नीलम भागी
दुबई में मेरे बाथरूम में एक चुहिया हाज़त रफ़ा करने आती थी। कभी-कभी दरवाजा खोलने पर मुझे दिखाई भी देती थी, मुझे देखते ही उसी समय डर कर भाग जाती थी और मैं उसकी मेंगनी पर पानी डाल कर बहा देती। एक दिन मेरी बेटी उत्कर्षिणी ने उसकी मेंगनी देख ली। उसने मुझसे पूछा ’’माँ यहाँ कोई चूहा है? मैंने कहा,’’ बेटी एक छोटी सी चुहिया आती है कभी-कभी।’’ उत्कर्षिणी गायब! सुनते ही थोड़ी देर बाद उसकी जर्मन मकान मालकिन कात्या मूले और मेरी बेटी आई। कात्या मूले बोली,’’ आप घर से बाहर मत जाना। मेरी पेस्ट कन्ट्रोल वालों से बात हो गई है। अभी शाम के साढ़े पाँच बजे हैं और वृहस्पतिवार है। यहाँ जुम्मे (शुक्रवार) और शनिवार की छुट्टी होती है यानि वीकएंड। इसलिये वो आते ही होंगे।’’ उत्कर्षिणी ऑफिस चली गई और मैं इन्तजार करती रही, पर कोई नहीं आया। दो घन्टे बाद कात्या मूले आई। मुझे गले लगाकर बड़ी दुखी होकर बोली ’’माई डियर, शायद उनका ऑफ हो गया, अब वो संडे को आएँगे। तुम्हें दो दिन तक चूहे को देखना कितना बुरा लगेगा!!’’ मैंने भी लौकी की तरह मुहँ लटकाकर, हाँ में गर्दन हिला दी। पर शुक्रवार सुबह ही हमारे यहाँ दो आदमी आए। उन्होंने मुझसे चूहे के बारे में तफतीश की। इतने में कात्या मूले आ गई। उन व्यक्तियों ने कहा कि वे कुछ खाने को रख जायेंगे। चूहा आएगा, खाएगा और जिस रास्ते से आया है, वहीं से वापिस चला जाएगा। बाहर कहीं जाकर मरेगा। कात्या मूले बोली ’’अगर वो नहीं गया, बाथरूम में ही मर गया तो?’’ मरा चूहा हममें से कोई नहीं उठाएगा। मरने के बाद इसकी बॉडी डिकम्पोज़ होगी, उसमें से बदबू आएगी।" न न न...
वे चले गये दो घंटे बाद लौटे, उन व्यक्तियों ने फिर एक ट्रेप दिया कि इसे बाथरूम में रख दो। चूहा केक खाने आएगा और इसमें फंस जाएगा लेकिन मरेगा नहीं। कल वे आएँगे चूहा ले जाएँगे। कात्या मुले बोली,’’ चूहा तो कभी भी फंस सकता है। अगर आपके जाते ही फंस गया तो, फिर ये कल तक बाथरूम कैसे इस्तेमाल करेंगी। इन्हें चूहा देखकर कितना बुरा लगेगा! और फंसा चूहा कल तक मर गया तो फिर बदबू।’’न न न....
अब वो दो व्यक्ति चले गए। कुछ देर बाद उनके साथ दो आदमी और आ गए। चारों ने आपस में विचार गोष्ठी की। वे दो आयताकार ट्रे ले आए, जिसके बीच में केक रखा था। उसमें एक सफेद सी पारदर्शी जेली फैली थी, जिसमें से हल्की सी गन्ध आ रही थी। उन्होंने उस ट्रे को 90 के कोण पर मोरी के दोनों ओर रख दिया और कहा, अब चूहा मोरी के जिस ओर भी जाएगा उसे केक दिखेगा। वह केक खाने जाएगा और इस ट्रैप पर फंस जाएगा। मरेगा नहीं। कात्या मुले ने बहुत ध्यान से समझा फिर बोली,’’ अगर इनका बाथरूम का दरवाजा खुला रह गया और मेरी बिल्लियाँ चूहा खा गई तो?" उनमें से दो पाकिस्तानी थे। हम तीनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकी। कात्या मुले ने 11 बिल्लियाँ और एक कुत्ता पाल रखा था।
उन व्यक्तियों ने आपस में सलाह करके एक पत्थर मोरी पर रख दिया और साथ ही केक वाली ट्रे। मुझसे पूछा,’’आप रात को कितने बजे सोती हैं?’’ मैंने जवाब दिया,’’बारह बजे।’’उन्होंने मुझसे पूछा,’’आप रात को सोते समय पत्थर को मोरी के ऊपर से हटा देंगी प्लीज?’’ मैंने कहा,’’ मैं हटा दूँगी।’’ उन्होंने पूछा ’’सुबह आप कितने बजे सो कर उठेंगी’’। मैंने उत्तर दिया 7ः30 बजे।"वे चले गये| मैंने सोते समय पत्थर हटा दिया.
