जब मैं अध्यापन करती थी तब छुट्टी का दिन सबसे व्यस्त दिन होता था। देर से सो कर उठना इसलिए दिन भी छोटा लगता था। पैंडिंग काम निपटाते हुए पता ही नहीं चलता था कि कब शाम हो गई। अगले दिन से फिर वही रूटीन और छुट्टी का इंतजार की। उत्कर्षिनी मुझे दुबई ले गई। जर्मन कात्या मूले मेरी सहेली बन गई। उसने विला रैंट पर लिया हुआ था। उसमें वन रूम सैट उत्कर्षिनी को रैंट पर दिया था। कात्या मूले ने घर में ही ऑफिस बना रखा था। मीटिंग के लिए ही बाहर जाती थी। उसका सब काम समयबद्ध था। मैं भी 9 से 6 के बीच कभी उसके पास नहीं जाती। वहां शुक्र और शनिवार की छुट्टी रहती। मेरे जाने पर पहला वृहस्पतिवार आया। शाम को वो मीटिंग से लौटी, वह बड़ी फुर्ती में थी। बोली,’’ नीलम अपना लॉण्ड्री बैग ले आओ।’’ मैं दो लोगो के एक सप्ताह के ढेर कपड़ों का लेकर पहुंच गई। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, चाहे मशीन से धुलाई थी। काम तो करना ही पड़ता है। मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हारी हैल्प करूं। उसने खुशी से मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया। मेरे कपड़ों के ढेर में अपना ढेर मिला कर बोली,’’ इनको अलग कर दो।’’ मैंने सफेद, हल्के रंग के, गाड़े रंगो के तीन ढेर लगाये, उसने मुझे एक जाली का बैग दिया, उसमें मैंने अण्डर गारमेंट डाल कर बैग का मुंह बांध दिया। कात्या मुले भाग भाग के घर के काम निपटा रही थी। सफेद कपड़े उसने जल्दी से मशीन में डाल कर उसे चालू किया और मुझसे बोली,’’ अपने घर के फुटमैट भी ले आओ।’’ मैं भी उतनी फुर्ती से जाकर ले आई। उसने कहाकि अब उसे मेरी मदद की जरूरत नहीं है। मैं आ गई। हर राउण्ड में अपने कपड़े फैला कर, मेरे छोड़कर, दरवाजे पर नॉक करके भाग जाती क्योंकि वह एक सेकेण्ड नहीं गवाना चाहती थी। मैं भी जाकर वहाँ लगे स्टैण्ड पर अपने कपड़े फैला आती। मुझे पता था कि ऐसा मेरे साथ चार बार और होगा। बेटी ने आते ही मुझसे दिन भर की रिर्पोट ली। कपड़ों का किस्सा सुन कर वो हंसने लगी और उसने बताया कि उसके धुले कपड़े वह तह लगा कर देती है। आपको वह बिजी रखने के लिये, आपको ठीक करने के लिये सहयोग कर रही है। आप से अपना कोई काम नहीं करवायेगी। आज रात तक ये अपना पूरे हफ्ते का काम करके सोयगी। अगर इसे लगा कि ये नही कर पायेगी तो श्रीलंकन हैल्पर घण्टों के हिसाब से अपनी मदद के लिये बुला लेगी। लेकिन काम रात में ही करके सोयगी। दो दिन वीकएंड एंजाय करेगी, पार्टी करेगी फिर अगले पाँच दिन गधे की तरह काम करेगी। रात बारह बजे जब वो अंत में फुटमैट देकर गई, मैं भी उसे फैला कर ही सोई। मैं दिन भर घर में रहती थी इसलिये बाकि काम मुझे करना नहीं था।
ं सुबह विला में सन्नाटा छाया हुआ था। उसकी बिल्लियां भी चुपचाप घूम रहीं थीं। बेटी भी कह कर सोई थी कि उसे जगाना नहीं है। अकेली मैं ही जाग रही थी। दस बजे के करीब कात्या मूले भी गाती हुई आई और अपनी बिल्लियों को खाना देने लगी। ये बात मैंने वहां रहने वाले भारतीय परिवारों को बताई। सभी से एक ही जवाब सुनने को मिला कि उनकी फैमली भी मिलकर वृहस्पतिवार को ओवरटाइम समझ कर सब काम खत्म कर लेती है ताकि वीकएंड एंजॉय करे। छुट्टी में नई नई रेस्पी ट्राई करना, स्पैशल सब की पसंद का बनाना। या किसी को बुलाना या किसी के जाना रहता। जिसके जाते या जो आता कुछ लेकर जाते, सेल्फ सर्विस, सब काम निपटवा कर ही लौटते और अगले वीकएंड का प्रोग्राम बनाते।