Search This Blog

Thursday 18 August 2016

कोडावा प्रदर्शन और प्राकृतिक सौन्दर्य का साथ Coorg Yatra Part 4 कूर्ग यात्रा Neelam Bhagi नीलम भागी




                                              
हल्की बूंदाबांदी चल रही थी और अंधेरा घिर आया था। दोनो ओर घने वृक्षों से घिरी पतली सी सड़क से हमारी गाड़ी गुजर रही थी। वही आवाज और मामूली बौछार वाली ठंडी हवा, जिसे हमने खिड़की बंद करके आने से नहीं रोका था क्योंकि हमें लगा कि ऐसी हवा शायद ही कहीं और हमें मिलेगी। अचानक गाड़ी रुकने से मेरी तंद्रा टूटी। अरे! ये क्या!! ये तो जंगल में मंगल। मेरी तो ये सरप्राइज यात्रा थी इसलिये मुझे तो कुछ पता ही नहीं था, जो घट रहा था, उसका आनन्द उठा रही थी। एक कर्मचारी छाता खोले आया उसने आकर गाड़ी का दरवाजा खोला और दूसरा हाथ में पकड़ा छाता मुझे खोल कर दिया। मैंने अपने बायीं ओर ये कहाँ आ गई मैं? के मनोभाव से नज़र दौड़ाई, वहाँ लिखा था विवंता बाई ताज। लाॅबी में प्रवेश करते ही मैंने शाॅल ओढ़ ली, न भी ओढ़ती तो चल रहा था। सामने कोडवा प्रदर्शक अपनी पारंपरिक वेशभूषा, वाद्ययंत्रों और अस्त्रों के साथ प्रदर्शन के लिये तैयार थे। किसी भी जगह की अपनी लोक संस्कृति और खानपान उसकी पहचान होता है। बैठते ही मेरे हाथ में काॅफी के लिये मशहूर, कूर्ग की गर्म काॅफी थी। जिसे पीते हुए मैंने कोडवा प्रदर्शन देखा। कूर्गी लोग मूल रुप से क्षत्रिय होते हैं। माना माना जाता है कि कूर्गी यूनान के महान राजा सिकन्दर की सेना के वंशज हैं। सेना में जाना इन्हें बहुत भाता है। कुछ समय पहले तक कूर्ग के हर घर से एक सदस्य भारतीय सेना में जरुर भर्ती होता था। इस लोक नृत्य में भी खुकरी हाथ में थी। शायद यहाँ कूर्गी लोगों को बंदूक रखने के लिये लाइसेंस आवश्यक नहीं होता। इस प्रदर्शन की सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि उसे दो साल की गीता ने भी मंत्र मुग्ध देखा और उसने कार्यक्रम समापन पर सबके साथ तालियाँ बजा कर सराहना भी की। फिर रोई, शायद उसे लगा कि जैसे टी.वी. मैं रिमोट से बंद कर देती हूँ, ये कार्यक्रम भी मेरे द्वारा ही बंद हुआ है। मैं उसे कलाकारों से मिलवाने के लिये ले गई। दर्शकों को जाते देख वो चुप हो गई और समझ गई कि कार्यक्रम संपन्न हो गया। हम बग्गी में बैठे और पेड़ों से घिरे एक विला में आ गये। दरवाजा खुलते ही खूबसूरत विला रोशनी से भर गया। सामने स्वीमिंग पूल, जिसे देखते ही मैं गीता के लिये डर गई, उसे स्वीमिंग का शौक बहुत है और सर्दी भी बहुत जल्दी पकड़ती है। घर पर तो राजीव वीकएंड पर उसे धूप निकलने पर स्वीमिंग करवाते हैं। लेकिन यहाँ तो जब चाहो स्वीमिंग और न करने देने पर!!! बच्चे के पास तो एक ही अस्त्र होता है, वो है रोना, जिसे वह शस्त्र की तरह इस्तेमाल करता है। साथ में आया स्टाॅफ नियम कायदे समझा रहा था। हमारे मोबाइल पर वाई फाई चालू कर रहा था। गीता सबसे बेख़बर, स्वीमिंग स्वीमिंग करके पूल में कूदने को हो रही थी। टी. वी. पर उसे र्काटून लगा दिया पर स्वीमिंग का जाप, नहीं बंद हुआ। उन्होंने बताया कि पानी का तापमान मेनटेन किया हुआ है और पारदर्शी कर्वड छत है। एक नम्बर देकर वो चले गये कि जब भी कहीं जाना हो, तो इस नम्बर पर काॅल करना, बग्गी आपको ले जायेगी। अब उनके जाते ही गीता और राजीव पूल में उतर गये। गीता कि किलकारियों से विला गूंज रहा था। खूब शोर मचा- मचा कर वह स्वीमिंग कर रही थी।    
    बुरी तरह थकने पर गीता पानी से बाहर आई। गीता मेरे पास लेटते ही सो गई। इसलिये हमने डिनर वहीं आॅडर कर दिया। मैं वेजीटेरियन हूँ और उत्कर्षिणी राजीव मांसाहार के शौकीन है। यहाँ लोग ज्यादातर मांसाहारी हैं। चिकन, मटन और ज्यादातर पोर्क बहुत शौक से खाते हैं। बाॅयल राइस, राइस रोटी और कोरी रोटी खाई जाती है। ये ड्राई फिश खाते हैं। साउथ है तो साउथ इंडियन खाना तो होगा ही।  क्रमशः 

1 comment:

Neelam Bhagi said...

वही आवाज और मामूली बौछार वाली ठंडी हवा, जिसे हमने खिड़की बंद करके आने से नहीं रोका क्योंकि हमें लगा कि ऐसी हवा शायद ही कहीं और हमें मिलेगी। अचानक गाड़ी रुकने से मेरी तंद्रा टूटी। अरे! ये क्या!! ये तो जंगल में मंगल।