Search This Blog

Showing posts with label ये मोह मोह की तोरई. Show all posts
Showing posts with label ये मोह मोह की तोरई. Show all posts

Sunday, 7 March 2021

ओट्स इडली श्वेता का संडे स्पैशल नीलम भागी Oats Idli Shweta's Sunday SpecialNeelam Bhagi

 

बच्चों को तरह तरह की सब्जियों का स्वाद डालना श्वेता का छुट्टी के दिन मकसद रहता है। जब शाश्वत और अदम्य वह  सब्ज़ी  खाने लग जाते हैं तो वह सब्ज़ी रुटीन में आ जाती है। आज उसने चुकंदर डाल कर ओट्स इडली बनाई। इसमें चुकंदर कद्दूकस करने की बजाय छोटे टुकड़े काट कर डाले। कारण शाश्वत सब्जी बड़ी मुश्किल से खाता है। अगर वह ओट्स बीट्रूट इडली नहीं खायेगा तो उसमें से चुकंदर के टुकड़े निकाल दिए जायेंगे। उसका फ्लेवर कुछ असर तो इडली में आयेगा न फिर वह इडली खा लेगा। 




इसके लिए उसने एक कप ओट्स को कुरकुरा होने तक सूखा भूना। ठंडा होने पर इसका पाउडर बना लिया। कढ़ाई में थोड़ा तेल, एक चम्मच सरसों, एक चम्मच उड़द की दाल, एक चम्मच चना की दाल, करी पत्ता, एक चम्मच लहसुन अदरक पेस्ट डाल कर, कटा चुकंदर डालकर  भूना फिर इसमें एक कप सूजी डाल कर भूना और इसमें ओट्स पाउडर मिलाकर गैस बंद कर दी। इसमें डेढ़ कप दहीं मिला कर फेंटा। सख्त होने पर पानी मिलाती जा रही थी। फरमेंट होने का समय तो मौसम के अनुसार होता है। सर्दियों में ज्यादा समय लगता है। गर्मियों में कम समय में हो जाता है।

तुरंत बनाने के लिए, बनाने से पहले घोल में चुटकी भर बेकिंग सोडा या इनो सॉल्ट डाल देती है। और मिश्रण को घी या तेल लगे इडली पात्र में डाल कर स्टैंण्ड को इडली कूकर में रख दिया। जिसे पहले गैस पर पानी डाल कर चढ़ा रक्खा था। बंद करने के बाद मीडियम आंच पर 8 से 10 मिनट पकाने के बाद खोला। गर्म गर्म इडलियांें को सांबर, नारियल की चटनी और टमाटर की  चटनी के साथ परोसा। हम तो लाजवाब संडे स्पैशल का आनन्द उठा रहे थे। श्वेता बच्चों को खाते देख कर खुश हो रही थी।   


Tuesday, 2 March 2021

पौदीने को घना करना, पौदीना लगाएं मच्छर दूर भगाएं नीलम भागी Plant mint leaves-Natural mosquito repellent! Neelam Bhagi

 


पौदीने को घना करने के लिये तीन बातों का ध्यान रखें

पौदीने को कम से कम चार घण्टे की धूप मिले। पानी देने का ध्यान रखें मिट्टी सूखे नहीं। दिन में एक या दो बार पानी दें।

15 दिन बाद एक मुट्ठी वर्मी कम्पोस्ट एक लिटर पानी में घोल कर इसको दें।

इसकी प्रत्येक शाख को ऊपर से कैंची से थोड़ी थोड़ी काट दें। कुछ दिन में एक शाख से कई शाखें निकलेंगी। वे बड़ी होंगी तो उन्हें भी काट लें।



कुछ ही दिनों में कंटेनर पौदीने से भर जायेगा। जो शाखाएं कंटेनर से बाहर आएं उन्हें काट कर इस्तेमाल करें। मच्छरों को पौदीने की गंध नहीं पसंद इसलिए वे इससे दूर रहते हैं। तो आप पौदीना लगाएं मच्छर दूर भगाएं।     


पौदीना एक बार लगाओ और जब जी चाहे खाओ। लेख में मैंने पौदीना कैसे लगाना है सिखाया है। जानने के लिए लिंक क्लिक करें

 https://neelambhagi.blogspot.com/2018/04/blog-post.html?m=1

https://youtu.be/fZKWMlQ45hY?si=pitDH2LifH989E8a

Sunday, 28 February 2021

चुकंदर के सैडविच श्वेता का संडे स्पैशल नीलम भागी Shweta's Sunday Special Healthy Multigrain Veg. Sandwich Neelam Bhagi




आयरन, कैल्शियम, मिनरल से भरपूर चुकंदर बच्चों को खिलाना बड़ा मुश्किल है। नया खिलाने की कोशिश  श्वेता संडे को करती है। क्योंकि उसकी छुट्टी होने के कारण, न खाने पर बच्चों के लिए कुछ और बनाया जा सकता है। वह बना रही थी और इसके फायदों पर मेरा व्याख्यान साथ साथ चल रहा था। मसलन इसे खाने से हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती, हड्डियां मजबूत होती हैं आदि। चुकंदर, गाजर, बींस, शिमला मिर्च, हरी प्याज, टमाटर उसने बारीक काट कर रख लिये और हरी चटनी और मीठी चटनी और पनीर भी बना लिया।



उसने पनीर प्याज, चुकंदर को अच्छी तरह हल्का नमक डाल कर मिला लिया। मल्टीग्रेन ब्रैड की स्लाइस पर हरी चटनी लगा कर उस परं इस भरावन को रखा।



दूसरे स्लाइस में बटर लगाकर इसके ऊपर रख दिया। स्लाइस के ऊपर घी लगा कर सैंडविच मेकर में रख कर स्विच ऑन कर दिया।


सैंडविच तैयार। बच्चों को सैंडविच से झांकता लाल और सफेद रंग बहुत पसंद आया। उन्होंने बड़े स्वाद से खाये। गाजर, बींस, शिमला मिर्च,, टमाटर ये सोच के काटे थे कि बच्चों को चुकंदर नहीं पसंद आया तो चुकंदर सब्जियां से बदल देंगे। पर उन्हें तो बहुत यम्मी लगे। मैंने भी चुकंदर के सैंडविच ही खाये। चुकंदर की मिठास, पनीर और खट्टी हरी चटनी के साथ मिल कर सैंडविच का स्वाद बढ़़ा रही थी। पहले बच्चों ने रंग देख कर चखा फिर पेट भर कर खाया और रेड एंड व्हाइट सैंडविच उनकी पसंद बन गए।    


Thursday, 25 February 2021

सरस आजीविका मेला नीलम भागी SARAS Aajeevika Mela 2021 Showcasing Crafts From Rural India Neelam Bhagi

22 साल से देश की संस्कृति से रुबरु करवाता सरस आजीविका मेला 2021 पहली बार नौएडा हाट सेक्टर 33 में आयोजित किया जा रहा है। 26 फरवरी से 14 मार्च तक 11ः00 बजे से रात 8ः00 बजे तक परंपरा, क्राफ्ट, कला एवं संस्कृति के मनोरम माहौल थीम के साथ हम इसका आनन्द सपरिवार और मित्रों के साथ उठा सकते हैं।


