मेरे पड़ोसी के घर के बाहर सदाबहार के पौधे लगे थे। जिनकी कभी देखभाल नहीं होती थी। छोटी छोटी सफेद और जामनी आभावाले फूलों के छोटे गुच्छों से लदे पौधे ध्यान आकर्षित करते थे। अपने पौधों को पानी लगाते समय मैं उनकी ओर भी पानी उछाल देती थी। कांट छांट की कभी उन्हें जरुरत ही नहीं पड़ती थी क्योंकि इनकी झाड़ियों की बढ़वार इतनी अनुशाषित और साफ सुथरी और सलीकेदार होती थी। इनमें बारह महीने फूल दिखाई देते थे। इसकी ये लोकप्रियता ही तो है कि इसके कई प्रांतों में अलग नाम हैं मसलन उड़िया में अपंस्काांति, तमिल में सदाकाडु मल्लिकड, तेलुगु में बिल्लागैन्नैस्र, पंजाबी में रतनजोत, बांग्ला में नयनतारा या गुलफिरंगी, मराठी में सदाफूली और मलयालम में उषामालारि और पश्चिमी भारत में भी यह सदाफूली कहलाता है। इतना प्रसिद्ध मेडागास्कर मूल के इस प्रसिद्ध पौधे की आठ जातियां हैं जिनमें से सात मेडागास्कर में पाई जाती हैं और आठवीं भारत में मिलती है।
अनेक देशो में इसे खांसी, गले की खराश और फेफड़ो के इनफैक्शन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। सदाबहार में ऐसे क्षार हैं जो ब्लड शूगर को नियंत्रण में रखते हैं। ’केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान’ द्वारा की गई खोजों से पता चला हैं ये कैंसर के इलाज में भी उपयोग किया जा रहा है।
इसे जानवर भी नहीं खाते हैं। इसलिए ये बीजों के विकिरण के लिए भी किसी पर निर्भर नहीं है। फल पकने पर आपने नहीें तोड़े तो वे सूख कर छोटे छोटे फल आपने आप फट जाते हैं और काले बीज अपने आप आस पास छिटक जाते हैं। मौसम आने पर उनका भी अंकुरण हो जाता है और नये नये पौधे मिल जाते हैं। मेरे नये पड़ोसी ने सारे सदाबहार निकलवा कर अलग से पौधे लगवाए। पहले पेड़ों के दुश्मन पड़ोसी के यहां सदाबहार फूलों से लदा रहता और वे उसके फूल पूजा में इस्तेमाल करते थे। अब सदाबहार को निकालने पर दुख हुआ पर वहां सुन्दर टाइल्स की बजाय, उन्होंने अपनी पसंद के पौधे लगवाये यह देख कर अच्छा लगा। कुछ दिन बाद मैंने देखा कि मेरे गमले में सदाबहार का पौधा उगा है। आज उस पर पहला फूल खिला है।
जिसके पास देखभाल का समय नहीं है। उसे यह पौधा जरुर लगाना चाहिए। शाम को एक गमला लें उसके ड्रेनेज़ होल में ठिकरा रख कर, उसमें मिट्टी और 30वर्मी कम्पोस्ट नीम की खली और थोडी रेत मिली मिट्टी भर लें। बीच में गड्डा करके, इसमें पौधे की कटिंग को खड़ा करके आस पास की मिट्टी से दबा दंे जिससे कटिंग सीधी खड़ी रहे और पानी दे दें। दस दिन में जड़ पकड़ लेता हैं। गमले में महीने में एक बार गुढ़ाई के बाद 10 से 12 दाने डीएपी के डाल दें और सर्दी आने से पहले थोड़ी सी वर्मी कम्पोस्ट या गोबर की खाद डाल दो। और हमेशा सदाबहार फूल देखने को मिलेंगे।
सुंदर फूलों वाला हर मौसम में उगने वाले इस गुणवान पौधे को नेशनल गार्डन ब्यूरो ने सन् 2002 में इसे इयर ऑफ विंका चुना।