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Wednesday, 5 February 2025

लाज़वाब सोच !! 👍 नीलम भागी

 


अपने हिस्से का वायु प्रदूषण कम करता यह ऑटो चालक हमें प्रेरणा देता है। छोटी-छोटी कोशिका से हम भी पर्यावरण के सुधार में अपना योगदान दे सकते हैं। कितनी भी कम जगह हो ऑटो की छत से तो अच्छी ही होगी और वहां लगाना भी आसान होगा। कम से कम कंटेनर गार्डनिंग तो हम कर ही सकते हैं। तुलसी, करी पत्ता, धनिया, पोदीना आदि तो लगा ही सकते हैं।

 # waste management

किसी भी कंटेनर या गमले में ड्रेनेज होल पर ठीक   रा रखकर सूखे पत्ते टहनी पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती बनाने के बाद धो कर आदि सब भरते जाओ बीच-बीच में थोड़ा सा वर्मी कंपोस्ट से हल्का सा ढक दो। कभी पतली सी थोड़ी सी छाछ डाल दें।और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा कर, इस तैयार मिट्टी को 6 इंच, किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।








Tuesday, 24 November 2020

गुणों की खान बथुआ , रायता वजन कम करे,उगाया नहीं, उग गया है नीलम भागी Chenapodium album Bathua Neelam Bhagi





 

कुछ साल पहले हमारी छत के कोने में हमने थोेड़ी सी मिट्टी चूल्हा बनाने के लिए रखी थी कि सर्दी में धूप में उसमें शकरकंदी आदि भूनेंगे। सर्दी शुरु होने पर मैं छत पर गई। वहां चूल्हा तो नहीं बना था उस मिट्टी पर अपने आप बथुआ उग गया था। अपने आप उगे इस बथुए को देखकर मैं खिल गई क्योंकि  मेरे परिवार के नब्बे प्लस बुर्जुग जितने भी थे या हैं, उनमें एक ही समानता है बथुआ खाना और उसके बारे में बखान करना। जो मुझे भी याद है कि बाथु(पंजाबी नाम) रबी की फसल के साथ अपने आप उगता है और गुणों की खान है। मैंने बड़े से,  6’’ऊचें कंटेनर में 60 मिट्टी, 20  गोबर की खाद, थोड़ी रेत और वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली मिलाई और  मिट्टी तैयार करके उसके बीच में बथुए समेत चूल्हे की मिट्टी रख दी। जब वो जम गया तो जब सब्जीवाला नहीं लाता तो वहां से तोड़ लेते। मेरी दादी के समय बथुआ बाजार में आते ही हमारे घर जरुर आता था। दिन में एक बार वे बाथु की वैराइटी जरुर खातीं और खाने के बाद 93 साल की उम्र तक एक ही डॉयलाग बोलतीं कि इसको खाने से कब्ज़ नहीं रहती, पेट साफ रहता है। लेकिन मेरी 92 साल की अम्मा बाथु खाते समय, अपने बाउजी को याद करते हुए बतायेंगी कि उनके बाउजी सुबह कि सैर के लिए अपने गांव की ओर ही जाते थे। कभी हाथ में पकड़ कर कुछ नहीं लाते थे। लेकिन बाथु के मौसम में अंगोछे में अपनी जमीन से थोड़ा सा बाथु जरुर लाते। उनके आने पर नानी सर्दियों में खाए जाने वाले मोटे अनाज में मिला कर बथुए के परांठे बनाती जिसे वे मक्खन और लस्सी के साथ खाते। छत का बथुआ अपने आप मौसम जाने पर सूख जाता। अगले साल फिर उग जाता। हमने कभी उसके बीज इक्ट्ठे करने की या और फैलाने की ज़हमत ही नहीं उठाई। बाकि साल वह कंटेनर खाली रहता। जब एलोवेरा का रिवाज़ चला तो उसे खाली देख कर उसमें भी एलोवेरा लगा दिया। उसमें पूरे में एलोवेरा भर गया। उस दिन मैंने एक पॉट में एलोवेरा के नीचे दो बथुए के पौधे देखे। उसी समय एलोवेरा को हटाया। आज उसमें छोटे छोटे और पौधे निकल आए।


अब इस पर ध्यान दे रहीं हूं। क्योंकि ये थोड़े समय के लिए आता है पर हमारे खाने में रोज रहता है। अबकी फ्लावर शो में बथुआ के बीज खोजूंगी| 
बथुए को अच्छी तरह धोकर, जब पानी टपकना बंद हो जाए तब बारीक बारी काट कर जिस भी आटे के परांठे बनाने हों उसमें डाल कर बारीक कटी हरी मिर्च और नमक मिलाकर रख दो। बथुआ पानी छोड़ देगा। 30 मिनट बाद आटे को अच्छी तरह मिलाकर गूंध लो और परांठे बना लो।

बथुए का रायता वजन कम करे

बथुए को अच्छी तरह से धोकर, कूकर में डाल कर बथुए के लायक नमक डाल कर गैस पर रख दा, पानी नहीं डालना। जब सीटी नाच नाच कर बजने वाली हो तब गैस बंद कर दो। प्रेशर खत्म होने पर, उबले बथुए को बारीक काट कर काला नमक मिले दहीं में मिला दो। इसमें भुना जीरा काली मिर्च पाउडर डाल दो। तीखा पसंद है तो बारीक कटी हरी मिर्च मिला लो। हैल्दी रायता खाओ। उबालने पर जो थोड़ा सा पानी बचा उसे रायते में मिला लो या आटे में लगा लो। 

 बथुए का सूप

  एक छोटी गड्डी बथुए को साफ करके धोकर कूकर में, दो मोटे टमाटर, 4 कली लहसून, थोड़ा सा अदरक, 1 हरी मिर्च और नमक डाल कर प्रेशर कूकर गैस पर रख दा, पानी नहीं डालना। जब सीटी नाच नाच कर बजने वाली हो तब गैस बंद कर दो। प्रेशर खत्म होने पर, उबले बथुए को काट कर इसे हैंड ब्लैण्डर से या मिक्सी में पीस लो। फाइबर नहीं पसंद तो छान लो। जितना पतला करना है करो स्वादानुसार नमक मिला कर देसी घी से जीरे का तड़का लगा कर पियो। 

बथुए की भुजिया से कई व्यंजन

कड़ाके की सर्दी में रोज बथुआ साफ करके धोना, फिर ठंडा ठंडा काटना!! 

मैं ढेर बथुआ धूप में साफ करके, धोकर काट लेती हूं। सरसों के तेल और जीरे का तड़का डाल कर अच्छी तरह सूखा लेती हूं। फिर नमक डाल कर भून कर, इस भुजिया को ठंडा होने पर फ्रिज में रख लेती हूं। 5 दिन निकल जाते हैं।

 आलू बथुए की सब्जी -सूखे आलू की सब्जी में बनाते समय बथुए की भुजिया मिलाते ही आलू बथुए 

की सब्जी बन गई।   

बथुए की कढ़ी-कढ़ी में पकौड़े की जगह बथुए की भुजिया डाल कर हैल्दी बथुआ कढ़ी खाओ।

इस भुजिया से परांठे, पूरी जो चाहती हूं, बनाती हूं।        

कबाड़ में जाने वाले टूटे-फूटे कंटेनर , डिब्बों में अब बथुआ उगा हुआ है।