इसमें मुख्य रुप से शिल्प कलाओं का प्रर्दशन किया जायेगा। 300 से अधिक महिला शिल्प कलाकार की उपस्थिति है और उनके हुनर से बना उत्कृष्ट प्रर्दशन जो हैंडलूम, साड़ी और ड्रैस मैटीरियल में  विभिन्न राज्यों से हैं वो इस प्रकार हैं-आंध्र प्रदेश से कलमकारी, आसाम से मेखला चादर, बिहार से कॉटन और सिल्क, छत्तीसगढ़ से कोसा साड़ी, गुजरात से भारत गुंथन और पैच वर्क, झारखंड से तसर और कॉटन, दुपट्टे, ड्रैस मैटीरियल, कर्नाटक से इकत, मध्य प्रदेश से चंदेरी और बाग प्रिंट, मेघालय से इरी प्रोडक्ट्स, ओडिसा से तासर और बांदा, तमिलनाडु की कांचीपुरम तो तेलंगाना की पोचमपल्ली, उत्तराखंड से पश्मिना, कांथा, बातिक प्रिंट, तात और बालुचरी पश्चिम बंगाल से। फुलकारी, बाग बूटी के लिए पंजाब नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि सरस आजीविका मेले में 27 राज्यों के 150 स्टाल में देश के ग्रामीण इलाकों की हुनरमंद महिलाओं के हुनर का प्रोडक्ट आया है। ये मेला उनके बनाए सामान को मार्केटिंग प्लेटफॉर्म देता है। सरस मेले से राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंर्तगत गा्रमीण महिला अपने हुनर से सशक्त होती है। क्योंकि उसका प्रोडक्ट शहरों के उपभोक्ताओं तक पहुंचता है। 

ये हुनरमंद सृजन करना जानते हैं पर उत्पादन का प्रचार करना नहीं जानते हैं।्यहां इनके लिए वर्कशॉप लगेगी। जिसमें इन्हे सोशल मीडिया से उत्पादन का प्रचार करना, कुछ तो केवल अपने क्षेत्र की भाषा ही जानते हैं, उन्हें और बाकियों को भी कम्यूनिकेशन स्किल सिखाना, फोटोग्राफी आदि सिखाया जायेगा।

इसके साथ ही 27 राज्यों के हैंडीक्राफ्ट, ज्वैलरी और होम डेकोर के प्रोडक्ट आदि भी एक ही स्थान पर ले सकते हैं। फूड प्राडक्ट के स्टाल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ बच्चों के मनोरंजन का पुख्ता इंतजाम है।



मेले में प्रवेश करने के लिए कोविड-19 के प्रोटोकॉल का भी पूरा ध्यान रखा गया है। मास्क बिल्कुल अनिवार्य है।  मेले में प्रवेश शुल्क नहीं है मेले में लाजवाब सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन है। Free entry Noida Haat, Sector 33A, Noida


     



Tuesday, 23 February 2021

बच्चों की पसंद, प्रेमिकाओं की परेशानी 34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज भाग 2





पार्किंग के बाद अंकुर टिकट लेने चले गए।


यहां सबके मास्क लगे हुए थे। 3 दिन लगनेवाला मेला इस बार 3 सप्ताह के लिए लगा है। खूब भीड थी शायद कोरोना के लंबे दौर के कारण लोग बोर हो चुके थे और यहां खूब एंजॉय कर रहे थे। मुंह पर मास्क था पर बहुत चहक रहे थे। भीड़ देख कर खुशी से बच्चे बेमतलब इधर से उधर और उधर से इधर भाग रहे थे। अंकुर ने अदम्य की दोनों बाहों पर अपना फोन नम्बर लिख कर

समझाया कि अगर खो जाओ तो वहीं खड़े रहना। सिक्योरटी को दिखा कर कहा कि जिन्होंने ऐसी यूनीर्फाम पहनी होंगी वे सिक्योरटी हैं उन्हे फोन नम्बर दिखा देना वो हमें फोन कर देंगे, हम तुम्हें आकर ले जायेंगे। घबराना नहीं। अब तो अदम्य आपे से बाहर हो गया। मौका देखते ही जिधर दिल करे भागे। पकड़ कर लाएं और उसे डांटे तो वह हमें बांह दिखा कर समझाए कि घबराओ नहीं जब मैं खो जाउंगा तो अंकल को फोन नम्बर दिखा दूंगा। वो आपको बुला देंगे। हम हैंगिंग बास्केट पर अटके तो बच्चे फ्लोरल, जानवर, पक्षियों  और मोन्यूमैंट को खड़े निहारते जा रहे थे। बहुतायत में यहां प्रेमी युगल थे।

वे जम कर सेल्फी ले रहे थे। अदम्य को सू सू आ गया तो सब टॉयलेट गए। महिला प्रसाधन बने तो अच्छे हैं पर गंदे थे।

