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Thursday, 18 October 2018

कस्तूरबा बा मैंने जात नहीं, पानी मांगा Sabermati Aashram यात्रा भाग 4 नीलम भागी


पेटिंग गैलरी में आठ अनोखी पेंटिंग हैं। एक पर लिखा था ’’मैंने जात नहीं पानी मांगा था।’’यहाँ रहने वाले सभी जाति के देशवासी बिना छूआछूत के रहते थे। मैं फिर से हृदयकुंज में आती हूं और बा के कमरे के आगे खड़ी हो जाती हूं। अक्षर ज्ञान न जानने वाली कस्तूरबा गज़ब का व्यक्तित्व था। अब कस्तूरबा बाकहलाती थीं. जिस तरह बापू को बापू बनाये रखने में बा का हाथ था इसी तरह आश्रम को आश्रम उन्हीं के प्रयत्नों ने बनाया था .गांधी जी के नजदीक रहना कठिन तपस्या से कम नहीं था. संयुक्त रसोई आश्रम में पैदा होने वाली सब्जी ,वह भी उबला कद्दू बिना मसाले का फीका जिसको जरूरत हो नमक डाल ले. बापू से बा ने कद्दू छोंकने के लिए मेथी और कुछ मसाले डालने की आज्ञा ली .महिलाओं को साबुन कम पड़ता बकायदा बा ने बापू को अर्जी दी. साबुन का प्रबंध हुआ. आश्रम में साफ़ सफाई रखना अनुशासन बनाये रखना, उनका काम था. जब भी बापू जेल जाते, बा का दायित्व बढ़ जाता. वह रोज साढ़े तीन बजे जगती और उनकी दिन चर्या शुरू हो जाती, बापू का भी ध्यान रखती थीं. हर मिनट का सदुपयोग करतीं .नागपुर के हरिजनों ने बापू के विरुद्ध सत्याग्रह किया .उनका तर्क था कि मध्यप्रदेश के मंत्री मंडल में एक भी हरिजन मंत्री नहीं है .साबरमती आश्रम वह प्रतिदिन पांच के जत्थे में आते, चौबीस घंटे बापू की कुटिया के सामने बैठ कर उपवास करते, बापू उनका सत्कार करते थे. उन्होंने बैठने के लिए बा का कमरा चुना, बा ने निसंकोच दे दिया, उनके पानी आदि का भी प्रबंध करतीं. वह पूरी तरह बापू मय हो चुकी थीं |  
वह साबरमती और सेवा ग्राम के आश्रम वासियों के लिए देवी थीं. ग्राम वासियों में जीवन का संचार करती, गांधी जी की जेल यात्रा के बाद सभी कार्यक्रम वही चलाती थीं. उनके आदेशों का अक्षरश: पालन करतीं. उन्होंने कहा सभी स्त्रियां अपने हाथ से कते सूत के वस्त्र पहने. चरखा कातना राष्ट्रीय कर्तव्य है और व्यापारी विदेशी कपड़ें न खरीदें, न बेचें, बा ने यही संदेश दिया  
फरवरी में महाशिवरात्रि का दिन था, बा का अंत आ चुका था. बापू चिंतित थे जानते थे. इस जन्म का साथ छूटने वाला है | बा ने बापू को बुलाया, बापू ने कहा,” मत सोचना मुझे तेरी चिंता नहीं है” बा ने बापू की गोद में सिर रख दिया. वह बोलीं,” हमने एक साथ सुख दुःख भोगे हैं अब अलग हो रहे हैं, शोक मत करना, मेरे मरण पर ख़ुशी मनाना. हे राम गिरधर गोपालतीन हिचकियाँ ली, प्राण पखेरू अनंत में विलीन हो गये. बापू विचलित हो कर सम्भल गये .उन्होंने राम धुन प्रारम्भ कर दी. बा को स्नान के बाद बापू के हाथ की काती गयी धोती पहनाई गयी, सुहागन थी, नारंगी शाल उढ़ाई  माथे पर कुमकुम गले और हाथों में बापू के हाथ की कती सूत की माला , जमीन गोबर से लीप कर उनके पार्थिव शरीर को लिटाया गया. सभी उनके अंतिम दर्शन कर अपने को धन्य मान रहे थे. अंतिम यात्रा मे आश्रमवासियों ने कंधा दिया , कुछ ने कहा बा की चंदन की लकड़ी की चिता होनी चाहिए, लेकिन बापू ने कहा,” मुझ दरिद्र, मेरे पास चन्दन कहा? एक दरोगा ने कहा,” मेरे पास चन्दन हैं.” बा की चिता पर  ब्राह्मण के द्वारा अंतिम क्रिया के मन्त्र पढ़ने के बाद गीता ,कुरान की आयते बाईबल एवं उपनिषदों का पाठ किया गया | पुत्र देवदास ने चिता की तीन परिक्रमा कर बा के नश्वर शरीर को अग्नि दी. बा का पंच तत्वों से बना शरीर उन्हीं में विलीन हो गया. शोक से सूर्य नारायण पर बदली छा गयी| कस्तूरबा गांधी महिला जगत के इतिहास में सदैव अमर रहेंगीं |