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Wednesday, 5 June 2019

साबरमती रिवरफंट, कांकरिया झील अहमदाबाद Sabermati Riverfront, Kankaria Jheel Ahmdabad Gujrat Yatra Part 21 गुजरात यात्रा भाग 21 नीलम भागी

साबरमती रिवर फ्रंट



  साबरमती रिवरफंट, कांकरिया झील अहमदाबाद गुजरात यात्रा भाग 21
नीलम भागी
सुबह पाँच बजे हमें वॉल्वो ने अहमदाबाद उतार दिया। 150रू प्रति ऑटो के रेट से हम सब गुजरात विद्यापीठ के गैस्ट हाउस में पहुँचे। डॉ. संजीव की पत्नी की तबियत खराब होने के कारण वे 12 को नहीं लौटे थे। उन्होंने हमारे लिये रूम बुक कर रक्खे थे। सोते हुए तो आये थे। सामान रख कर, फ्रेश होकर हम पैदल पैदल साबरमती रिवर फ्रंट की ओर चल पड़े। रास्ते में आवारा कुत्ते बहुत थे जो बेमतलब हमारे पीछे जुलूस की शक्ल में भोंकते हुए चल रहे थे। अभी अंधेरा ही था फुटपाथ पर एक चाय वाले को हमने चाय का ऑर्डर दिया। हममें से किसी ने उसे कह दिया कि चीनी कम डालना। उसने सब मसाले उसी समय कूट के डाले, पर जैसी गुजरात में अब तक चाय पी थी, वो स्वाद नहीं आया। मैंने उससे चीनी, उसकी पसंद की डलवा कर पी,तो वही मजेदार स्वाद था। उनका बनाने का रेशो होगा। रिवर फ्रंट पर पहुँचने पर हल्का सा उजाला होने लगा था। हम सीढ़ियां उतर कर नीचे आये। उषा किरण लहरों पर पड़ कर उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहीं थीं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग सैर कर रहे थे। कुछ कुछ दूरी पर साफ सुथरी बैंच लगी हुई थीं। सबसे अच्छा लगा ट्री गार्ड के साथ लगे पेड़ों को देख कर। जब ये पेड़ बढ़े होंगे तो इसकी सुन्दरता को और बढ़ायेंगे। 15 अगस्त 2012 को माननीय नरेन्द्र मोदी उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था। 22 कि.मी. रिवरफ्रंट की सुन्दरता देखते बनती है। शाम को लाइटें इसकी सुन्दरता को और बढ़ातीं हैं। न जाने कितनी देर मैं घूमती रही। थकने पर कुर्सी रख कर बैठी रही। एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा और एक्ट्रेस कैटरीना कैफ ने बार बार देखो फिल्म का प्रमोशन यहीं किया था। यहाँ गुजराती सिनेमा की शूटिंग भी होती है। जब धूप तेज लगने लगी, तब चल दिए। अब ऊपर आकर देखा। ओपन जिम जहाँ लोग एक्सरसाइज कर रहे थे। हरी घास के साथ वॉकिंग ट्रैक बना हुआ है। जिसका शहरवासी पूरा फायदा उठा रहे थे। हम पैदल गुजरात विद्यापीठ की ओर चल पड़े। भीड़ भाड़ वाली जगह में किनारे पर मुझे लाल झण्डा दिखा तो झांक कर नीचे देखा, वो पूजा स्थल था। नीचे उतरने के लिये सीढ़ी भी थी। निर्माण कार्य भी चल रहे थे। डस्टबिन में बाहर तक फैला कूड़ा नहीं दिखा। गैस्टहाउस पहुंचते ही। पहले ब्रेकफास्ट के लिये गये। सब कुछ गुजराती खाया। रवा ढोकला में हरी लेयर चटनी की उसकी सुंदरता और स्वाद बढ़ा रहीं थी। अहमदाबाद घूमने जाना था, जल्दी से तैयार होने चले गये। यहाँ से 80 रू प्रति ऑटो हमने काँकरिया झील के लिये किया। ये ऑटोवाला तो गाइड का भी काम कर रहा था। उसने बताया कि 1411 में यह शहर बसा और सुल्तान अहमद शाह के नाम पर इसका नाम अहमदाबाद पड़ा। बापू ने साबरमती में आश्रम बनाया तो यह ऐतिहासिक और औद्योगिक शहर  स्वतंत्रता संग्राम का शिविर आधार बना। शहर देखते कांकरिया झील पहुंच गये। टिकट लेकर अंदर गये। झील फंट पर रेल चलती है। उसकी टिकट ली। ये रेल कांकरिया झील परिसर का चक्कर लगवाती है। झील में सुुन्दर द्वीप महल है। रेल के प्लेटर्फाम पर लगते ही उसमें बैठे और घूमें। बाहर आने पर पता चला कि यहाँ बस का टूर है। सुबह 8 बजे से 1बजे तक और दोपहर 1.30 से 9 बजे तक ये गांधी आश्रम से चलती है। हठी सिंह जैन मंदिर, सिद्धी सैयद मस्जिद, भद्र किला, रिवरफंट फ्लॉवर र्गाडन, संस्कार केन्द्र, रानी सिपरी मस्जिद, झुलता मिनार, दादा हरिहर निवाव, सरदार पटेल नैशनल मैमोरियल दिखाती है। जिसका किराया 500रू प्रति व्यक्ति है और छात्र का किराया 400रू है। एक स्थान पर अकेली लड़की चाय का ठेला लगा कर चाय बेच रही थी। यह देख कर लगा कि यहाँ मनचले नहीं हैं। उसके साथ मैंने फोटो ली। उससे कुछ दूरी पर दाल के पकौड़े बना कर कोई स्व रोजगार कर रहा था। अब हम लौटे। लंच किया और एयरर्पोट के लिये निकले 4 बजे की हमारी फ्लाइट थी। रात आठ बजे अपने घर पहुंचे और मेरी यात्रा को विराम मिला।