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Saturday, 28 November 2020

खूबसूरत चुकन्दर का पौधा और रंगीन स्वाद नीलम भागी Beetroot Neelamm Bhagi


 

मैंने पालक बोई थी उसमें एक पौधा चुकन्दर का निकल आया। लाल तना और हरि पत्तियों में गहरी लाल शिराएं बहुत सुन्दर लगतीं। पालक का कंटेनर कम गहरा होने से चुकन्दर आधा मिट्टी से बाहर रहता और पत्तियां फैली रहतीं। 80 दिन का होने पर मैंने निकाल दिया। खुद से उगाया इसलिए इसकी पत्तियों से भी मोह होना लाज़मी है। पत्तियां मैंने पालक की सब्जी़ में डाल दीं। सब्जी़ में थोड़ी मिठास आ गई और रंग सुन्दर हो गया।

मुझे तो चुकन्दर औरनामैंटल प्लांट लग रहा था। मैंने इसके बीज मंगवाए। गमलों में किचन waste भरती रही हूं। फिर इस पर 60% मिट्टी में 30%वर्मी कम्पोस्ट, 10% कोकोपिट मिला कर, 10’’ के गमलों में डेªनेज होल पर ठिकरा रख कर इसे मिट्टी से भर दिया। 6’’ की दूरी पर अंगुली से एक इंच की गहराई में एक गमले में 3 बीज लगाए। एक महीने बाद हलकी गुड़ाई कर एक एक मुट्ठी वर्मी कम्पोस्ट डालती हूं। अभी तो इन्हें देखने का सुख उठा रही हूं। आयरन, कैल्शियम, मिनरल से भरपूर अब जो व्यंजन सब्जी़वाले से खरीदे चुकन्दर से बनाती हूं फिर अपने उगाये से बनाऊंगी मसलन

चुकन्दर का रायता


चुकन्दर को अच्छी तरह धोकर छीलकर, कद्दूकस कर लेती हूं। पैन में देसी घी या तेल में सरसों, लाल मिर्च कैंची से बड़ी बड़ी कटी और करी पत्ते डाल कर जब धुआं उठने लगे तो इसे कसे हुए चुकन्दर से छौंक को ढक कर तुरंत गैस बंद। मथे हुए काला नमक मिले दहीं में छौंक लगे चुकन्दर को ठंडा होने पर मिला देती हूं। संयुक्त परिवार है इसलिये ज्यादा बनाना होता खाने का समय भी अलग होता है इस रायते का स्वाद समय के अनुसार बदलता रहता है। चुकन्दर मिठास छोड़ता है, दहीं खट्टा होता जाता है। खट्टा मीठा नमकीन, तीखा(बारीक कटी हरी मिलाने पर)

 पालक चुकन्दर सूप

दो गड्डी पालक, चार देसी टमाटर, एक चुकन्दर, 6 कलियां लहसुन, दो हरि मिर्च सबको अच्छी तरह धोकर मोटा मोटा काट कर प्रेशर कूकर में स्वादानुसार नमक डालकर गैस पर रख देती हूं। जब सीटी नाचने लगती है। तो बजने से पहले गैस बंद। प्रेशर खत्म होने पर जिसे फाइबर नहीं पसंद वो छान कर सूप पी ले। लेकिन मैं इसे हैंड ब्लैंडर या मिक्सी में एक सार कर लेती हूं इसको पीने या खाने से पेट भरा रहता है।

सलाद और गाजर के जूस में तो ये इस्तेमाल होता ही है।

चुकन्दर की सब्जी

मीठा होने के कारण इसमें मिर्च, मसाले तीखे और देसी टमाटर इस्तेमाल करती हूं। इसे आलू की तरह नहीं गलाती। न ही पानी डालती क्योंकि इसमें अपना पानी बहुत होता है। अच्छी तरह धोकर ही, छोटे स्क्वायर में काटना है। काट कर धोने से इसके गुण पानी में बह जायेंगे। अगर देसी टमाटर नहीं हों तो अमचूर का प्रयोग कर सकते हैं।

गुजरात यात्रा में वहां दाल सब्जी सब में मिठास थी। अब कभी मैं भी अरहर की दाल या जिस सब्जी में खटाई पड़ती है उसमें एक चुकंदर डाल देती हूं। रंग और स्वाद बदल जाता है। वैज पुलाव, मिक्स वैजीटेबल का रंग और स्वाद अच्छा हो जाता है।  

कई बार फ्रिज में कई दिन के रखे चुकंदर सूखे, बदसूरत से हो जाते हैं पर उनका हलुआ और परांठा बहुत अच्छा बनता है।  



चुकंदर का हलुआ

जैसे दूध में गाजर का हलुआ बनता है। वैसे ही बनाती हूं। इसमें चीनी चुकंदर की आधी मात्रा में पड़ती है। दूध सूखने पर देसी घी में भून लेती हूं।      

  चुकंदर का परांठा

चुकन्दर को अच्छी तरह धोकर छीलकर, कद्दूकस कर लेती हूं। नमक मिला कर आधे घण्टे के लिए रख दिया। हाथों से कस के निचोड़ लिया। इसमें बारीक कटा हरा धनिया, प्याज़ लाल मिर्च धनिया पाउडर, अमचूर और सूखा भूना बेसन, स्वादानुसार नमक मिला भरावन तैयार किया। जो पानी निकला उसे नमक अजवाइन मिलेे आटे में मिला कर आटा गूंध लिया। इस भरावन को इस आटे की लोई में भर कर मूली के परांठों की तरह बनाती हूं। परांठों का रंग बहुत सुंदर कवर गुलाबी, अंदर से गहरे लाल।