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Sunday, 14 December 2025

पर्व त्यौहार एवं लोक परंपराओं का वैश्विक प्रभाव Global impact of festivals and folk traditions नीलम भागी Neelam Bhagi

 



अमेरिका प्रवास के दौरान मैंने जाना गीता दित्या के हम उम्र गैर भारतीय बच्चे होली दिवाली को भूले नहीं थे और आने वाले दिनों में हैलोवीन का इंतजार कर रहे थे। जिसमें बच्चे खुश तो परिवार भी खुश। मुझसे भी हैलोवीन तक रुकने का आग्रह किया गया। होली उनका प्रिय त्यौहार था। भारतीय त्यौहारों में कथाएं, पारंपरिक संगीत और नृत्य, स्वादिष्ट व्यंजन, परिवार और मित्रों का इक्ट्ठा होना मुख्य आर्कषण होता है। होली के रंग, दिवाली की रोशनी, दुर्गापूजा की भव्यता और गणेश चतुर्थी का उत्साह आदि प्रत्येक त्यौहार  के उल्लास को बढ़ाते हैं। डिजिटल युग ने हमारे त्यौहारों के वैश्विक प्रभाव प्रसार में क्रांति ला दी है। अब हमारे पर्व त्यौहार और लोक परंपराएं केवल स्थानीय उत्सव नहीं रह गए हैं वे दुनियां भर के लोगों को जोड रहें हैं। मसलन 

 The Spirit of India

The festivals

पहला फैस्टिवल सीरीज़ जो प्रमुख 12 भारतीय त्यौहारों को अंग्रेजी में, दुनिया के अंग्रेजी भाषा की ऑडियंस को ध्यान में रख कर बनाया गया, ताकि विश्व को हमारे त्यौहारों की जानकारी मिले। स्प्रिट ऑफ इंडिया- दा फैस्टिवलस् को राजीव खेरोर (प्रोड्यूसर, प्रैजीडेंट, जी़ एन्टरटेनमैंट एंटरप्राइजिज लिमिटिड) ने प्रोड्यूस किया था। भारतीय त्योहारों को डिस्कवरी चैनल ने, जो 190 देशों में देखा जाता है, 2015-2016 में प्रसारित किया। ये ऐेसा प्रोग्राम था जिसमें दिवाली, होली, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, बिहू  पोंगल, ओणम, रक्षा ं बंधन, मकर संक्राति, गणेश चतुर्थी, क्रिसमस और ईद, भारत में मनाए जाने वाले मुख्य त्यौहारों को भारतीयता की आत्मा के साथ दर्शाया गया है। इसका प्रत्येक एपिसोड, हर एक त्यौहार को समर्पित था। जिसे दुनिया भर में बहुत पसंद किया गया और सराहना मिली। आज देश दुनिया के पर्यटक ब्रज की लट्ठमार होली देखने आते हैं। विदेश में जहाँ भारतीय मूल के लोग अधिक हैं, वे मिलजुल कर मनाते हैं। पर्व त्यौहार एवं लोक परंपराओं का वैश्विक प्रभाव


