गीता और उत्कर्षनी से मिलते ही मैंने पूछा," दित्या कहां है?" उसने बताया कि आपका फोन आते ही हम घर से निकल कर एयरपोर्ट के पास इन एंड आउट में बैठ गए, यहां लॉन में बहुत अच्छी घास वगैरह है। ऊपर से प्लेन उड़ते दिखाई देते हैं। यहां बर्गर वगैरह लेकर लोग घास पर लेटे हुए जहाज़ की तस्वीरें भी लेते हैं। जैसे ही आपका इमिग्रेशन क्लियर होगा, आपका फोन मिलते ही हम चल पड़ेंगे। तब तक आप लगेज लोगी, हम आपको पिक कर लेंगे फिर सब दित्त्या के समर कैंप जाकर उसको सरप्राइज़ देंगे। आप लेट हो गईं! दित्त्या को लेने का समय हो गया था इसलिए राजीव निकले ही थे कि आपका फोन आ गया। एयरपोर्ट पर ट्रैफिक कम करने के लिए टैक्सी स्टैंड कुछ दूर है। यहां से फ्री बस, टैक्सी स्टैंड तक छोड़ कर आती है। हम तीनों बस से टैक्सी स्टैंड पर पहुंचे।
उत्कर्षिनी ने अपने पुराने घर के एड्रेस पर टैक्सी बुक की। अभी उसने नया घर शिफ्ट किया है। इस घर से 15 मिनट दूर नया घर है। यहीं से राजीव जी ने दित्त्या को लेकर निकलना है। आज गीता की तो छुट्टी करवा दी। वह घर सेटिंग़ में मदद कर रही थी। लेकिन 4 साल की दित्त्या नानी कब आएगी, नानी कब आएगी का जाप कर रही थी। किसी को काम नहीं करने दे रही थी इसलिए उसकी छुट्टी नहीं कराई थी। टैक्सी से उतरते ही उत्कर्षनी बोली," अरे दित्त्या का पलंग अब तक यहीं रखा है!" अच्छा खासा बढ़िया पलंग, उस पर सिर्फ पेड़ों के पत्ते गिरे हुए थे। वह बताने लगी कि नए घर में दोनों बहनों का कमरा एक है, जिसमें डबल बैड रख दिया है। यहां जिस चीज की तुम्हें जरूरत नहीं है, उसे घर से बाहर रख देते हैं। जिसके काम की होती है, वह ले जाता है। इसमें कोई संकोच की बात नहीं है।
इतने में राजीव दित्त्या को लेकर आ गए। मैं तुरन्त उसके पास जाकर बैठ गई । क्योंकि मुझे देखते ही वह अपनी सीट की बेल्ट खुलवाने की ज़िद करने लगी। उसने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया और हम सब घर की ओर चल दिए।
क्रमशः