मैरी कॉम एक प्रेणात्मक फिल्म
नीलम भागी
प्रियंका चोपड़ा ने कड़ी मेहनत से अपने आपको, मैरी कॉम के किरदार में ढाल कर उसे फिल्म में जीवंत कर दिया है। दशर्क भाग मिल्खा की तरह ही धारणा बना कर फिल्म देखने गये थे। लेकिन यह फिल्म उससे एक अलग तरह की आत्मकथा पर है। मणिपुर के छोटे से गाँव के एक गरीब किसान की बेटी लीक से हट कर कुछ करना चाहती है तो, पहला विरोध तो परिवार से ही शुरु हुआ। लेकिन उसने हार नहीं मानी। मैरी कॉम ने मुक्केबाजी में पाँच बार विजेता बन कर नामुमकिन को मुमकिन बना दिया।
एक्टिंग प्रियंका ने ग़जब की की। स्कूल गर्ल, गंजा होना, नामी कैरियर वुमैन का सब कुछ छोड़ प्रैगनैंसी में हॉरमोन से व्यवहार में परिवर्तन दर्शाना और जुड़वा बच्चों की माँ का रोल, सभी स्थितियों में उसने फिल्म में मैरी कॉम को जिया है। दशर्न कुमार ने भी बहुत ही कम में भी, अपने पति के रोल से न्याय किया है। सुनील थापा सराहनीय कोच के रोल में खूब जमें। डायॅलाग, बॉडी लैंग्वेज़ और स्टाइल सबकुछ प्रशंसनीय है।
निर्देशन में ओमांग कुमार ने स्क्रिप्ट के साथ पूरा न्याय किया है। फ्लैश बैक भी नहीं अखरता। लोकेशन के कारण दशर्क उस माहौल में पहुँच जाता है। गाने भी उस कल्चर को प्रदर्शित करते हैं। जिद्दी दिल गाना मोटीवेट करता है। फिल्म खेल संघों के भ्रश्टाचार को भी उजागर करती है। इस फिल्म को देख कर
मैरी कॉम पर गर्व होता है और साथ ही बेटी को बेटा कहने वालों को लानत भेजने का मन करता है।
नीलम भागी
प्रियंका चोपड़ा ने कड़ी मेहनत से अपने आपको, मैरी कॉम के किरदार में ढाल कर उसे फिल्म में जीवंत कर दिया है। दशर्क भाग मिल्खा की तरह ही धारणा बना कर फिल्म देखने गये थे। लेकिन यह फिल्म उससे एक अलग तरह की आत्मकथा पर है। मणिपुर के छोटे से गाँव के एक गरीब किसान की बेटी लीक से हट कर कुछ करना चाहती है तो, पहला विरोध तो परिवार से ही शुरु हुआ। लेकिन उसने हार नहीं मानी। मैरी कॉम ने मुक्केबाजी में पाँच बार विजेता बन कर नामुमकिन को मुमकिन बना दिया।
एक्टिंग प्रियंका ने ग़जब की की। स्कूल गर्ल, गंजा होना, नामी कैरियर वुमैन का सब कुछ छोड़ प्रैगनैंसी में हॉरमोन से व्यवहार में परिवर्तन दर्शाना और जुड़वा बच्चों की माँ का रोल, सभी स्थितियों में उसने फिल्म में मैरी कॉम को जिया है। दशर्न कुमार ने भी बहुत ही कम में भी, अपने पति के रोल से न्याय किया है। सुनील थापा सराहनीय कोच के रोल में खूब जमें। डायॅलाग, बॉडी लैंग्वेज़ और स्टाइल सबकुछ प्रशंसनीय है।
निर्देशन में ओमांग कुमार ने स्क्रिप्ट के साथ पूरा न्याय किया है। फ्लैश बैक भी नहीं अखरता। लोकेशन के कारण दशर्क उस माहौल में पहुँच जाता है। गाने भी उस कल्चर को प्रदर्शित करते हैं। जिद्दी दिल गाना मोटीवेट करता है। फिल्म खेल संघों के भ्रश्टाचार को भी उजागर करती है। इस फिल्म को देख कर
मैरी कॉम पर गर्व होता है और साथ ही बेटी को बेटा कहने वालों को लानत भेजने का मन करता है।