प्रोफेसर ममता वालिया, प्रो. रजनी मान और मैं, हमने अधिवेशन स्थल से एक ऑटो किया और चल दिए व्हाइट टाइगर को देखने. दुनिया भर में मशहूर महाराजा मार्तंड जू देव व्हाइट टाइगर सफारी और चिड़ियाघर मुकुंदपुर, रीवा मध्य प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपने श्वेत बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह चिड़ियाघर सतना जिले में स्थित है, जो रीवा शहर से लगभग 15-किमी. दूर है। ऑटो वाले से हमारा ₹700 में आना जाना तय था. वहां पहुंचते ही देखा स्कूलों के बच्चे आए हुए हैं. उनकी खुशी से एक अलग सा माहौल था. टीचर उन्हें चुप रहने को कह रहे थे. वे लाइन में भी थे पर मुंह से खुशी से हंसने की खिलखिलाने की आवाज़े निकल ही रही थीं. चित्रों में दिखने वाले, वन्य जीव उन्होंने संजीव जो देखने हैं, शायद इसलिए! बस स्टैंड भी बहुत साफ सुथरे बने हुए थे. जिसमें बैठने की सीट्स थीं. बसे भी आ जा रही थी. यह 75 हेक्टर में फैला हुआ है, 25 हेक्टर सफारी क्षेत्र है. कुल सौ हेक्टेयर में फैला है.
चिड़ियाघर में प्रवेश शुल्क 25 रुपये प्रति व्यक्ति है, जबकि जंगल सफारी के लिए अलग से शुल्क लिया जाता है। आप साइकिल से जाएंगे ₹40, बैटरी गाड़ी से ₹60 है. मोहन व्हाइट टाइगर सफारी 100₹क. रजनी ममता जी टिकट के लिए गई. मैं अपनी आदत के अनुसार पता नहीं क्या देखती हूं! अब हम टिकट दिखाकर चिड़ियाघर में प्रवेश कर गए. अब शेर के पास जाकर सेल्फी तो ले नहीं सकते, पर उसका भी इंतजाम था. हम तीनों ने फोटो खींचे शेर के साथ. यह शेर पत्थर के थे. अपनी बैटरी गाड़ी में बैठे. वहां हमारे साहित्य परिषद उत्तराखंड के कुछ साथी आए. उनसे मैंने गुस्से में पूछा, " आप लोग ऑडिटोरियम की जगह यहां क्यों?" उनके नेता ने भी नकली गुस्से में जवाब दिया, " काका( श्रीधर पराड़ कर जी ) आप लोगों के बारे में पूछ रहे थे, हम पता लगाने आए हैं?" सब हंसने लग गए. लंच का समय था, लंच किसी ने करना नहीं था क्योंकि ब्रेकफास्ट बहुत हैवी किया था. घूमना भी गाड़ी में ही था इसलिए समय पर लौट भी जाना था. 😃 क्रमशः
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