सुबह ठीक 7ः30 बजे, उन्होंने दरवाजा खटखटाया। मैंने जैसे ही खोला, वे सीधे बाथरूम में गए। वहाँ ट्रैप पर दो मरियल से चूहे केक तक तो पहुँचे नहीं थे। उनके पैर जैली में धंसे हुए थे, वे टुकुर टुकुर देख रहे थे।
उसी समय कात्या मूले प्रकट हो गई। गुस्से से बोलने लगी,’’ ये एरिया रैट इफैक्टिड हो गया है। मैं अपनी बिल्लियों को बैलेंस डाइट देती हूँ। चूहे गन्दे होते हैं। अगर मेरी बिल्लियों ने चूहा खा लिया तो उनको इन्फैक्शन हो जाएगा। मैं मुन्स्पिलटी में आपकी शिकायत करूँगी।’’ उन्होंने विला के लॉन में पाइप जैसे ट्रेप लगाए, जिसमें चूहा तो जा सकता था, लेकिन बिल्ली का मुँह नहीं। मोरी की जाली को फिट करवाया, जिसे कई चूहे मिल कर हिला नही सकते थे। कई दिन तक ट्रेप लगाते रहे। लेकिन कोई चूहा नहीं फंसा फिर वे अपना ट्रेप ले गए।
कुछ साल पहले जब मैं नौएडा में आई थी तो रात को मोटे मोटे चूहे देखकर डर गई थी। छोटे-छोटे चूहे तो हमें बचपन से देखने की आदत है। पर इतने मोटे चूहे!!!मैंने पडोसियों से कहा, यहाँ चूहे बड़े मोटे हैं। उन्होंने उत्तर दिया कि पहले यहाँ खेत थे। ये जंगली चूहे है। जंगली चूहे तो जंगल में होने चाहिए पर यहाँ इतने सालों बाद अब भी दिखाई देते हैं। शहर खूब विकसित हो गया पर चूहों से निज़ात नहीं मिला।
आज जब भी पति विवेकानन्द जी की मुद्रा में और साथ में पत्नी जेबकतरे की चाल से जा रही हो, तो पत्नी के हाथ में एक चूहेदान अवश्य होता है। जिसे वे दाएँ बाएँ देखकर चूहे को किसी के भी घर की नाली में प्रवेश करवा कर बड़ी खुशी से घर लौट आते हैं। इस पद्धति से चूहे खत्म नहीं होते। बस इधर के चूहे उधर और उधर के चूहे इधर. कभी-कभी वे अपने घर लौट आते हैं।
लटूर नामका लड़का किसी फैक्टरी में रहता और नौकरी करता था। शाम को वह मेरे घर के काम करता था। उसके आने से मेरे घर में चूहे खत्म हो गए थे। कैसे !!मैंने कभी ये सोचा ही नहीं था. मैं शाम को 6 से 8 अपने फर्स्ट फ्लोर पर बच्चों को पढ़ाती थी और वह घर के काम करता था। एक दिन मैं अचानक रसोई में गई, वो गैस पर चूहा भून रहा था। मैं चीखी, अरे! ये क्या कर रहा है? वह बड़े इत्मीनान बोला,’’ चूहा भून रहा हूँ।’’ मैंने पूछा,’’ क्यों?’’ कहने लगा, ’’खाऊँगा, चूहे का माँस सेहत के लिए बहुत फायदेमन्द होता है। जो जाड़े में उसे सर्दी से बचाता है और गर्मी में लू से और बरसात- - -वो चूहे के माँस के बहुत फायदे बता रहा था। जिस पर मैं थीसिस लिख सकती थी। पर शाकाहारी ब्राह्मण घर की रसोई में उसने माँस भूना, इसलिए मैंने उसे तुरन्त निकाल दिया। आज ये सोचकर अच्छा लगता है कि चूहा देश का 40% अन्न खाता है तो कुछ लोग चूहे को खाते हैं। ऐसे लोग मेरे शहर में बस जाएँ, तो चूहों से निज़ात मिले।
3 comments:
Nice
चूहे और हम
हंड्रेड परसेंट परफेक्ट कहानी
धन्यवाद
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