शायद खाली न रहने के कारण सफाई नही हो पा रही थी। पर शीशे और वॉशवेसिन एकदम साफ थे। हैण्डवाश भी रखा था। लड़कियां आते ही फिर से मेकअप लगाने के लिए चेहरा धोतीं। टिशूपेपर से चेहरा साफ करके कहां फैंके? डस्टबिन था ही नहीं। अब घर से लड़कियां टॉवल तो लेकर चलती नहीं। कर्मचारी बोलती,’’ यहीं फैंक दो न, हम बाद में झाड़ू लगा देंगी।’’ एक लड़की ने तो डस्टबिन न होने पर ’देश स्वच्छ क्यों नहीं रह पाता?’, इस पर व्याख्यान देना शुरु कर दिया। मैंने तो रुक कर सुना नहीं क्योंकि मैं तो गार्डन उत्सब में प्रकृति के रंग देखने  गई थी और सजाने वालों की रचनात्मकता! बेकार टायरों का इतना सुंदर उपयोग!!


जिसे देख कर कोई ये नहीं बहाना कर सकता कि र्गाडनिंग महंगा शौक है हम इसलिए नहीं करते क्योंकि कंटेनर बहुत महंगे आते हैं। या हमारे पास जगह कम है। हमारे पास जगह नहीं है। ध्यान से देखते हुए घूमों तो हमारे हर प्रश्न का जवाब मिल रहा था। साथ ही पीने के पानी की उचित व्यवस्था थी साथ में पेपेर ग्लास भी रखे थे। थकने पर बैठो फिर देखो। क्रमशः         ़  


Monday, 22 February 2021

34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज में नीलम भागी 34th Garden Tourism Festival Organized at Garden of Five Senses Neelam Bhagi

 


पर्यावरण के प्रति जागरुक नौएडावासी साल भर स्टेडियम में लगनेवाले फ्लॉवर शो का इंतजार करते हैं। इसे देख कर लौटने वाले प्रत्येक पर्यावरण प्रेमी के हाथ में पौधा होता है या वह दिमाग में कोई आइडिया लेकर आता है। कोई गार्डिनिंग की शुरुवात करता है या पहले से बेहतर करता है। ऐसा करके वह अपने हिस्से का वायु प्रदूषण कम करता है। पर्यावरण प्रेमी श्वेता अंकूर मुझसे हमेशा की तरह पूछते,’’फ्लॉवर शो कितनी तारीख को लगेगा?’’ तीन दिन तक लगने वाले इस शो में एक दिन छुट्टी का जरुर होता है जिसमें एक ही जगह पर सब कुछ मिलने के कारण वे जमकर अपनी गाडर्निंग का शौक पूरा करने के लिए शॉपिंग करते हैं। इस साल शो न लगने के कारण हम सब बहुत दुखी हुए। 34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल, र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज दिल्ली में लगा है। इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। 19 फरवरी से 13 मार्च सोमवार से शुक्रवार 11ः00 से 6ः00 बजे और सप्ताहंात में 11ः00 से 7ः30 बजे तक शामिल हो सकते हैं। यहां  पहुंचने के लिए निकतम मैट्रो स्टेशन साकेत है, जो पीली लाइन पर है। दर्शकों के लिए साकेत मैट्रो स्टेशन से आयोजन स्थल तक के लिए मुफ्त शटल सेवा उपलब्ध है।   

पंच इन्द्रिय उद्यान र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज नामक यह उद्यान दिल्ली के दक्षिणी भाग में सैद- उल- अजाब गांव के पास स्थित है। यह उद्यान दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम द्वारा 20 एकड़ में विकसित किया गया है। बच्चों के लिए बहुत अच्छा है। महरौली और साकेत के बीच दिल्ली के एक प्राचीन और पुरातात्विक धरोहर परिसर के इस उद्यान में 200 से अधिक प्रकार के मोहक एवं सुगन्धित पौधों के बीच 25 से ज्यादा शिल्प आदि हैं। 

