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Friday 16 July 2021

घड़े का ठंडा ठंडा कूल कूल पानी नीलम भागी Healing benefits of matka water. Neelam Bhagi


अंकुर के घर जाते ही छोटा सा अदम्य पानी का गिलास लेकर आया। पहला घूट भरते ही फ्रिज का चिल्ड पानी पीने की आदत होने के कारण ये पानी मुझे शीतल जल सा लगा। मैंने पूछा,’’पानी कहां से लाया है?’’ सुनते ही वह बोला,’’चलिए मेरे साथ आपको दिखाता हूं।’’ वह मेरा हाथ पकड़ कर किचन में ले गया। वहां उसने फूल पत्ती की चित्रकारी किए हुए मिट्टी के घड़े पर हाथ रख कर, मुझे समझाते हुए बताया,’’ये मेरे मम्मी पापा लाएं हैं। इसको घड़ा कहते हैं और यहां से पानी निकलता है।’’ उसने उसकी टोंटी खोल कर, गिलास भर कर पानी को उसमें से कैसे निकलते हैं, यह भी दिखाया।  मैंने भी बहुत ध्यान से समझा। इतने में शाश्वत ने आकर मुझसे पूछा,’’इसमें पानी ठंडा कैसे होता है?’’ नवीं क्लास में जैसा साइंस टीचर ने मुझे समझाया था, वैसा ही मैंे उसे समझाने लगी। घड़ा मिट्टी से बनता है। इसमें बहुत छोटे छेद होते हैं, इतने छोटे कि उनके आर पार नहीं देखा जा सकता है। पानी भरा होने के कारण बाहर से इसमें नमी रहती है। बाहरी सतह की नमी का, हवा के सम्पर्क में रहने से वाष्पन evaporation की क्रिया धीरे धीरे चलती रहती है। वाष्पन के लिए उष्मा अंदर के पानी से मिलती है। वाष्पन लगातार होता रहता है इसलिए इसका पानी ठंडा होता रहता है। गर्मी में हवा में नमी बहुत कम होती है इसलिए वाष्पन तेज होता है तो पानी ठंडा होता है। बरसात में हवा में नमी बहुत होती है तब पानी के तापमान में मामूली सा फर्क पड़ता है। क्योंकि वाष्पन बहुत धीरे होता है। इसलिए बरसात में घड़े का पानी तकरीबन रुम टैम्परेचर पर ही रहता है। 

घड़े का पानी ज्यादा ठंडा नहीं होने के कारण बच्चों का ठंडे पानी की बजह से गला खराब नहीं होता है और पानी में मिट्टी की सोंधी महक आती है। पर घड़े की सफाई पर बहुत ध्यान देना पड़ता है।      


2 comments:

Unknown said...

आपके ब्लॉग में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
शुभकामनाएं

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार