मूली खाने वाले का डकार आस पास वालों परेशान करता है लेकिन मूली खाने से होने वाले फायदों को देखते हुए ये साल भर कच्ची पक्की, तीखी मीठी, सफेद हो या लाल खाई जाती है। मौसम के अनुसार इसका स्वाद बदलता रहता है। सर्दी में मीठी होती है और गर्मी में तीखी होती हैं। मूली उगाने का मुझे बहुत शौक है। इसके लिए मैं हाइब्रिड बीज मंगाती हूं। भुरभुरी मिट्टी तैयार करने के लिए 50% मिट्टी, 30% गोबर की खाद बाकि रेत और कोकोपिट मिलाती हूं। ग्रो बैग में भर कर अंगुली से एक इंच की गहराई में एक एक बीज डालती हूं। बीज पास पास ये सोच कर डालती हूं कि चार स्वस्थ पौधे छोड़ कर बाकि सब पौधों की भुजिया बना लूंगी। बीज बोने के बाद पानी दे कर ऐसी जगह रखती हूं जहां 6 से 8 घण्टे धूप मिले। 40 से 50 दिन में मूली निकालने लायक हो जाती है। गमला हरे पत्तों से भर जाता है। मेरे गमले में कभी मूली तैयार नहीं हुई। कारण घर में उगे मूली के पत्तों की भुजिया बहुत स्वाद बनती है। मुझसे मूली बनने का इंतजार नहीं होता।
मूली के पत्तों की भुजिया
मूली के पत्तों को अच्छी तरह से धोकर बारीक काटती हूं। बारीक कटा प्याज और हरी मिच। पैन में सरसों के तेल में अजवाइन प्याज का तड़का लगा कर, हल्दी पाउडर और पत्ते और नमक डाल कर पानी सूखने तक भूनती हूं और हरी मिर्च डालते ही गैस बंद कर देती हूं।
मूली के पत्तों और पालक का साग
मूली के पत्तों से दुगनी पालक, हरी मिर्च, अदरक सबको अच्छे से धोकर प्रेशर कूकर में डालती हूं। इसमें नमक मिलाकर गैस जला देती हूं। जब सीटी नाचने लगती है तब गैसे स्लो करके 1 मिनट बाद सीटी बजने से पहले गैस बंद कर देती हूं। जब ठंडा हो जाता है तब कूकर खोल कर इसे मोटा काट कर मिक्सी में पीस लेती हूं। साग पेस्ट को उसी पानी में मिला कर कूकर को गैस पर रख कर पीसे साग में थोड़ा थोड़ा सूखा भूना बेसन मिला कर चलाती रहती हूं। अपनी पसंद के अनुसार गाढ़ा होने पर बेसन मिलाना बंद कर गैस मंदी कर देती हूं। तले पर साग न जमें इसलिए बीच में चलाती रहती हूं और तड़का तैयार करती हूं इसके लिए तेल में जीरा भूनने पर लहसून लाल कर, प्याज डालती हूं। प्याज लाल होने पर बारीक कटे टमाटर डालती हूं और हल्दी और मिर्च पाउडर डाल कर तेल छोड़ने तक भूनती हूं। छौंक को साग में डाल कर गैस बंद।
मूली और पालक की भुजिया,
मूली के पत्तों को और पालक को अच्छी तरह से धोकर बारीक काटती हूं। बारीक कटा प्याज और हरी मिर्च भी काटती हूं। पैन में सरसों के तेल में लहसून प्याज का तड़का लगा कर, सुनहरे होने पर हल्दी पाउडर और कटे पत्ते और नमक डाल कर पानी सूखने तक भूनती हूं फिर हरी मिर्च डालते ही गैस बंद कर देती हूं।
मूली के परांठे, मूली का आचार, मूली का चुर्र, गोवर्धन पूजा में बनने वाली मूली मिक्स सब्जी और सलाद बनाने के लिए मूली सब्जी़वाले से लेती हूं। हर बार ये सोच कर मूली उगाती हूं कि इस बार घर की उगी मूली का स्वाद लूंगी।
1 comment:
शानदार जानकारी।मेरे ख्याल में मूली के और भी फायदे होंगे।
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