स्कूल खुलेंगे तो पता चलेगा कि ये स्कूल जाते हैं या नहीं। कुछ दिन न दिखने पर जब ये परिवार फिर लेबर के साथ आता है। तो मैं पहले कभी कभी, उनके न आने का कारण पूछ ही लेती थी। कमलेश बताता कि अमुक दमुक ब्लॉक के पार्क में काम कर रहे थे। यानि हमारे सेक्टर के सभी पार्कों में ये लोग काम करते हैं।
आज मैंने व्हाटअप पर पोस्ट देखी, जिसमें किसी ने लिखा कि इतनी गर्मी में दिन भर पार्क की साफ सफाई की गई। डस्टबिन खाली करके रखे गए। सुबह वे देखते हैं किसी ने रात में किचन वेस्ट, घरेलू कचरा पार्क के डस्टबिन में डाला है। कुछ बाहर भी फेंका होगा या फालतू कुत्तों ने थैलियां निकाल कर बाहर फैला दीं। जबकि सुबह बे नागा यानि प्रतिदिन कूड़ा उठाने वाली गाड़ी आती है। जिसमें जोर जोर से गाना बजता है ’’चमक चमक चम चम चम चमक के मेरा इण्डिया’’ गाने की धुन सुनते ही सब अपने घर का सूखा व गीला कूड़ा बाहर रख देते हैं। दो लड़के उठा उठा कर गाड़ी में डालते जाते हैं। इतनी अच्छी व्यवस्था के बाद भी कोई पार्क के डस्टबिन में घरेलू कूड़ा, रसोई का कचरा डाले। यह देख कर हैरानी होती है कि ऐसे भला कौन करता है!! इसका ध्यान तो सबको रखना होगा। वर्ना ऐसे लोग सुबह देर तक सोने के लालच में रात में अपने घर का कूड़ा पार्क में डाल कर उसे कूड़ेदान में तब्दील कर देंगें।
नीलम भागी