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Monday, 31 August 2020

अगले बरस तूं जल्दी आ, गणपति बप्पा मोरया नीलम भागी Agley Baras Tu Jaldi Aa, Ganpati Bappa Morya Part 4 Neelam Bhagi




मेरी आंखें हमारी सोसाइटी के विर्सजन जूलूस को तलाश रहीं थीं। जो सायं चार बजे से चला था। वहां से पैदल मैं दस मिनट में आ गई थी। पर वे नाचते हुए आ रहे थे। बप्पा के आने की खुशी में महिलाएं दिनभर किचन में तरह-तरह के पकवान बनाती। श्रद्धा भावना से उनके दिमाग में था कि कोई भी बप्पा की पसंद का पकवान उनसे छूट ना जाए। गणपति साल  में एक बार ही तो आते हैं।






तब भी  महिलाओं के चेहरे पर कोई थकान नहीं थी। वे खुशी से नाचती हुई आ रही थी। अब वे लाइन में लगे हैं और मेरे दिमाग में अब तक की सुनी गणपति की कथाएं चल रहीं थीं। महर्षि वेदव्यास ने गणपति को महाभारत की कथा लिखने को कहा क्योंकि उनके विचार प्रवाह की रफ्तार से, कलम साथ नहीं दे रही थी। उन्होंने गणपति से लिखने को कहा तो उन्होंने लिखना स्वीकार  किया पर तय कर लिया कि वे लगातार लिखेंगे। जैसे ही उनका सुनाना बंद होगा, वह आगे नहीं लिखेंगे। महर्षि ने भी गणपति से विनती कर कहा कि  आप भी एडिटिंग साथ साथ करेंगे। गणपति ने स्वीकार कर लिया, जहां गणपति करेक्शन के लिए सोच विचार करने लगते, तब तक महर्षि अगले प्रसंग की तैयारी कर लेते। वे लगातार कथा सुना रहे थे। दसवें दिन जब महर्षि ने आखें खोलीं तो पाया कि गणपति  के शरीर का ताप बढ़ गया है। उन्होंने तुरंत पास के जलकुंड से जल ला कर उनके शरीर पर प्रवाहित किया। उस दिन भाद्रपद की चतुर्दशी थी। इसी कारण प्रतिमा का विर्सजन चतुर्दशी को किया जाता है। 




 महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। गणपति उत्सव की शरूवात, सांस्कृतिक राजधानी पुणे से हुई थी। शिवाजी के बचपन में उनकी मां जीजाबाई ने पुणे के ग्रामदेवता कस्बा में गणपति की स्थापना की थी। तिलक ने जब सार्वजनिक गणेश पूजन का आयोजन किया था तो उनका मकसद सभी जातियों धर्मों को एक साझा मंच देना था। पहला मौका था जब सबने देव दर्शन  कर चरण छुए थे। उत्सव के बाद प्रतिमा को वापस मंदिर में हमेशा की तरह स्थापित किया जाने लगा तो एक वर्ग ने इसका विरोध किया कि ये मूर्ति सबके द्वारा छुई गई है। उसी समय निर्णय लिया गया कि इसे सागर में विसर्जित किया जाए। दोनों पक्षों की बात रह गई। तब से विर्सजन शुरु हो गया। हमारे गणपति का रात नौ बजे विर्सजन हुआ और मैं सबके साथ घर लौटी। इस बार सब तस्वीरें भेज रहें हैं। 

प्रथम लेखक
 गणपति, शक्ति(लाल) समृद्धि(हरा) लाते हैं।  और
 सेक्टर 11, नोएडा  में छाया देवी परिवार ने गणपति  स्थापित किए।  इस उत्सव में  हर्षोल्लास में छाया रहा। गणपति की आरती के बाद उनके साथ सेल्फी ली गई। अगले साल गणपति से जल्दी आने का निवेदन करते हुए विसर्जन किया| 






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