झटपट बनाएं, तुरंत खाएं र्मिच का अचार
नीलम भागी
मैं आम का आचार हमेशा फॉक यानि कांटे से निकालती हूँ जिसके कारण आचार के साथ तेल नहीं आता। तेल और मसाले मर्तबान में ही रह जाते हैं।
आचार में डाले गए खड़े मसाले इस तेल को गजब का स्वाद बना देते हैं। आम के टुकड़े खत्म होने पर मैं इसे ऐसे र्बतन में पलट लेती हूं जो इस बचे तेल मसाले से आधा भरे। तीखी हरी र्मिच की डण्डी तोड़ कर धो कर, सूती कपड़े से पोंछने के बाद एक र्मिच के दो टुकड़े लम्बाई में करके फिर इन दोनों को आधा कर देती हूं। यानि एक र्मिच के चार टुकड़े। अंदाज से इतनी र्मिच चीर लेती हूं कि तेल वाले र्बतन में समा जायें। इन टुकड़ों मे थोड़ी सी पिसी हींग मिला नमक स्वादानुसार मिला देती हूं और नींबू के रस से गीला कर देती हूं। अब इन नमकीन र्मिच के टुकड़ों को तेल के र्बतन में जितने ज्यादा भर सकती हूं, भर कर ढक्कन लगा कर रख देती हूं। कुछ समय बाद तेल ऊपर तक आ जाता है। जब दिल चाहे
खाना शुरू ।
नीलम भागी
मैं आम का आचार हमेशा फॉक यानि कांटे से निकालती हूँ जिसके कारण आचार के साथ तेल नहीं आता। तेल और मसाले मर्तबान में ही रह जाते हैं।
आचार में डाले गए खड़े मसाले इस तेल को गजब का स्वाद बना देते हैं। आम के टुकड़े खत्म होने पर मैं इसे ऐसे र्बतन में पलट लेती हूं जो इस बचे तेल मसाले से आधा भरे। तीखी हरी र्मिच की डण्डी तोड़ कर धो कर, सूती कपड़े से पोंछने के बाद एक र्मिच के दो टुकड़े लम्बाई में करके फिर इन दोनों को आधा कर देती हूं। यानि एक र्मिच के चार टुकड़े। अंदाज से इतनी र्मिच चीर लेती हूं कि तेल वाले र्बतन में समा जायें। इन टुकड़ों मे थोड़ी सी पिसी हींग मिला नमक स्वादानुसार मिला देती हूं और नींबू के रस से गीला कर देती हूं। अब इन नमकीन र्मिच के टुकड़ों को तेल के र्बतन में जितने ज्यादा भर सकती हूं, भर कर ढक्कन लगा कर रख देती हूं। कुछ समय बाद तेल ऊपर तक आ जाता है। जब दिल चाहे
खाना शुरू ।