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Wednesday, 3 December 2025

आपकी क्या राय है इस बारे में What is your opinion about this? 👍 नीलम भागी Neelam Bhagi

 


अदम्य  के जन्म के बाद घर की देख भाल के लिए गुड़िया दीदी आई. बर्तन झाड़ू, पोछा के लिए गुड्डो. मैटरनिटी लीव में श्वेता ने गुड़िया दीदी को बिल्कुल परफेक्ट कर दिया. वही गुड्डो से मन मुताबिक काम लेती. 5th क्लास में पढ़ने वाला शाश्वत अब डे केयर  की बजाय घर में रहने लगा. गुड़िया का एक फायदा बहुत रहा, उसने दोनों बच्चों को कमेरा बना दिया. जैसे वह गुड्डो से कहती, " कोने-कोने से कूड़ा निकालो". लेकिन अदमय  के हाथ में जब भी झाडू होता, वह कोने-कोने से कूड़ा निकाल देता. नीचे क्लिक करके वीडियो देखें.

https://www.instagram.com/reel/DRzhubakjoF/?igsh=b3pjeWhteWN5NG5m

गुड़िया के साथ डस्टिंग करना, मेथी आदि पत्तेदार सब्जियां तोड़ना, मटर छीलना बहुत अच्छे से सीख गया. अंकुर श्वेता कैमरे से देखते, मुझे भी दिखाते थे. मैं कहती, " इसको मना करो" श्वेता का जवाब होता, " मां बच्चों में बहुत एनर्जी होती है, प्यार करती है और साथ में इनको लगाए रहती है आप बैठी रहकर तो काम नहीं करवाती न,  काम भी तो सीख रहे हैं और इन्हें अच्छी आदत हो जाएगी." गुड़िया दीदी की शादी में अदम्य  तो बहुत रोया लेकिन जाने से पहले गुड़िया अपनी एक सहेली को अपनी जगह लगा गई. झाड़ू पोछा  बर्तन वाली तो समय-समय पर, गुड़िया बदल देती थी लेकिन घर की देखरेख वाली, गुड़िया के बाद एक ही रही. यह नई गुड़िया दीदी, न जाने कौन सी मैडम के घर से आई थी अंकुर श्वेता को सर मैडम बोलती है और बच्चों को कोई भी काम नहीं करने देती है. पहले की तरह ही सुबह 8:00 बजे आना, श्वेता के जाने पर चले जाना. कोरोना समय में वह  इनके पास 24 घंटे रही, श्वेता को तो बैंक जाना ही होता था . इस तरह छोटा भी चौथी  के फाइनल में आ गया. शाश्वत का दसवीं बोर्ड था श्वेता ने उससे पहले 2 महीने की छुट्टियां ले ली, घर में रही. उसने देखा बच्चे स्कूल से आकर कहीं भी बैग रखते थे, अपना लंच बॉक्स बैग से नहीं निकालते. यूनिफॉर्म भी इधर-उधर फेंक देते. गुड़िया इनकी स्टडी टेबल सब साफ करती, जूते चप्पल शू रैक  पर रखती, बैग से लंच बॉक्स निकलती. श्वेता को यह सब बहुत बुरा लगा कि बच्चे तो अपना काम खुद करना ही नहीं सीखेंगे. वह शाम को जब घर आती तो पूरा घर एकदम व्यवस्थित मिलता. उसने गुड़िया से कहा," तुम्हारा काम मैं दो भागों में बांट रही हूं. अबसे तुम सुबह 7:00 से पहले आओगी, अंकुर के जाने से पहले चली जाओगी कोशिश करोगी, सब काम पहले  हो जाए,  लेकिन शाम को मैं घर आऊंगी तो घर मुझे पहले की तरह व्यवस्थित मिलना चाहिए. शाम को तुम 5:30 आओगी बर्तन वाली भी आएगी  उसके बाद मैं भी आ जाऊंगी. काम सब वही होंगे. सुबह बच्चों का नाश्ता तुम ही बनाओगी." उसने पूछा, " दोपहर में लंच बनाने आऊंगी? " श्वेता ने कहा, " नहीं, सुबह बनाकर, फ्रिज में रख जाना. बच्चे स्कूल से आकर, अपने आप गर्म करके खाएंगे. तुम्हारी सैलरी वही रहेगी." अंकुर  देर से जाता है और रात को देर से आता है.  हफ्ते में 2 दिन तो कम से कम वर्क फ्रॉम होम करता है. उसे घर के काम करने की आदत है. वह बीच-बीच में ब्रेक में अपनी चाय कॉफी बना लेता है. सोमवार से शुक्रवार, ब्रेकफास्ट  टिफिन क्या ले जाना है, शाश्वत संडे की शाम को किचन में लिस्ट चिपका देता है. दीदी उसी के अनुसार तैयारी कर लेती है. जिस दिन झाड़ू पोछा बर्तन वाली नहीं आती, दीदी उसका काम करती है, श्वेता एक्स्ट्रा पैसा दे देती है. कभी दीदी छुट्टी करती है तो दूसरी सब्जी वगैरह काट देती है रोटी चावल बना देती है, अंकुर श्वेता बेस्वाद नहीं खा सकते इसलिए वे दाल, सब्ज़ी खुद बना लेते हैं. आज श्वेता ने फोटो भेजी कि अचानक दोनों नहीं आई. अदम्य बर्तन साफ कर रहा था और शाश्वत कुकिंग कर रहा था. श्वेता ऑफिस चली गई थी. थोड़ी देर में दूसरी फोटो आई बर्तन धुल गए और शाश्वत ने एग राइस बना लिया. शाश्वत जो भी बनता है, बहुत स्वाद! मसलन सैंडविच आमलेट, एग राइस और चावल आदि. श्वेता ने कहा, " इनको समझाऊंगी, बर्तन साफ करने के बाद टोकरी में उलटे रखते हैं ताकि पानी सुख जाए." अमेरिका प्रवास में मुझे जाते ही उत्कर्षनी ने कहा, " मां गीता को उसके काम करने देना क्योंकि यहां सब अपना काम खुद करते हैं इसको भी उसकी आदत रहेगी. " 👍