मेरी 94 साल की अम्मा सर्दियों में गुड़ की चाय बहुत पसंद करतीं हैं। उन्हें यह आदत हमारी नानी दादी से मिली है। उनके समय में सर्दी शुरु होते ही सुबह शाम एक पीतल का लोटा
चूल्हे से बाहर अंगारे निकाल कर उस पर रखा रहता था जिसमें गुड़, कुटा हुआ अदरक और चाय की पत्ती का पानी तीखा गर्म रहता था। जो भी घर में आता या घर से जाता, उसमें से आधा गिलास गुड़ की चाय का भरा जाता और भड़ोली(मिट्टी की हण्डिया जो अंगीठीनुमा चूल्हे पर रहती है। गाय भैंस पालने वाले घरों में इसमें मंदी आंच पर दूध कढ़ता रहता है।) से दूध मिलाया जाता था। लो जी इंस्टैंट गुड़ की चाय तैयार। पियो
अगर किसी ने कह दिया कि उस पर सर्दी का असर हो गया है या ठंड खा ली है। उसे रजाई में बिठा कर तुरंत गिलास भर कर ज्यादा अदरक, ज्यादा मीठी गुड़ की चाय पीने को दी जाती। गर्मागर्म चाय पीते ही रजाई ओढ़ कर सोने को कहा जाता है। पता नहीं सर्दी रजाई में से निकल कर कहां भाग जाती थी!!
कुछ लोगों को गुड़ की चाय बहुत पसंद है पर जब वे बनातें हैं तो चाय में दूध फट जाता है। ये देख कर उनका दिमाग भी फटने लगता है। लेकिन हम जैसे बनाते हैं उससे दूध नहीं फटता क्योंकि हमने नानी दादी का चूल्हेवाला तरीका जो अपनाया है।
एक पतीले में गुड़, कुटा अदरक पानी में डाल कर खौलाते हैं। जैसे ही ये खौलता है इसमें चाय की पत्ती डाल देते हैं और एक तरफ दूध उबालते हैं। पत्ती अच्छी तरह उबलने पर गैस बंद करके इसे कपों में छान लेते हैं अब इन चाय के कपों में उबलता हुआ दूध डाल कर पियो और पिलाओ। और मैं अपने को गुड़ की चाय बनाने की विशेषज्ञ समझने लगी। हुआ यूं कि ...
सर्दी में मैं श्वेता अंकुर के घर गई। श्वेता ने मुझसे पूछा कि ठंड में आई हो, चाय गुड़ की बना दूं। गुड़ की चाय सुनकर मैं खुश होते हुए बोली,’’हां गुड़ ज्यादा डालना।’’वो बढ़िया अदरक वाली चाय लाई साथ में जैगरी पाउडर।
अपनी इच्छानुसार तबियत से मैंने उसमें चम्मच से जैगरी पाउडर मिलाया और गुड़ की चाय का आनन्द लिया। मैंने इस तरह से गुड़ की चाय बनाने के तरीके की तारीफ़ की तो उसने बताया कि सर्दी में वह मेहमानों के लिए भी फीकी चाय बनाती है। साथ में चीनी और जैगरी पाउडर दोनों रखती हैं। ज्यादातर लोग चीनी की जगह जैगरी पाउडर लेना पसंद करते हैं। गुड़ की चाय पीने के बाद सब उससे इस मसाला चाय बनाने की रैस्पी पूछते हैं। उसकी मम्मी सुधाजी बहुत ही लाजवाब कुक है। उन्होने श्वेता को जैसा सिखाया वह वैसे ही गुड़ की मसाला चाय बनाती है।
इसके लिये वह जरुरत के अनुसार काली मिर्च, लौंग, हरी इलायची, अदरक और तुलसी के पत्ते कूट लेती है। वर्किंग है इसलिये सुबह वह मसाला तैयार कर फ्रिज में रख लेती है।
जब भी चाय बनाती है, उसमें से मसाला, चाय के पानी में डाल देती है। जब ये मसाला पेस्ट अच्छी तरह उबल जाता है तब चाय की पत्ती डाल देती है। पत्ती अच्छी तरह उबलने
पर उसमें दूध मिलाकर उबालती है। उबलने पर गैस बंद कर कपों में छान कर देती है सब स्वादानुसार इसमें जैगरी पाउडर मिला लेते हैं और गुड़ की मसाला चाय का आनन्द उठाते हैं।
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