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Tuesday, 1 January 2019

पतली कमरिया मटकाने से, हाय हाय हाय करने से 2023 आया! नीलम भागी Happy New Year Neelam Bhagi


                                                               नववर्ष के धमाल में मुझे तो 2022 के स्वागत में बजने वाले गानों से

लड़की के आँख मारने से, सैंया जी से ब्रेकअप करने से, गुलाबो के इतर गिराने से और इन पर ठुमके लगाने  से 

 महिला वर्ष की फीलिंग आ रही थी। जगह जगह पार्को में टीनएज लड़के लड़कियों ने सामूहिक नववर्ष मनाने का आयोजन किया हुआ था। जिसमें सबसे जरूरी था *म्युजिक| अगर वक्त पर डी.जे. वाले बाबू ने गाना बजाने से मना कर दिया यानि धोखा दे दिया तो कार के म्यूजिक सिस्टम से काम चला रहे थे। रैस्टोरैंट से खाना मंगा रखा था। बोनफायर का भी ठंड में इंतजाम किया था। माँ के लाडलों ने कभी घरेलू काम किये नहीं, अखबार की मशाल से लकड़ियां सुलगा रहे थे। जब अच्छे से नहीं सुलगतीं तो डिओड्रैंट की फुआर छोड़ी जाती। जिससे दुर्घटना भी घट सकती थी पर कोई परवाह नहीं। हाँ, डिओड्रैंट की कमी नहीं थी क्योंकि नाच नाच के कड़ाके की ठंड में भी पसीने से लथपथ थे। पर मज़ाल है जो पसीने की गंध आ जाये।
 दिल धड़काये, सीटी बजाए बीच सड़क पे, नखरे दिखाये सारे, ओ लड़की आँख मारे.....   
 दिल पे पत्थर रख कर मुंह पे मेकअप कर लिया, मेरे सैंया जी के साथ मैंने ब्रेकअप कर लिया.... फिर 
 सुरमा लगा के, लटें उलझा के, हाथ जिया पे मलमल, तेरे छज्जे के नीच खड़ें  हैं, फस गए जैसे दलदल  गुलाबो.....जरा इतर गिरा दो। ये तो गुलाबो से गुहार करने में लगे थे। इन्हें तो नाचते हुए पता ही नहीं चला कि कब नया साल आ गया जिसके स्वागत के लिए ये सारा आयोजन था। पता तब चला जब घर के लोग इन्हें बुलाने आए, ये कहते हुए कि जाकर सोओ, बहुत हो गया तुम्हारा नया साल।
इनसे बड़े कुछ युवाओं में तो नये साल को लेकर बहुत ही जोश था। वे नये साल का स्वागत शराब पीकर, गर्लफैंड के साथ नाचते हुए करना चाहते थे। इसके लिये उन्होंने पहले से ही वाइन शॉप पर लाइन में लग कर अपनी पसंद के दारू की ब्राण्ड खरीद ली थी। अगर उस समय वाइन नहीं मिलती तो उनके जीवन में नया साल भला कैसे आता!! एक दूसरे से अच्छा दिखने की होड़ में नई नई पोशाकें खरीदी गई। जेब की मजबूरी या डांस बार में जगह न मिलने के कारण, वे मिल कर सोसाइटी की छत पर पार्टी कर रहे थे और थिरक रहे थे। गाने वही दारू और दिलबर पर---- 
नी लाके तीन पैग बलिए, पौंदे भंगड़े गड्डी दी डिक्की खोल के ......
चढ़ा जो मुझ पर सरूर है असर तेरा ये जरूर है... 
हाय नखरा तेरा नी हाय रेटिड, गबरू नू मारे , मुंडे पागल हो गए नी, तेरे गिन गिन लक दे हुलारे...
 है जवानी तो इश्क होना है और नशे में जम कर नाचते हुए, जब नये साल को आये हुए काफी समय हो गया। तब घर वाले इन्हें लेने ऊपर जाते हैं. गाना बज रहा होता है, अभी तो पार्टी शुरू हुई है...। घर वाले गुस्से से फुंकारते हैं और नए साल में इन्हें कोसते हुए नीचे लाते हैं। 
          शाम से ही सज कर इधर के लोग उधर और उधर के लोग इधर, बेमतलब घूमते हुए सड़कों पर जाम लगा रहे थे।  गाड़ी की स्पीड केे साथ ही कानफोड़ू आवाज में गाना बजता जा रहा था...
 तारे गिन गिन याद च तेरी मैं ता जागां राता नूं हो..हो..हो..
 सड़कों पर वह सब देखने को मिल रहा था, जो आम तौर पर देखने को नहीं मिलता, मसलन कहीं साइड रोड पर अंधेरा कोना देखकर वहीं गाड़ी खड़ी करके, अंदर ही ठेका खुल जाता । मार्किट के बरांडे में रोज सोने वालों ने भी, नववर्ष की पूर्व संध्या पर जल्दी थैली पीकर, नशे में मार्किट के बंद होने का इंतजार किया। मां बाप घर में टी.वी. प्रोग्राम देखते हुए बच्चों का इंतजार कर रहे थे। अधिक रात होने पर चिंता में फोन करते तो उधर से आवाज आती
’जो दिल से लगे उसे कह दो हाय। जो दिल से न लगे उसे कह दो बाय। लव यू जिंदगी.... और स्वीच ऑफ।
 क्योंकि इस समय उनको किसी की नसीहत सुनना पसंद नहीं था।  इस तरह लोगों ने अपने अपने तरीके से नये साल का स्वागत किया था।
 पर 2021 आम दिनों की तरह कोरोना को कोसते हुए बीता| कही से भी आवाज़ नहीं आ रही थी *D J वाले बाबू जरा गाना बजा दे|
   हमारे यहां रात का कर्फ्यू था। नया साल 2022 तब भी आया|रात 11 बजे से अपने घर में  उसका स्वागत किया। मैंने श्रद्धा से भगवान को याद करते हुए इंतजार किया। सर्वे भवन्तु सुखिन।
इस बार थोड़ा बदलाव हुआ है। कुछ पैरेंट ने, न ही नए साल को कोसा न, न ही अपने बच्चों के इंतजार में नया साल मनाया। खुद ही घर में  आपस में मिलजुल कर पार्टी की।  जिसमें "जलेबी बाई "की म्यूजिक पर हल्के हल्के ठुमके लगाए गए।  युवाओं ने
पतली कमरिया मोरी हाय हाय
तिरछी नजरिया मोरी हाय हाय
 मैं बाजीगर मैं बाजीगर 
पूरी रात मैं खेला, विद डिफरेंट कैलिबर 
पर जमकर ठुमके लगाए और थक कर नए साल में घर आए।

10 comments:

Unknown said...

सही और सटीक चित्रण ...धन्यवाद ।

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार

डॉ शोभा भारद्वाज said...

सही चित्रण यही हाल है

Neelam Bhagi said...

Hard हार्दिक आभार

Unknown said...

वास्तविक समाज का चित्रण क्या इसका कोई समाधान भी है

सुरेश शर्मा said...

बहुत सुंदर चित्रण..

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद

Chandra bhushan tyagi said...

सटीक एवं सुन्दर विश्लेषण

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार

Ramesh Makharia said...

👍