हुआ यूं कि मैं प्रभा जयरथ के घर गई। अपनी आदत के अनुसार अगर मैं किसी के घर जाऊं तो वह मुझे जहां बिठा देते हैं, मैं वहीं बैठी रहती हूं। घर का मुआयना कभी नहीं करती। हां, अगर उनके घर में पेड़ पौधे हैं तो उनके पास जरूर जाती हूं। प्रभा जी सीनियर सिटीजन हैं। उन्होंने छोटा सा बगीचा बना रखा है जो बहुत काम का है मसलन नींबू, धनिया, पुदीना, मिर्च, लेमनग्रास और थोड़ी-थोड़ी पत्तेदार हरी सब्जियां उगा लेती हैं। उसमें से पौधे बनाकर भी गिफ्ट कर देती हैं। एक आम का पेड़ है जिसमें सीजन में तो आम लगते ही हैं बाकि पूरे साल कुछ छिपे हुए आम होते हैं जो हमें दिखाई नहीं देते हैं। प्रवीण जी और प्रभा जी को दिखाई देते हैं। इसलिए उनके घर में 12 महीने आम है। इस आम के नीचे मैंने देखा बथुए के पौधे हैं। कुछ बड़े हैं, कुछ छोटे हैं। उनमें भी बीज आए हुए हैं। उस दिन 3 मई थी। भयंकर गर्मी में बथुआ देखकर मैं हैरान!! इतनी गर्मी में सर्दी का पौधा बथुआ कैसे बचा हुआ है! बथुआ खाने के लाभ के कारण कोरोना काल में, मैंने अपनी छत पर 14 अप्रैल तक बथुए के पौधे बचाए थे फिर मुझे कोरोना हो गया। मजबूरी में सब पौधे खत्म हो गए थे। मैंने मई के महीने में, वह भी इतने बड़े बथुए के पौधे!! मैंने कभी नहीं देखे थे। मैंने प्रभा जी से कहा कि आप इनकी देखभाल करना। देखेंगे कब तक चलते हैं? जून में मैं प्रभा जी से फोन पर बथुआ के बारे में पूछ लेती। वे बताती कि गर्मी के कारण पौधों की देखभाल नहीं कर रही हूं जो जैसे उग रहे हैं वैसे उन्हें उगने दे रही हूं। घास भी हो गई है पर पानी दोनों टाइम देती हूं। गर्मी लू में नीचे के छोटे बथुआ के पौधे मर गए हैं। एक गमले का बड़ा और एक जमीन का बड़ा पौधा ठीक है जो खूब लंबे होते जा रहे हैं। कल मैं उनके घर गई। पौधे लगभग 10 फीट के हो गए हैं। खड़े होकर उनसे जरूरत के अनुसार पत्ते तोड़े जा सकते हैं। गर्मी बहुत थी अपनी बगिया की वह देखभाल नहीं कर पाई लेकिन पौधों में पानी जरूर देती रहीं। बरसात में पानी देने की जरूरत नहीं थी, यूरिया आसमान से बरस रहा था। पौधे बहुत बड़े हो गए इन्हें सहारे की जरूरत है। उन्होंने एक डंडी गाड़ी, वह भी निकल जाती है। पौधों ने आम के तने का सहारा लिया है। आम के पेड़ के कारण उन पर सीधी धूप नहीं लगी पर सुबह शाम की धूप उन पर पड़ती रही। आम की तरह, बथुए का झाड़ भी बारामासी जो अब तक चल रहा है। बथुए पर मैंने अब तक पढ़ा था और देखा था। बथुआ एक छोटा-सा हराभरा पौधा होता है. यह औषधीय गुणों से भरपूर रवि की फसल के साथ होता है और इसे कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। सर्दियों में इसका सेवन कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है। डेढ़ फुट का यह पौधा अपने आप ही उगता है। अब देखती हूं बथुआ 8-10 फीट ऊंचा भी हो सकता है। जिससे खड़े होकर जरूरत के अनुसार जब चाहे पत्ते तोड़ के इस्तेमाल कर सकते हैं। बथुए के लाभ और व्यंजन आप मेरे ब्लॉग को नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं
https://neelambhagi.blogspot.com/2020/11/chenapodium-album-bathua-neelam-bhagi.html?m=1
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