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कहीं पढ़ा था कि जो भाषा इस्तेमाल नहीं होती है वह 10 सालों में भूल जाती है. गीता जब अमेरिका गई तो हिंदी में ही बातचीत करती थी, लॉस एंजेलिस हॉलीवुड में रहते हैं. यहां हिंदी बोलने वाले परिवार मुझे तो कोई दिखाई नहीं दिया था. गीता अपना देश, बड़ा परिवार, मित्र, सब छोड़ कर गई थी. बाहर सबसे बात करने में सुविधा हो इसलिए उससे उत्कर्षनी राजीव हर वक्त इंग्लिश में ही बात करते थे ताकि स्कूल में वह बच्चों से घुल मिल जाए. धीरे-धीरे वह हिंदी बोलना बिल्कुल भूल गई. उत्कर्षनी राजीव जी को भी याद नहीं रहा. लेकिन कोरोना के बाद जब वह भारत घूमने आए. तब उन्हें महसूस हुआ कि गीता तो हिंदी बोलना भूल गई. जुबान टेढ़ी करके अमेरिकन एक्सेंट में इंग्लिश ही बोले. अब उन्होंने घर में हिंदी बोलना शुरू किया, तो गीता हिंदी समझ लेती है. उस समय उनकी मजबूरी थी. दित्या जब बोलने लगी तो उससे घर में हिंदी में ही बात की जाती है पर गीता उससे माँ पापा से अलग, इंग्लिश में ही बात करती है और बाहर जाने पर कोई हिंदी भाषी नहीं है तो इंग्लिश में ही बात करती है. लेकिन दित्या को यह पता है कि घर के अंदर जाते ही उसको हिंदी में बात करनी है और मैंने भी अमेरिका जाने की शर्त रखी थी कि मुझसे हिंदी में बात करेंगे. एयरपोर्ट से मुझे लेने गीता और उत्कर्षनी आए. मैं बातें करते हुए बोली, "अमुक जी, बहुत चतुर हैं." हिंदी न बोलने के कारण, गीता ने शुरू में कुछ औपचारिक शब्दों में ही बात की और प्यार में मेरा हाथ पकड़ कर ही बैठी रही. हिंदी न जानने के कारण बोल नहीं रही थी. एकदम बोली, " नानी चतुर मिंस? " उत्कर्षनी ने इंग्लिश में मीनिंग समझाया. पर मुझे अच्छा लगा यह हिंदी सीख रही है. उत्कर्षनी फ़िल्म कथा, स्क्रिप्ट, डायलॉग राइटर है तो उनके यहां हिंदी फिल्में बहुत देखी जाती हैं. गीता सब समझती है और मेरे लौटने से पहले मुझसे हिंदी में थोड़ा-थोड़ा बतियाने भी लगी. दित्त्या ने हिंदी में बात करके मुझे खुश करके दिया. वहां का समय 12 घंटे लेट है इसलिए मुझे 15 सितंबर की सुबह में उत्कर्षनी ने दित्त्या से हिंदी में बातचीत का वीडियो भेजा. बहुत मेहनत करती है उसके साथ हिंदी में सिखाने और बतियाने में.👍
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