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Tuesday, 8 July 2025

लॉस एंजिल्स की ओर, एमस्टर्डम एयरपोर्ट से, सामान की तरह मेरा अमेरिका जाना!!नीलम भागी

 


    फ्लाइट के समय मैं गेट नंबर 9 पर पहुंच गई। लेटने से मुझे लग नहीं रहा था कि मैंने लंबी दूरी की यात्रा की है। महिला कर्मचारी ने आकर कहा कि जिनके साथ असिस्टेंट हैं, वे रुक जाएं बाकि सीट पर बैठ जाएं क्योंकि फ्लाइट 40 मिनट लेट है। उसने हमारा बोर्डिंग पास चेक किया। 


हम कुल 6 लोग थे। जिनमें तीन भारतीय असिस्टेंट वाले थे। मेरे साथ जो दो भारतीय महिला थीं, उनके पति साथ में वैसे ही थे। जहां व्हील चेयर पर बिठाकर कर जाना होता था, वहां उनके पति साथ साथ पैदल चलते थे। भारत से यहां व्हील चेयर का कम इस्तेमाल था। गाड़ी ज्यादा इस्तेमाल होती थी । उस पर साथी को बिठा लेते थे। अब हमें गेट के पास  लगी सीटों पर छै को बिठा दिया। यहां फर्श पर लिखा था असिस्टेंट। फ्लाइट के समय सबसे पहले हमें भेजा। यह सीट पर बहुत बढ़िया थी। प्रीमियम में सबसे आगे की और कोने की जिसके आगे भी काफी जगह थी। सीट पर बैठते ही उत्कर्षनी और अंकुर को फोन किया। टेक ऑफ होते ही मेन्यू कार्ड और पानी की बोतल। नॉन ऐल्कॉहॉलिक में पहली फ्लाइट से अलग ड्रिंक लिया। नॉन वेज और एल्कोहलिक की लिस्ट काफ़ी ज्यादा लगी। मेरे लिए अलग से सर्व होने लगा, तो मैं तपाक से बोली,"वेज।" एयर होस्टेस हंसते हुए बोली,"वेज ही है।" लंच बहुत स्वाद था। खाते ही मैं  सो गई। नींद खुलते ही मैं प्लेन में चक्कर लगा आई। इसमें देश दुनिया के  यात्री थे। मुझे नहीं लगा कोई एयर होस्टेस हिंदी जानती होगी। पर मेरे लिए बिना कहे ही आकार मेरी मर्ज़ी से सीट  पीछे करना, टांगों के नीचे सपोर्ट करना , टीवी लगाने के लिए पूछना आदि किया। लैंड करने से पहले फिर ब्रेकफास्ट सर्व हुआ।  लैंड करते ही मैंने उत्कर्षिनी को फोन किया। प्लेन से बाहर आते ही हम असिस्टेंट वालों को व्हील चेयर पर बिठाकर ले गए और मुझको गाड़ी में बिठाया, दोनों महिलाओं की व्हीलचेयर आते ही उनके साथियों के साथ गाड़ी में बिठाया। बैठते ही उनके पति बोले यहां वाईफाई नहीं आ रहा है। उन्होंने बताया कि यह इमीग्रेशन एरिया है, यहां वाई-फाई नहीं अलाउड। और हमें लेकर इमिग्रेशन के लिए चल दिये। दो जगह लिफ्ट से जाना था, गाड़ी ही लिफ्ट में गई। हमें इमीग्रेशन हॉल से पहले गाड़ी से उतारकर व्हीलचेयर पर बिठा दिया। दोनों महिलाओं के पति साथ में पैदल चल पड़े। यहां व्हीलचेयर वालों को अलग कर दिया और हमें बिठाकर वे चले गए। और बाकी लोगों की लाइन लगी हुई थी ।  हमारे पासपोर्ट पर एक नंबर डाल  दिया गया। दोनों महिलाओं के पति कुछ देर तक हमारे साथ, उनके पास खड़े रहे । जब दूसरी लाइन खत्म होने लगी तो वो भी जाकर उस लाईन में लग गए। तभी व्हील चेयर छोड़ कर उनकी पत्नी भी जाकर उनके साथ उस लाईन में लग गईं। उनका इमिग्रेशन हो गया। काफ़ी समय बाद मेरे लिए महिला असिस्टेंट आई, उसने मेरे पासपोर्ट पर लिखे नंबर को देखा और मुझे इमिग्रेशन के लिए ले गई। इमिग्रेशन के बाद, मैंने उत्कर्षिनी को फोन किया। असिस्टेंट मुझे luggage के लिए ले गई। लगेज लेकर बाहर आते ही गीता मेरी और दौड़ती हुईं आई। उत्कर्षनी ने असिस्टेंट को साइन करके दिए। उसने मुझे लगेज के साथ उसे सौंप दिया। क्रमशः

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