फरवरी 2003 में इस उद्यान की स्थापना दिल्ली की पहली स्थापित राजधानी महरौली के पास किया गया। राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा बनवाए गए किला राय पथौरा के अवशेषों के पास इस उद्यान को भव्य तरीके से तैयार किया गया है। उद्यान पहुंचने के लिए सबसे आसान साधन जहांगीरपुरी कश्मीरी गेट हुडासीटी सेन्टर मेट्रोलाइन की मैट्रो है। फैस्टिवल के समय साकेत मैट्रो स्टेशन से उद्यान तक फ्री शटल सर्विस है।

मेले का पहला संडे 21 को था श्वेता अंकूर ने प्रोग्राम बनाया। अंकूर मुझे घर ले गया। श्वेता ने शाश्वत अदम्य से कहा कि अगर मेले में जाना है तो खूब चलना होगा और पहले पढ़ाई पूरी करनी है। दोनों ने बोल बोल के हिंदी पढ़नी शुरु कर दी। श्वेता अंकूर ने र्गाडनिंग के सामान की लिस्ट बना ली। बच्चे जा रहे थे इसलिए उस हिसाब से तैयारी की। एक बजे हम घर से निकले। मेले जाने की खुशी में बच्चों ने रास्ते में मोबाइल तक नहीं मांगा। श्वेता गूगल की मदद से रास्ता बताती जा रही थी। पास में खण्डहर से देख कर अदम्य ने पूछा कि यहां किंग रहते हैं। जवाब में शाश्वत ने कहा,’’अब किंग नहीं होते।’’ 55 मिनट में हम पार्किंग में पहुंच गए थे। पार्किंग शुल्क 20 रु प्रति घण्टा है। मैंने पूछा,’’ये कुछ ज्यादा नहीं है!!’’उसने वहां आई शटल की ओर इशारा करके कहा कि ये फ्री राइड का खर्चा यहीं से तो पूरा होगा न। सुन कर हम हंस पड़े। अच्छा लगा ये देख कर कि शटल जिसके लिए इंतजार नहीं करना पड़ रहा था। मैंने आने और जाने पर दोनों समय वहां खड़ी देखी। हमसे पूछा भी कि साकेत मैट्रो स्टेशन चलना है। ऐसे ही पब्लिक ट्रांसर्पोट को बढ़ावा मिलेगा।  क्रमशः



Saturday, 20 February 2021

ताजे नारियल और बेसन की बर्फी नीलम भागी Fresh Coconut Besan Berfi Neelam Bhagi


 बहुत आसान और जल्दी बनने वाली ये पौष्टिक स्वादिष्ट बर्फी, मैंने पहली बार अपनी खुद की रैस्पी से बनाई। जो सबको पसंद आई। इसे बनाने के लिए एक ताजा नारियल की गरी को छोटे टुकड़ों में काट कर ग्राइंडर में रोक रोक कर सूखा पीस लें।

इस नारियल के बुरादे को किसी भी बर्तन में दबा कर नाप लें। बुरादे के बराबर बेसन, चीनी, दूध, चौथाई मिल्क पाउडर, चार हरी इलायची और थोड़े बादाम, काजू इन्हें तलने के लिए थोड़ा घी लिया।

चीनी पसंद के अनुसार कम कर सकते हैं। बेसन को हल्का रंग बदलने तक लो फ्लेम पर सूखा भून लेना है।

कढ़ाई में थोड़ा सा देसी घी डाल कर ड्राइफ्रूट को काट कर हल्का भूनना है जैसे ही रंग बदले, इसे निकाल कर, इसमें नारियल का बुरादा डाल कर लगातार चलाते हुए लो फ्लेम पर भूनना है।

नारियल का रंग बदलते ही इसमें चीनी डाल कर चलाना है फिर इसमें मिल्क पाउडर, बेसन मिलाकर चलना है।

दो मिनट बाद इसमें दूध मिला कर अच्छी तरह चलाते रहना है ताकि गुठलियां न बने।


अब बीच बीच में चलाते रहें। जब ये कढ़ाई के किनारे छोड़ कर इक्ट्ठा होने लगे तब इसमें ड्राइफ्रुट मिला दें। गैस बंद करके एक थाली में घी लगा कर इस मिश्रण को उस पर फैला दिया।

