हुआ यूं कि मैं जब भी साहित्यकारों, लेखकों और कवियों की गोष्ठी में जाती हूं तो कोई विद्वान मुझसे प्रश्न पूछ लेता है।
जैसे विद्वान,’’आप लिखती है?’’ मेरा जवाब,’’जी ऐसे ही कुछ लिख लेती हूं।’’
विद्वान जी का अगला प्रश्न,’’आपकी लिखने की विधा कौन सी है?’’ इस प्रश्न को सुन कर, मैं दुविधा में पड़ जाती हूं। कई बार मेरे मुंह से निकल जाता, मेरी विधा है,’’दुविधा।’’कोई नई विधा होगी शायद ये सोच कर आगे वे प्रश्न पूछना बंद कर देते हैं। मैं वैसे भी विज्ञान की छात्रा रहीं हूं। जो दिमाग में आता है वह लिख लेती हूं। जो पढ़ने को मिले पढ़ लेती हूं। स्कूल में एक निबंध लिखते थेे साहित्य या सिनेमा समाज का दर्पण है। वैसे मुझे गाड़ियों, ट्रकों के पीछे लिखी कविता, शायरी पढ़ने का बहुत शौक है। उसे मैं दिल से पढ़ती हूँ इसलिये मुझे याद भी हो जाती हैं। अधिकतर उनके पीछे चेतावनी लिखी होती है।
इस सड़क साहित्य के कुछ ही शब्द प्यार के रंग, नसीहतें, चेतावनी, समस्या, उपाय, आज्ञा, चैलेंज, आस्था, अनुभव, डर, देश की चिंता, दार्शनिकता के साथ हंसा भी देते हैं। मसनल
’हंस मत पगली, प्यार हो जायेगा।’
ऐसे न देखो, प्यार हो जायेगा,
देखो मगर प्यार से,
फिर कब मिलोगे!!
चल हट कोई देख लेगा,
हम हैं राही प्यार के, प्यार बांटते चलो,
जैसी भी है मेरी है,
बुलाती है मगर जाउंगा नहीं, मैं तो इसे ही चलाउंगा,
’नाली में पैर डालोगी, धोना ही पड़ेगा। ड्राइवर से प्यार करोगी, रोना ही पड़ेगा।’
धीरे चलोगे तो बार बार बात होगी, तेज चलोगे तो हऱिद्वार में मुलाकात होगी।
जिन्हें जल्दी थी, वो चले गए।
सावधानी हटी, सब्जी़ पूड़ी बटी।
भगा ले चाहे जितना, आसमां से मिला दूंगी। जरा सा हाथ बहका तो मिट्टी में मिला दूंगी।
रानी बनाकर रख, राजा बना दूंगी।
लटक मत, पटक दूंगी।
Dont overtake, Driver is Sleeping
हट पीछे नही तो लात मार दूंगी।
हम दो हमारे दो
We 2 Our 2
हम दो हमारा एक
आपको बेटा चाहिए या बेटी
बच्चे दो ही अच्छे
एक गर्लफ्रैंड सौ टैंशन।
सौ गर्लफैंड नो टैंशन।
दुल्हन ही दहेज़ है, दहेज लेना पाप हैं,, ये आज तक समझ नहीं आया, आदमी शादी किससे करे!!