  पहला फैस्टिवल सीरीज़ जो प्रमुख 12 भारतीय त्यौहारों को अंग्रेजी में, दुनिया के अंग्रेजी भाषा की ऑडियंस को ध्यान में रख कर बनाया गया, ताकि विश्व को हमारे त्यौहारों की जानकारी मिले। स्प्रिट ऑफ इंडिया- दा फैस्टिवलस् को राजीव खेरोर (प्रोड्यूसर, प्रैजीडेंट, जी़ एन्टरटेनमैंट एंटरप्राइजिज लिमिटिड) ने प्रोड्यूस किया था। भारतीय त्योहारों को डिस्कवरी चैनल ने, जो 190 देशों में देखा जाता है, 2015-2016 में प्रसारित किया। ये ऐेसा प्रोग्राम था जिसमें दिवाली, होली, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, बिहू  पोंगल, ओणम, रक्षा ं बंधन, मकर संक्राति, गणेश चतुर्थी, क्रिसमस और ईद, भारत में मनाए जाने वाले मुख्य त्यौहारों को भारतीयता की आत्मा के साथ दर्शाया गया है। इसका प्रत्येक एपिसोड, हर एक त्यौहार को समर्पित था। जिसे दुनिया भर में बहुत पसंद किया गया और सराहना मिली। आज देश दुनिया के पर्यटक ब्रज की लट्ठमार होली देखने आते हैं। विदेश में जहाँ भारतीय मूल के लोग अधिक हैं, वे मिलजुल कर मनाते हैं। जिसमें देश दुनिया के वहाँ रहने वाले प्रवासी और स्थानीय लोग भी शामिल होते हैं। इस तरह त्यौहार सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों को प्रभावित करता है। मैं वेस्ट हॉलीवुड गई। यहाँ भारतीय कम हैं तो भी वहाँ बीच पर महीने में वीकएंड पर, चार बार पर अलग अलग कंपनियों ने होली के त्यौहार का आयोजन किया। हिंदुओं के अलावा और लोग आते हैं तभी तो कार्यक्रम होते हैं। इन त्यौहारों की छुट्टी तो होती नहीं हैं इसलिए होली के दिन त्यौहार न मना कर लोगों की सुविधा अनुसार मना लेते हैं। जो लोग भारत नहीं आ सकते हैं, उनके लिए विदेशों में होली हो जाती है। जमकर रंग खेला जाता है, पारंपरिक व्यंजंन खाए जाते हैं। सेल्फी प्वाइंट होते है,ं रंग लगे लोग सपरिवार फोटो लेते हैं। सोमवार को दिवाली थी लेकिन उत्कर्शिनी ने रविवार को पार्टी रखी। वो बताने लगी कि दिवाली का त्यौहार तो पाँच दिन का होता है। तो इसमें तो वीकएंड आ ही जाता है। तब भी पूरा महीना अलग अलग घरों में दिवाली पार्टी चलती है। लंदन, न्यूयार्क और दुबई में उत्साह के साथ मनाते हैं। अमेरिकी व्हाइट हाउस में आधिकारिक दिवाली समारोह आयोजित किए जाते हैं। ओणम पर स्वादिष्ट भोजन ओणम सद्या का आनन्द उठाने के लिए लाइनों में लगते हैं। प्रोडृयूसर पूजा कोहली तनेजा परिवार क्यूपर्टिनों शहर में रहता है। क्यूपर्टिनों, विश्वप्रसिद्ध सिलिकॉन वैली के पश्चिमी छोर पर सांता क्रूज़ पर्वत की  तलहटी में स्थित है। कैलिफोर्निया का यह शहर एप्पल कम्प्यूटर इंक. और उच्च श्रेणी के पब्लिक स्कूलों के कारण मशहूर है। पूजा परिवार होली के त्यौहार का आयोजन करता है। दिन, मौसम और छुट्टियों के अनुसार तय किया जाता है। जब सबको सुविधा होती है इसलिए पूजा परिवार की होली का सबको इंतजार रहता है। होली भारत से बाहर भी एकता और खुशी का वैश्विक प्रतीक बन गया है। हिंदू धर्म की यही तो विशेषता है जो सब को धारण ही नहीं करती बल्कि इसमें लचीली व्यवस्था भी है। भारत में निश्चित दिन और विदेश में सुविधानुसार त्यौहार का आनन्द उठाया जाता है।  

संगीत के बिना उत्सव कैसा! विद्वानों का मानना है जो जनजातियाँ नाचती गाती नहीं-उनकी संस्कृति मर जाती है। पर्व उत्सवों का वैश्विक प्रभाव, सांस्कृतिक आदान प्रदान, पर्यटन आर्थिक विकास के माध्यम से स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है।  

नृत्य, गायन उत्सवों की शुरूआत भारत के मंदिरों में हुई थी। लेकिन अब देश विदेश से इन उत्सवों को देखने पर्यटक आते हैं।

