गमले मेंं पालक |
नीलम भागी
मेरा बेटा एनिमिक है। प्रीस्क्रिपशन के साथ डॉक्टर ने समझाया कि इसे हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ खिलाओ। सुनते ही मेरे मुंहँ से निकला,’’ये न, हरी सब्जी़ खाता नहीं है।’’ डॉ. ने जवाब दिया,’’मैं तो खिलाने आऊँगा नहीं। खिलाना तो आपको ही पड़ेगा।’’अब मैं तरह तरह की हरी सब्जियों की डिशेज़ तैयार करती पर मेरा लाडला, स्वाद तक न चखता। मैंने भी हार नहीं मानी। एक दिन मैंने हरी पत्तियों के पेस्ट में नमक अजवायन डाल कर आटा गूंध कर, उसके हरे परांठे सब्ज़ी के साथ उसके लंच बॉक्स में रख दिये। दिन भर डरती रही कि आज मेरा चंदा भूखा आयेगा। जैसे ही सोना स्कूल से लौटा। मैंने झट से लंच बॉक्स खोल कर देखा, वह साफ था। मैं अपनी खुशी को शब्दों में नहीं बयान कर सकती कि मेरे हाथ में चुम्मू को हरी सब्ज़ी खिलाने का र्फामूला आ गया। सिर्फ स्कूल में मैं दो हरे परांठे देती साथ में सब्जियाँ बदल बदल कर, ताकि उसकी खाने में रूचि बनी रहे। अब दो परांठो के लिए मुझे रोज़ 4-6 हरे पत्तों की जरुरत थी। इतने पत्ते खरीदने में शर्म आती है। ज्यादा खरीदो तो ये जल्दी खराब हो जाते हैं। अगर सब्ज़ी बनाओ तो बाकि लोग रोज़ नहीं खाते। मैंने गमलों में हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ धनियाँ, मेथी, पालक, बथुआ, सोहा, चौलाई और सौंफ उगा दीं।
इससे मुझे रोज दो परांठो के लिये ताज़े हरे पत्ते मिल जाते हैं। बी.एस.सी में मेरे पास बॉटनी सबजैक्ट था। जिसे मैंने तब सिर्फ अच्छी परसैंटेज़ लेने के लिए, सलेबस पढ़ा और रटा लिया था।
अब मुझे इस कंटेनर गार्डिनिंग में बहुत मज़ा आने लगा। मैं जानती हूँ कि पौधे की पत्तियों में खाना बनता है। ये पौधे की फूड फैक्ट्रियाँ होती हैं। इसलिये मैं कभी भी छः इंच से कम की टहनी नहीं तोड़ती। लाल चौलाई के साथ, हरी चौलाई या हरा पालक का गमला रखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। शौक बढ़ने लगा, जगह की कमी के कारण मैंने सोचा मैं दीवारों पर लौकी और कद्दू की बेले चढ़ाऊँगी। मैंने बेले बोई। हरी हरी बेलों ने मेरे घर की दीवारें ढक ली। आज मेरी बेलों से पत्ते गायब थे। गार्ड है इसलिये गाय तो आ नहीं सकती, अगर आती भी तो वह पत्तों के साथ तना भी खाती। यहाँ तो पत्तों के डण्ठल भी छोड़े हैं, र्सिफ पत्ते तोड़े हैं।
कुछ मेड बतिया रहीं थीं। मैंने उनसे पत्ते गायब होने का ज़िक्र किया। वे कोरस में बोली,’’दीदी, ये अमुक देश की कामवालियों का काम है। वो लौकी, कद्दू, सीताफल जिस किसी के भी पत्ते दिखें फटाफट तोड़ कर, पल्लू से बाँध कर ले जाती हैं और उसकी सब्जी बना लेती हैं।’’ इतनी बड़ी बेले तो नहीं हुई थीं कि कुछ पत्ते तोड़ लिये जाये तो कोई फर्क न पड़े। अब ये पौधे खाना कैसे बनायेंगे। ये तो मर जायेंगे न।
11 comments:
Nice idea we should also try.
सुंदर प्रयोग
सुंदर प्रयोग
सुंदर प्रयोग
Good story.. अब आप भी sehjan के पत्ते torh कर सब्जी बनाइए.. इसके पेड़ जगह जगह मिल जाएंगे.. कैल्सियम से भरपूर..
धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद
मैंने सहजन का पेड़ लगाया है,उसकी फलियों की सब्जी बनाती हूँ और सांभर मेंं डालती हूं।
अनुकरणीय प्रशंसनीय लेख
Iron factory hi palak
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