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Monday 22 August 2022

बैद्यनाथ धाम देवघर झारखण्ड की यात्रा भाग 1 नीलम भागी Towards Baidyanath! Part 1 Neelam Bhagi

   


   दो महीने पहले जैसे ही बैजनाथ बाबाधाम यात्रा की सूचना मेरे पास आई, मैंने जाने के लिए बुकिंग करवा ली। मेरी व्हाट्सअप पर टिकट आ गई। गाड़ी का नाम भी बैजनाथ धाम है और नम्बर 22466 है और मेरी 3ए.सी के बी 2 में 20 नम्बर लोअर सीट है। पहले भी मैं जय प्रकाश गुप्ता द्वारा आयोजित नेपाल मुक्तिनाथ यात्रा पर जा चुकी थी। अब कुछ सोच विचार तो करना ही नहीं है। बुक करने से पहले फोन पर गुप्ता जी से एक ही प्रश्न किया था कि सावन की शिवरात्रि या सावन का सोमवार तो नहीं है। उन्होंने जवाब दिया,’’ नहीं है।’’ ऐसा मैंने इसलिए पूछा था क्योंकि यहाँ श्रद्धालुओं की हमेशा भीड़ रहती है। वैसे आप एक घण्टे में दर्शन कर सकते हैं पर सावन के सोमवार में 5 से 6 घण्टे लाइन में लगना मामूली बात है। ऐसा मैंने सुन रखा है। 3 अगस्त को हमें जाना है। जाने से 5 दिन पहले देखा, गलती से  मुझसे टिकट भी डिलीट हो गई। मेरी गुप्ता जी के साथ टिकट है, उनकी 17 नम्बर सीट है।  कोई चिंता नहीं। अब दो महीने बाद जाने से पहले ये भी याद नहीं आ रहा है। 5 दिन पहले सूचना आई 3 अगस्त को सब आनन्द विहार रेलवे स्टेशन पर प्लेटर्फाम नम्बर 2 पर 11.30 बजे पहुंच जाएं। अब रेल में बिस्तर तो मिलने लगा है। 3 को जाना और 6 को लौटना है। मामूली सामाना लेना है। मेरे घर से स्टेशन का 20 -25 मिनट का रास्ता है। घने बादल बरसने को तैयार हैं। अंकुर का मैसेज़ है कि 11.05 पर उसकी मीटिंग खत्म होगी, वह तुरंत कैब बुक कर देगा। 11 बजे गेट पर ही ऑटा मिल गया। बाबा बैद्यनाथ का घ्यान करके बैठ गई फिर उससे पूछा,’’ कितना पैसा लोगे?’’ वह बोला,’’150रु।’’ अब और भी हैरान! इतने खराब मौसम में स्टेशन के नाम पर कुछ भी मांग सकता था। जैसे ही ऑटो चला, झमाझम बारिश शुरु हो गई। उस दिन सीजन की सबसे ज्यादा बरसात थी। किसी तरीके से अंकुर को मैसेज़ किया कि मैं निकल चुकी हूं। ऑटोवाले ने बरसात के कारण ऑटो में इस तरह से इंतजाम किया है कि सवारी को बौछार न आए पर तेज हवा ने उसका सारा इंतजाम बेकार कर दिया है। ऐसे लग रहा है मैं मोटर बोट में जा रही हूं। पानी पानी दिख रहा है। स्टेशन पर 11.30 पहुुंच गई। सड़क से स्टेशन में जाने के लिए पानी में छपाक छपाक करके जाना पड़ा। जूते पानी भरने से भारी हो गए। मैं जाकर प्लेटफॉर्म न0 2 पर सीट पर बैठ गई। बाजू में बैठे मां बेटे ने मुझसे पानी टपकता देखकर दूरी बना ली।




उसी समय गुप्ता जी का फोन आया कि मैं लाउंज में आ जाऊँ। मैंने कहा,’’ मैं यहां ठीक हूँ। आप मुझे बोगी न0 बता दीजिए।’’ उन्होंने बताया कि हमारे सब लोग बी 2 और बी 3 में हैं और कुछ एस में हैं न0 याद नहीं आ रहा हैं। गाड़ी 12.45 पर जायेगी। यानि सवा घण्टा है। तब तक मेरे कपड़ों का पानी टपकना बंद हो जायेगा। ए.सी. में गीले कपड़ों में ठंड तो लगेगी ही। कुछ देर में गुप्ता जी अपने भतीजे प्रवीण के साथ मिलने आये। उन्होंने प्रवीण से मेरा परिचय करवाते हुए कहा,’’ये लेखिका नीलम भागी जी हैं।’’ मुझे बैच देकर और वे बाकि साथियों से मिलने चल दिए। बाजू वाले बच्चे के पापा ने अपने बेटे को समझाते हुए कहा,’’बाबू ये लेखिका हैं। इनसे सब समझिए कि कैसे लिखा जाता है? अपना नॉलिज बढ़ाइए।’’ कल सुबह हम पहुंचेंगे। लगेज़ भी भीग चुका था। मैं जूते कपड़े कब कैसे सूखाने है ये सोच रही थी और साथ ही कॉमिक्स पढ़ने की उम्र के बाबू के प्रश्नों के उत्तर भी दे रही थी। क्रमशः    


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