एक श्रीमान शायद हाल के आगे से गुजर रहे होंगे, आवाज सुनकर अंदर आए, और बैठ गए, पर मुकाबला वैसे ही चलता रहा। इंदु दत्ता तिवारी कुछ जरूरी काम में लग गई तो वह सज्जन ने भी भाग लेना शुरू कर दिया। रात के 1:30 बजे वह बोले," अच्छा अब मैं चलता हूं।" तो सबने बस ओके कहा और वह चले गए। मैंने दरवाजा बंद कर दिया। मीनाक्षी गुप्ता ने पूछा," यह कौन था?"सब ने कोरस में जवाब दिया," पता नहीं।" फिर सब बोलीं कि हम तो सोचते रहे किसी का पहचान का होगा, कुछ देना या लेना भूल गया होगा। फिर सब खूब हंसी। मुकाबला फिर शुरू। डॉ. कविता और श्रुति शर्मा इन्हें तो कोई हरा ही नहीं सकता। दोनों अलग टीम में , लग रहा था कि कोई भी टीम नहीं हारेगी।  सुबह हो जाएगी तब विधु कालरा जी ने गेम समाप्त करवाया। मैं तो 3:00 बजे सो गई थी। 4:30 मेरी नींद खुली तो देखा ये तैयारी कर रही है जींद घूमने की क्योंकि 9:00 बजे से सत्र शुरू था तो मोनिका शर्मा, श्रुति शर्मा, डॉ. कविता  बाद में रुकने के बजाय पहले से   घूमने का काम करने को चल दीं ताकि सत्र से पहले आ जाए। हमारे लिए खूब तेज मीठे की चाय आ गई। उस चाय को  पीकर हमारे अंदर एनर्जी आ गई। अब हम पांचों की बतरस गोष्टी शुरू हो गई। ये गोष्ठी इतनी मनोरंजन थी कि फ्रेश होने जो भी जाता था फटाफट तैयार होकर आ जाता था ताकि वह कुछ मिस न कर दे। तीनों घूम कर आ गईं। अचानक पता चला कि कोई हाथ देखना जानता है। अब सबको अपने भविष्य की जानकारी लेनी थी तो उन सज्जन लेकर आ गई और सब ने नंबर लगा लिया । जिसका नंबर आता वह हस्त रेखा विशेषज्ञ के आगे अपना हाथ फैला कर जानकारी लेता। नाश्ता लग गया। डिनर से लेकर ब्रेकफास्ट तक जो हमारा आपस में सत्र चला था इसको क्या नाम दूं!



   अब 12 जून के पहले सत्र के लिए चल दीं। क्रमशः