इस बार मेरी फ्लाइट लंदन से होकर लॉस एंजेल की थी। पहली बार अमेरिका जाने पर जो लंबी फ्लाइट के कारण घबराहट थी, वह इस बार बिल्कुल नहीं थी। इसका कारण था, गीता दित्या का मोह। दित्या तो उंगली पर गिनती, कब मैं आऊंगी लेकिन उसकी उंगली बदलती नहीं थी, एक ही रहती थी। 10वें दिन तक मेरा पहुंचना, गिनती उसकी दस उंगलियों पर थी इसलिए वही ऊंगली मेरे पहुंचने तक थी। प्रीमियम क्लास थी, इसमें मैं 44 किलो सामान ले जा सकती, एक बड़े बैग में सामान रखा और एक हाथ का बैग लिया। रात 10:00 बजे हमें फ्लाइट के लिए निकलना था। अंकुर कहता रहा, जल्दी घर आ जाना। मैं कुछ न कुछ काम में उलझी रही। लेकिन खुश थी कि अपने समय से देने वाले आर्टिकल पूरे कर लिए। 7:30 बजे अंकुर का फोन आया मैं कैब भेज रहा हूं, पैकिंग तो मैंने कर ही रखी थी। कैब आ गई और मैं उसके घर चली गई। उसका वर्क फ्रॉम होम था। श्वेता मेरी फिर से पैकिंग करने लगी और मेरे बड़े लगेज़ का कुछ सामान निकाला क्योंकि उसमें 22 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए था यानी दो लगेज, एक एक 22 किलो का। वह अपने आप एडजस्ट करती रही। इन हैंड वाले को भी चेकिंग का किया। एक बैग मैं वैसे ही ले गई थी कि फालतू सामान इसमें छोड़ दूंगी. वह मेरे इन हैंड का बैग बना। पिछली अमेरिका यात्रा से पहले यात्रा में मेरी सेहत के हिसाब से श्वेता अंकुर समझाते रहे। लंबी फ्लाइट में कैसे कुछ-कुछ समय के बाद उठना है। इस बार हंस रहे थे। इतनी जल्दी दूसरी बार अमेरिका जा रही हो, अब तो आपको सब कुछ याद है। एयरपोर्ट पर पहुंचते ही असिस्टेंट को श्वेता ले आई। अंकुर मेरे साथ गाड़ी में ही रहा. अस्सिटेंट मुझे चेकिंग के लिए अमेरिकन एयरलाइंस में ले गया। उन्होंने कहा कि आपका लंदन तक की फ्लाइट ब्रिटिश एयरवेज में है। असिस्टेंट अमेरिकन एयरवेज की फ्लाइट के साथ का था। उसने मुझे वहीं पर छोड़कर पल्ला नहीं झाड़ा। मुझे ब्रिटिश एयरवेज के काउंटर पर छोड़ और दूसरे असिस्टेंट को बुलाकर लाया। मुझे उसे हैंडोवर किया। बस सुरक्षा जांच में ऐसा लग रहा था, मानो पंजाब में पहुंच गए हो। मेरी ट्रे में मेरा मोबाइल और पर्स था, दूसरी ट्रे में हैंडबैग जैकेट शॉल। आफ़ती मानसिकता के एक आदमी ने आफत के मारे ने, अपनी ट्रे को इस तरीके से धक्का दिया, शायद मशीन जल्दी-जल्दी ट्रे लेने लगेगी। मेरे मोबाइल वाली ट्रे गिर गई मोबाइल जाकर दूर पड़ा। मैं सकते में! आजकल के समय में विदेश जाते समय मोबाइल खराब हो जाए तो क्या हालत होती है! पर अंदर से एक पुलिस वाले ने उठाकर, मुझे दिया। मोबाइल ठीक था फिर मैंने उस व्यक्ति से कहा कि आपकी इस घटिया हरकत में मुझे कितनी परेशानी में डाल देना था! सब काम सिस्टम से हो रहा है। आपको आफत क्या है? फ्लाइट अपने समय से ही जाएगी। भारत से बाहर जा रहे हो सब काम लाइन से और तमीज से करने की आदत डालिये। सुरक्षा जाँच के बाद अस्सिटेंट मुझे बोर्डिंग गेट पर छोड़ गया और बोलकर गया कि फ्लाइट के समय आ जाएगा। मैंने उसे मना किया कि प्लेन में, मैं चली जाऊंगी क्योंकि मेरा इन हैंड सामान तो 2 किलो भी नहीं था लेकिन वह बोर्डिंग के समय आया। क्रमशः
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