मेरे घर के आस पास से गुजरने वाली सभी बाइयों की आई ब्रो हमेशा तराशी हुई रहती हैं और बहुत बढ़िया शेप दी हुई होती है। देख कर ऐसा लगता है जैसे किसी ने ब्रश से सधे हुए हाथों से काले रंग से खींची हो। ये प्रश्न दिमाग में उठ खड़ा हुआ कि पता लगाती हूं कि ये कौन से पार्लर से थ्रैडिंग करवाती हैं? वॉक के लिए सेक्टर का चक्कर लगाती हूं तो घूर घूर कर बाइयों की आइब्रो ही देखती रहती हूं। सभी की लाजवाब शेप। अक्सर शाम के समय मैं देखती हूं कि जिन कामवालियों ने बाल कटवा रखे हैं, अब उन्होंने खोल रखे थे। किसी का पति किसी का बॉयफ्रैंड, उनका मोटरसाइकिल पर इंतजार कर रहा था। वे उस पर बैठतीं और हवा में बाल उड़ाती चल पड़तीं। एक दिन मैंने अपनी मेड से पूछ ही लिया,’’अरुणा तेरी आइ ब्रो कौन बनाता है?’’उसने जवाब दिया,’’दीदी मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती है वो बनाती है।’’ साथ ही उसकी कहानी सुनानी शुरु कर दी,’’ दीदी वो न एक पार्लर में सफाई के काम पर लगी थी। सुबह जाती थी, रात को आती थी। कपड़े भी बढ़िया पहन कर जाना पड़ता था। पैसे बहुत कम मिलते थे। वहां वो सब काम देखती रहती थी। मंगल की छुट्टी रहती को वह सबके बाल मुफ्त में काटती थी और जो उससे आई ब्रो बनवाता था, उसे वो दस का नोट देती थी। दीदी खराब आइब्रो लेकर कौन महीना भर घूमेगा? हमारी झुग्गियों के छोटे लड़के लड़कियां पैसे के लालच में बनवा लेते थे कि आइब्रो का क्या है? फिर बाल आ जायेंगे। दस का नोट तो मिल रहा है। जब वो बढ़िया बनाने लगी तो हम पैसे देकर बनवाने लगे। अब वो तीन घरों में दो टाइम का खाना बनाती है। जो पार्लर का काम करवाना चाहे कर देती है। एक दिन ऐसे ही किसी को धोबी के ठिए के साथ काम करते देखकर, अरुणा की सुनाई कहानी याद आ गई। अच्छा लगा देख कर कि खुद भी संवरतीं हैं और दूसरों को भी संवारती हैं। ऐसे ही...
मार्किट से बाहर एक पेड़ के नीचे ओपन हेेयर कटिंग सैलून तो मैंने देखा है। जिसमें पेड़ में कील गाड़ कर शीशा लटक रहा था। बाकि का सामान भी तने में गढ़े हुकों पर लटका रहता है। उसके बाजू में बस स्टैण्ड है। उसकी चमचमाती नई सीटों पर जैंट्स ही बैठे होते हैं। एक दिन मैं भी जानकारी अर्जित करने के लिए बस स्टैण्ड पर जाकर बैठ गई। जो लड़का नाई की कुर्सी पर बैठता, वह पहले उसे मोबाइल से हेयर कट दिखाता फिर पूछता ऐसा ही चाहिए। नाई बोलता,’’हो जायेगा, ये तो अमुक हीरो का है।’’अब लड़का अगला प्रश्न उछालता,’’मुझ पर जचेगा।’’नाई जवाब देता,’’साब, कटिंग बिल्कुल ऐसी ही करुंगा। ये तो कटिंग के बाद आइना बतायेगा, बोलो काटूं!!’’उसके हां कहने पर वह बड़ी लगन से काटने लगता है। वहां बैठे लड़के आने वाली बसों को न देख कर नाई को बाल काटता देख रहे थे यानि अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे, ओपन हेयर कटिंग सैलून में बाल कटवाने के लिए। अब मैं उठ कर घर जा रही हूं साथ ही सोचती जा रहीं हूं कि इनका कौशल विकास तो इनकी परिस्थितियों ने कर दिया है।
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