सिंगापुर में श्राद्धों की तरह यहां पितरों की याद में घोस्ट फैस्टिवल मनाया जाता है। हमारे देश की तरह पूर्वजों को सम्मान दिया जाता है। सम्राट अशोक के पुत्र और पुत्री संघमित्रा भी बौध भिक्षु और भिक्षुणी थे। उन्होंने  बौध धर्म का प्रसार दक्षिण पूर्व एशिया तक किया। भारत की धरती से बौध ध्रर्म  मंगोलिया तक फैला। उस समय समुद्री यात्रायें करना आसान नहीं था। कई बौद्ध भिक्षुक तो रास्ते में समुद्र में ही डूब गए। बौध भिक्षु और भिक्षुणियों ने दूर दूर तक बौध ध्रर्म का प्रसार किया। जहां भी बौध धर्म (इनमें सनातन धर्म की परंपराएं भी मिश्रित हैं)का प्रभाव रहा है, वहां पूर्वजों को बहुत सम्मान दिया जाता है। पितरों की याद में ये पर्व मनाया जाता है। एक तरह से शरद का पर्व भी हैं। मान्यता है कि साल में एक बार र्स्वग नरक के दरवाजे खुलते हैं, और आत्माएं धरती पर आती हैं। इसे ओबोन कहते हैं। उनके स्वागत के लिए घर से बाहर  कंडील लगा कर रास्ता दिखाने के लिए उसमें दिया जलाया जाता है। शाकाहारी भोजन मंदिरों में या घर के बाहर रक्खा जाता है। सिंगापुर में साउथ ईस्ट खाने के रैस्टोरैंट हैं। उनके प्रवेश द्वार पर सजावट की गई थी। स्टेज़ पर बड़े बड़े मजीरों और ड्रम से संगीत बज रहा था। लोग शांत से बैठ कर सुन रहे थे। आगे की सीटें पूर्वजों की आत्मा.ओं के सम्मान में खाली रखी जाती हैं मान्यता है कि वे उन पर आकर, बैठ कर संगीत सुनतीं हैं। इसे यहां हंगरी घोस्ट फैस्टिवल कहते हैं। ये सातवें महीने की पंद्रवीं रात को होता है। इस महीने को घोस्ट मंथ कहते हैं। पित्रों का विर्सजन रात को किया जाता है। कागज की नाव में दिया जला कर पानी में बहाते है। आसमान में टिमटिमाते तारे और पानी में तैरते हुए दिए बहुत सुन्दर लगते हैं। मानना है कि रास्ते के अंधेरे मे ये दिए उन्हे राह दिखाते हैं। कहते हैं कि आत्माएं रात को सक्रिय होती हैं। उनकी शांति के लिए ये सब किया जाता है। हांग कांग में सबसे हैरान किया पूजा करने के तरीके ने नीचे लाइनों में हवन कुण्ड की तरह आयताकार बड़े बड़े बर्तन लगे थे। गुच्छों में अगरबत्तियाँ श्रद्धालु खरीद कर, हमारे देश की तरह दूर से दिखने वाली बुद्ध की प्रतिमा की ओर मुहँ करके जलाकर प्रार्थना कर रहे थे। अगरबत्ती की राख उन बर्तनों में गिर रही थी। आज यहां बुद्ध धर्म का प्रसार ही नहीं तथागत की मूर्तियां भी मन को मोहती हैं। मकाउ में समुद्र की देवी अम्मा टैंपल वहां पूजा करने के तरीके में भारतीय लोक परंपराओं की झलक भी दिखी।

ये त्यौहार और परंपराएं सांस्कृतिक आदान प्रदान के शक्तिशाली माध्यम हैं। इसमें सीमाओं का बंधन नहीं होता है। ये वैश्विक दर्शकों को आर्कषित करने के साथ साथ विभिन्न समुदायों के बीच समझ और प्रशंसा को भी बढ़ावा देते हैं। वे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भी बढ़ावा देते हैं जिससे संस्कृतियों को एक दूसरे से सीखने का अवसर मिलता है। इससे पर्यटन, आतिथ्य क्षेत्रों को भारी बढ़ावा मिलता है। त्यौहार स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों को अपने उत्पादों और सेवाओं को एक मंच प्रदान करते हैं, जिससे कला के इन रूपों का संरक्षण होता है। हस्तशिल्प का निर्यात, पारंपरिक भारतीय सामान, विशेष रूप से वस्त्र, मिठाइयाँ और हस्तशिल्प की मांग विदेशों में बढ़ जाती है। सामुदायिक पहचान और सामाजिक सद्भाव बढ़ता है। सोशल मीडिया और बॉलीवुड का तो त्यौहारों के प्रसार में बहुत बढ़ा योगदान है। जिससे उन्हें दुनियाभर में व्यापक दर्शक मिलें हैं और सांस्कृतिेक एकीकरण के अवसर पैदा हुए हैं। हमारी लोक परंपराएं, त्यौहारों की कथाएं और इस अवसर पर गाए जाने वाले लोक गीत जो मौखिक परंपरा से एक पीढ़ी से दूसरी तक पहुँचती थीं, अब हमारे पर्व, त्यौहार और लोक परंपराएं   स्थानीय उत्सव नहीं रह गए हैं उनका वैश्विक प्रभाव पड़ चुका है जो दुनिया भर के लोगों को जोड़ते हैं, आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं और सांस्कृतिक विविधता की सराहना को बढ़ावा देते हैं। 

 यह लेख प्रेरणा शोध संस्थान नोएडा से प्रकाशित पत्रिका केशव संवाद विशेषांक के दिसंबर अंक में प्रकाशित हुआ है