P.K. 100 जा
Keep Distance
बजा होरन, निकल फोरन।
दम है तो पास कर वरना बरदासकर।
जय मां काली।
पहले जय माता दी बोलो, बाद में खिड़की खोलो।
न तीर से न तलवार से, बंदा डरता है तो आर.टी.ओ. की कार से।
हजारों देशवासियों ने जान लुटाई थी, कौन कहता है कि चरखे से आजादी आई थी।
मेरा देश महान, सौ में निन्यानवे बेईमान।
अमीरों की जिंदगी बिस्कुट और केक, ड्राइवर की ज़िदगी स्टिेयरिंग और ब्रेक।
56 के फूल 64 की माला, बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला।
बुरी नज़र वाले, तूं ज़हर खा ले।
बुरी नज़र वाले तेरे बच्चे जिएं, बड़े होकर तेरा खून पिएं।
बुरी नज़र वाले, तेरे मुंह पर जूते पड़ें साले।
ना किसी की बुरी नज़र न किसी का मुंह काला, सबका भला करेगा नीली छतरी वाला।
किस किस की नज़र को देखें हम सब की नज़र में रहते हैं।
किस्मत ही कुछ ऐसी पाई है, हर वक्त सफ़र में रहते हैं।
पाप से डरो, पापी से नहीं।
पप्पु पास हो गया।
चलती है गाड़ी, उड़ती है धूल, जलते हैं दुश्मन खिलतें हैं फूल।
मालिक की गाड़ी, ड्राइवर का पसीना, रोड पे चलती हूं बन के हसीना।
दस रूपये की पैप्सी, तेरा भाई सैक्सी।
प्यार बांटते चलो।
भांग मांगे रबड़ी, अफीम मांगे घी।
शराब मांगे जूते, सोच समझ के पी।
When I drink...., U look more beautiful.
If u follow me, u will get lost
A देख K
बहुत हसीन हैं पहाड़ों की राहें, पर खाइयां डरा देती हैं।
भाइयों में बड़ा प्यार होता है, पर भाभियां लड़ा देती हैं।
मुझे पल भर का आराम नहीं
मेरी मंजिल सुबह कहीं, शाम कहीं
टैम्पू पर लिखा है -मैं बड़ा होकर ट्रक बनूंगा
यारी पक्की, खर्चा अपना अपना
समय से पहले और भाग्य से ज्यादा
न किसी को मिला है न मिलेगा
या अल्लाह मुझे अपनों से बचा, गैरों से तो मैं निपट लूंगा।
Jasbir Singh Bhagi ji Ne bhe truck se 🚛 Lee hai (Jalo mat kisto par aye hoon😂
Chalti yaara de Ghari hai Sardara de nai Ghadi te likha hai Hatt peache jarra purani ho jai Boori nazar wale tera muh kala jayada purani Chal rani tera rabh rakha
Peeti aa ta so ja khaadi (afeem) te aaja
Dekhi jaa Chedi naa😀)
साहित्य समाज का दर्पण है। कोरोना काल में सड़क साहित्य में परिवर्तन है।
.देखो मगर प्यार से….
कोरोना डरता है वैक्सीन की मार से"
—-
"मैं खूबसूरत हूं मुझे नजर न लगाना
जिंदगी भर साथ दूंगी, वैक्सीन जरूर लगवाना"
—-
"हंस मत पगली, प्यार हो जाएगा
टीका लगवा ले, कोरोना हार जाएगा"
—-
"टीका लगवाओगे तो बार-बार मिलेंगे
लापरवाही करोगे तो हरिद्वार मिलेंगे"
—-
"यदि करते रहना है सौंदर्य दर्शन रोज-रोज
तो पहले लगवा लो वैक्सीन के दोनों डोज"
—-
"टीका नहीं लगवाने से
यमराज बहुत खुश होता है।"
—
"चलती है गाड़ी, उड़ती है धूल
वैक्सीन लगवा लो वरना होगी बड़ी भूल"
—-
"बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला
अच्छा होता है वैक्सीन लगवाने वाला"
—-
"कोरोना से सावधानी हटी,
तो समझो सब्जी-पूड़ी बंटी"
—-
"मालिक तो महान है, चमचो से परेशान है।
कोरोना से बचने का, टीका ही समाधान है।"
जब भी मुझसे कोई गलती होती है, तो पछताने के समय मेरे मुँह से ट्रक के पीछे लिखी चेतावनी, अपने आप निकल जाती है, जैसे किसी वेदपाठी के मुँह से एैसे मौके पर श्लोक निकलता है जैसे नेकी कर और जूते खा। मैंने भी खाएं हैं, तूं भी खा।