भयंकर गर्मी से यहां पहुंची तो सबसे पहले यहां के मौसम से मन खुश हो गया। ठंडी हवा और अच्छी धूप जिससे धूप जरा भी बुरी नहीं लग रही थी। बल्कि अच्छी लग रही थी। दित्त्या ने तो मेरा हाथ ही नहीं छोड़ा। उत्कर्षनी बोली," मां आप सोना नहीं, बस आठ बजे आप डिनर करके सोना। आप कल उठोगी तो जेट लॉक से बच जाओगी। कल दिन भर शॉपिंग में व्यस्त रखेंगे फिर सब नॉर्मल।" दित्त्या को कहा कि नानी को सोने मत देना। वो तो वैसे भी मुझे एक मिनट के लिए भी नहीं छोड़ रही थी। अपने हाथ से खाने वाली जो भी खा रही थी, मेरे हाथ से खा रही थी। उत्कर्षनी लाजवाब कुक है। नए घर की सेटिंग में अति व्यस्त होते हुए भी, उसने वेज और नॉन वेज दोनों खाने बनाए। एयरपोर्ट से गाड़ी पर ही बैठते ही उसने खाने के लिए मुझे बुरिटो (मेक्सिकन फूड,) दिया। लैंड करने से पहले ही लंच सर्व हुआ था। इसलिए मुझे भूख नहीं थी। उसने सोचा कि मैं कल से बाहर का खा रही हूं इसलिए मेरे लिए गोभी वाले चावल और टोमाटो रसम बनाया। डिनर करके मैं सोने आई। मेरे एक तरफ़ गीता लेटी, दित्त्या ने मुझ पर कब्जा कर लिया है इसलिए गीता मेरे साथ नहीं लेट सकती वो हम दोनों के बीच में लेटी। मैं तो गहरी नींद सो गई। सुबह मैं उत्कर्षनी के पौधों के पास जाकर बैठी। मुझे वहीं ब्रेकफास्ट, चाय के साथ उत्कर्षनी ने मुझे बुरिटो दिया। इतना बड़ा तो मैं नहीं खा सकती थी इसलिए आधा लिया। ये बहुत स्वाद पर तीखा नहीं और पौष्टिक आहार है। ये वेज था तो इसमें पनीर, मशरुम, सब्जियां आदि भरी हुई थीं।
गीता दित्त्या दोनों समर कैंप के लिए तैयार हुईं । मैं उनके साथ चल दी क्योंकि मुझे तो लॉस एंजिल्स से परिचय करना है।
क्रमशः
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