हमारे ब्लॉक में प्रवेश करते ही एक जामुन का पेड़ है। उसके नीचे गार्ड बैठे रहते हैं। इस जामुन के पेड़ पर बहुत लाजवाब जामुन लगते हैं। इसकी कभी किसी ने सेवा नहीं की, न ही पानी दिया है। लेकिन यह पूरे साल ठंडी छांव देता है और मौसम पर मीठी-मीठी जमुनों से भर जाता है। मैं जब भी उस पेड़ के नीचे से गुजराती हूं, गार्ड भैया उसके नीचे बैठते हैं और मुझे उसे घर के पुराने मा लिक मिसेज शर्मा की याद आती है। वह इस कहानी को कई बार मुझे सुना चुकी थीं। एक बार मिस्टर शर्मा बहुत बढ़िया जामुन लाए। उन्हें वह घर शिफ्ट करना था। पर उन्होंने एक जामुन की गुठली गमले में लगा ली। जब नोएडा में अपना यह घर बनाया तो सबसे पहले आकर इस पेड़ को लगा दिया। घर बनता रहा और वो पेड़ सेवा की करते रहे। अब जो परिवार उस घर में रह रहा है। उसे भी साधुवाद उन्होंने बहुत खूबसूरत मकान बनाया है पर पेड़ को नहीं काटा है। मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग खूबसूरत मकान बनाकर, उसके आगे के पेड़ को काट देते हैं। उनकी गवार सोच होती है कि पेड़ घर का लुक ढक रहा है। लेकिन यह जामुन का पेड़ कायम है और उसके पास इस परिवार ने कंटेनर गार्डेनिंग भी की है। इसके नीचे हमारे ब्लॉक के चौहान साहब जितनी देर घर में आराम करते हैं, घर में उतना ही रहते हैं। वरना पेड़ के नीचे अच्छी तरह से ड्रेसअप होकर, अपनी पानी की बोतल के साथ बैठे रहते हैं। उन बुजुर्गों की तरह नहीं की कुछ भी पहन लिया। आते जाते अपने से छोटों को आशीर्वाद देते हैं। जो नहीं दिखता उससे पूछते हैं," तबीयत ठीक थी! दिखाई नहीं दिए।" फल आदि भी खरीद लेते हैं। मैंने पढ़ा था कि जो लोग पेड़ के नीचे प्राकृतिक परिवेश में रहते हैं, उनकी उम्र लंबी होती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। मेरी 95 वर्षीय अम्मा भी आंगन में पेड़ों की छांव में ही अखबार पढ़ती रहती हैं। बंदरों के डर से ही कभी अंदर बैठती हैं।
ईश्वर चौहान साहब को अच्छे स्वास्थ्य के साथ लंबी उम्र दे।
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