ठंडा होने पर फ्रिज में दो घण्टे के लिए रखा और बाद में मन चाहे आकार में काट लिया।

लाजवाब बर्फी के स्वाद का जवाब नहीं। हलवाई नहीं हूं इसलिये शेप उनकी तरह नहीं दे सकी।     


Monday, 15 February 2021

एलोवेरा मेथी नीलम भागी Aloevera Fenugreek Neelam Bhagi

 

हुआ यूं कि हमारी छत पर कुछ छोटे पॉट एलोवेरा के थे। हमारा सालों पुराना राधे हम सबके घरों में रिपेयर करता है। कलर पेंट के लिए उसने अपना एक विश्वसनीय साथी लगा दिया। हमें एक ही कलर ऑफ व्हाइट करवाना होता है। वो 20 लीटर की बालटी लाता और और पुताई करता रहता। खाली बाल्टियों में और पेंट के डिब्बों में वह एलोवेरा लगा देता। उसकी रुख़्सत के बाद जो भी छत पर जाता एलोवेरा में पानी डाल देता। सर्दी में मैं धूप के लिए छत पर गई। सब में एलोवेरा इतना भरा हुआ था कि पॉट छोटे पड़ गए थे। कोरोना के कारण बाहर जाना नहीं था। छत पर जाती, जब भी छत से उतरती जो पॉट उठा सकती थी, उठा लाती। ग्रुप में भी डाल दिया जिसको एलोवेरा चाहिए ले जाओ। यहां सभी के घर में लगा है तो कौन लेता भला!! बराबर के घर का रिनोवेशन हो रहा था। उनकी छत पर पुरानी किचन कैबनेट, बेकार लकड़ियों का ढेर लगा था। दिन भर कड़ाके की ठंड में काम करने वाली लेबर लंच में लकड़ियां जलाकर आग तापती थी। मैंने पड़ोसी सतीश जी से पूछा कि ये लकड़ियां उनके काम की तो नहीं हैं। कुछ ले लूं। उन्होंनेें जवाब दिया,’’नहीं, जब बाद में मलवा उठेगा तो ये उठ जायेंगी। आपको जो चाहिए ले लो।" अब मेरा मुफ्त में एक्सपेरिमेंट शुरु हो गया। बस लेबर को उठाने के पैसे देती थी। वे लंच में हमारी छत पर मुंडेर टाप कर रख देते थे। 24 दिसम्बर से मैंने काम शुरु किया था। बाल्टियां इतनी एलोवेरा से भारी हो गईं थीं कि उन्हें पलटने में मेरी कमर में प्राब्लम हो गई। फिर दुखी होकर एलोवेरा काट काट कर इनमें भरती जाती। पूरा एलोवेरा से  भरने पर अच्छी तरह दबाती। 60% मिट्टी और 40 वर्मी कम्पोस्ट मिक्स और दो मुट्ठी नीम की खली मिलाकर इस पॉटिंग मिक्स को, एलोवेरा पर 6’’ भर दिया। अब इस पर मेथी के बीज फैला कर, इन्हें मिट्टी से ढक देती। अगले दिन पानी डालती क्योंकि तुरंत पानी डालने से एलोवेरा का जैल बह जाता अब वह मिट्टी सोख लेती। 3 दिन बाद मेथी में अंकुरण हो जाता। धीरे धीरे मिट्टी दबती जाती मेथी बाहर आती जाती। अब तक कुछ नहीं डाला सिवाय पानी के। मेथी का मौसम जा रहा है। पर मेरे यहां हरी-भरी मेथी है।





मोटे मोटे पत्तों वाली एलोवेरा मेथी को देख कर मन खुश हो जाता है। सरदी जा रही है। सुखाने की बजाय मैं उस को जड़ से काट रही हूं और पत्ते सूखा रही हूं। डंडिया फिर इसी मिट्टी में दबा रही हूं।