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Thursday 25 April 2024

सखी गोपाल, साक्षी गोपाल!! Way to Puri Odisha उड़ीसा यात्रा भाग 19 नीलम भागी Part 19 अखिल भारतीय सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह

 


भुवनेश्वर पुरी हाईवे पर  50 किलोमीटर की दूरी पर साक्षी गोपाल या सखी गोपाल या सत्यवादी गोपीनाथ मंदिर है। पुरी से यह 20 किमी दूर है। ऐसा मानना है कि पुरी की यात्रा संपूर्ण नहीं मानी जाती, जब तक साक्षी गोपाल का दर्शन न किया जाए। 11वीं  शताब्दी में  निर्मित मध्ययुगीन मंदिर, कलिंग वास्तु शैली का खूबसूरत राधा कृष्ण का मंदिर है।  अविनाशी पत्थर जिसे बज कहा जाता है, उससे गोपाल की मूर्ति बनी है और पक्ष में कांस्य से बनी मूर्ति राधा की है। यह मनमोहक मूर्ति खड़ी मुद्रा में है। यहां पर दर्शन से पहले बाजू में चंदन सरोवर है, उसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं फिर दर्शन। विष्णु भगवान के मंदिरों में यह ऐसा मंदिर है, जहां गेहूं का बना प्रसाद भोग लगता है। आंवला अष्टमी और कार्तिक पूर्णिमा में यहां बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। हमारे मंदिरों के  पीछे एक बहुत ही रोचक कथा प्रचलित होती है। इस मंदिर के बारे में भी है जैसा कि नाम में ही साक्षी गोपाल है यानि भक्त के लिए गोपाल गवाह बनने आए थे और यही स्थापित हो गए। कहते हैं एक धनी ब्राह्मण अपने जीवन के अंतिम चरण में एक समूह के साथ काशी यात्रा को निकला। उस ग्रुप में एक गरीब ब्राह्मण भी था। रास्ते में धनवान बीमार पड़ गया और उस जमाने में पैदल यात्रा होती थी। उसके साथी उसे छोड़ कर चले गए। लेकिन गरीब ब्राह्मण उसके लिए रुक गया। उसकी खूब सेवा और देखभाल से वह ठीक हो गया। अब उसका मथुरा वृंदावन की यात्रा करने   का भी मन बन गया। युवक उसे ले गया। वहां गोपाल मंदिर में पूजा कर, धनवान गरीब की सेवा से बहुत प्रसन्न था। उसके मन की इच्छा पूरी हो गई थी। उसने मंदिर में भगवान के सामने गरीब ब्राह्मण से कहा कि वह अपनी बेटी का विवाह उससे कर देगा और  दोनों सकुशल लौट आए। घर पहुंचने पर धनवान ने परिवार को बताया कि वह अपनी बेटी का विवाह गरीब ब्राह्मण से करेगा। परिवार ने उस पर दबाव डाला।  धनवान ब्राह्मण अपने वादे से मुकर गया। यह सुनकर गरीब ब्राह्मण ने पंचायत बुलाई। पंचायत ने भी पूरे गांव के सामने उसका मजाक उड़ाया। गरीब दुखी होकर बोला," इस बात का साक्षी गोपाल है।" पंचायत ने जवाब दिया," तो जाओ गोपाल को लेकर आओ, गोपाल गवाही देते हैं तो हम विवाह कर देंगे।" युवक दुखी होकर गोपाल मंदिर पहुंच गया। उसने गोपाल को अपना दुख बताया कि किस तरह उसके साथ वादा खिलाफी की गई है, इसके लिए आपको उसके साथ चलकर गवाही देनी होगी। अपने भक्त के लिए तो भगवान सदा ही तैयार रहते हैं। गोपाल ने कहा," तुम आगे आगे चलो मैं तुम्हारे पीछे-पीछे चलता हूं लेकिन  तुम्हें पीछे मुड़कर नहीं देखना होगा, जैसे ही तुम पीछे देखोगे, मैं  वहीं स्थिर हो जाऊंगा।" खुशी खुशी  युवक आगे आगे चल रहा था। गोपाल के पैरों की रुनझुन की आवाज, उसे लगातार सुनाई दे रही थी।  पुलालसा गांव के पास से रेतीली ज़मीन शुरू हो गई। उसे रुनझुन की आवाज सुनाई देनी बंद हो गई। युवक के मन में आया गोपाल लौट तो नहीं गए! उसने मुड़कर देखा तो  गोपाल वहीं स्थिर हो गए। यह देखकर युवक रोने लगा और गोपाल से बोला," इतनी मेरी हंसी उड़ाई  गई है। मैं यहां तक आ गया पर मैं उनको जाकर सबूत कैसे दूं?" गोपाल ने जवाब दिया," उनसे जाकर बोलो कि गोपाल यहां पर हैं, वह वहां से गवाही देंगे।" युवक ने ऐसे ही जाकर वहां बोल दिया। सुनकर  लोगों को बहुत हैरानी हुई! अब एक दो किमी. जाने में क्या हर्ज है?  फिर सब जल्दी जल्दी चल दिए। गोपाल को देखकर सब हैरान हो गए! और धनवान को अपनी गलती का एहसास हुआ। तुरंत उसे दामाद के रूप में स्वीकार किया। इस मंदिर की बहुत आस्था है क्यों ना हो! अपने भक्त के लिए भगवान गवाह जो बनकर आए थे। बस अड्डे से खूब सवारियां मिलती हैं। 🙏

क्रमशः









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