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Sunday, 28 August 2022

वैद्यनाथ धाम के दर्शन बाबाधाम यात्रा भाग 4 झारखण्ड नीलम भागी Baba Baidyanath Dham Deoghar Yatra Part 4 Neelam Bhagi

    इस यात्रा के इंतजाम के लिए गुप्ता जी पहले यहां आ चुके थे। कुछ लोगों ने नाश्ता नहीं किया। उनका कहना था कि वे बाबा दर्शन के बाद नाश्ता करेंगे। गुप्ता जी ने कहा कि जिसने वी आइ पी दर्शन करने हैं वो पण्डा जी को 500रु दे दो। सबने दे दिए। मैंने और डॉ. शोभा ने नहीं दिए।  सबने चप्पल होटल में उतारी, नंगे पांव हम बाबा वैद्यनाथ के दर्शनों को चल दिए। गुप्ता जी ने सबको याद करवा दिया कि पूर्वी द्वार से ही जाना है और वहीं से आना है क्योंकि ये द्वार हमारे होटल के बिल्कुल पास है। मैं और डॉ. शोभा जरनल दर्शनों के लिए चल दिए। इतनी भीड़ है कि कंधे छील रहे हैं। https://youtu.be/oOmOGdUDQIw

 श्रद्धालुओं के भगवा रंग के कपड़ों में पद, जाति, गोरा, काला, अमीर गरीब किसी में भेद नहीं है। हाथ में गंगा जल है, हर कोई गीला है।



मुझे नहीं लगता कि भारत में बारह ज्योर्तिलिंगों में इतना गंगा जल सावन के महीने में कहीं और चढ़ता होगा!! लाइन के लिए शेड वाले फुटओवर ब्रिज की तरह गैलरी बना रखी है। उसमें इतनी भीड़ पर व्यवस्थित, दर्शनों की प्रतीक्षा में धीरे धीरे चल रही है।



गर्भग्रह में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। यहां फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी मना है। मंदिर प्रांगण में भी बहुत अधिक भीड़ है। लगातार सफाई चल रही है। असंख्य श्रद्धालुओं के कारण फर्श गीला है। सफाई करने वालों की अंगुलियों के बीच की जगह लाल हो रही है। उन्हें सफाई करने से र्फुसत हो तो पैरों पर ध्यान दें।

  चिकित्सा, उपचार, प्रकृति और स्वास्थ्य के देवता, ज्योतिर्लिंग स्वरुप जिसे रावण ने स्थापित किया था। रावणेश्वर, वैद्येश्वर, बैजुनाथ, बैजनाथ और बाबा बैद्यनाथ के नाम से पुकारे जाने वाले बाबा के मंदिर और माता पार्वती के मंदिर को लाल कपड़े से बांधा गया है। शिवरात्रि को नया गठबंधन किया जाता है। पहले गठबंधन को उतारा जाता है। उस लाल पवित्र कपड़े को प्राप्त करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा होता है। मगर यहाँ वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशील लगे हैं। 

   बैद्यनाथ धाम मंदिर कमल के आकार का है और 72 फीट लम्बा हैं यहां बैद्यनाथ का मुख पूर्व की ओर है। 

देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी देवताओं का निवास स्थान यहाँ भोलेनाथ का अत्यन्त पवित्र और भव्य मंदिर है। विभिन्न देवी देवताओं के इसी परिसर में 22 मंदिर हैं। मां पार्वती मंदिर, मां जगत जननी मंदिर, गणेश मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, संध्या मंदिर, कल मनाशा मंदिर, हनुमान मंदिर, मां मनशा मंदिर, सरस्वती मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, मां बागला मंदिर, राम मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, मां गंगा मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, मां तारा मंदिर, मां काली मंदिर, नारदेश्वर मंदिर, मां अन्नपूर्णा मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, नीलकंठ मंदिर। बाहर बड़ी स्क्रीन लगी है जिस पर अंदर का दृश्य दिखता है। बडी डण्डी वाली कलछी की तरह धूप बत्ती लगी मिलती है, जो नहीं जा सकते, वे बाबा मंदिर के द्वार के आगे उससे आरती कर लेते हैं। इतनी भीड़ में गर्भगृह में धूप बत्ती करना संभव ही नहीं है। सुल्तानगंज से 105 किमी. की पैदल कांवड़ यात्रा करके कांवड़िया बंधु अद्भुत भक्ति एवं निष्ठा के साथ ’बोलबम’ के पवित्र उच्चारण के साथ जल चढ़ाने की प्रतीक्षा में खड़े हैं।   


  तीर्थस्थल बैद्यनाथ धाम द्वादश ज्योर्तिलिगो में से नौंवा ज्योतिर्लिंग है। ये देश का एक ऐसा ज्योर्तिलिंग है, जो शक्तिपीठ भी है। मंदिर के तीन भाग हैं, मुख्य मंदिर, मुख्य मंदिर का मध्य भाग और मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार।  सावन के महीने में श्रावणी मेला लगता है। बैद्यनाथ मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। प्रतिदिन मंदिर दर्शन के लिए प्रातः 4ः00 बजे से 3.30 बजे तक तथा सायं 6ः00 से 9.00 तक खुला रहता है। क्रमशः 

 


Saturday, 27 August 2022

देवघर से परिचय बैद्यनाथ बाबाधाम यात्रा भाग 3 झारखण्ड नीलम भागी Baba Baidyanath Dham Deoghar Rail Yatra Part 3 Neelam Bhagi



         स्टेशन से बाहर आते ही ग्रुप फोटो लिया गया। बड़े बड़े पंडाल कावड़ियों के विश्राम के लिए हैं। इतना बड़ा तीर्थस्थल है पर स्टेशन के बाहर सफाई ठीक नहीं है। खूबसूरत टाइल्स ऐसी हैं कि जिस पर लगेज़ के पहिए ठीक से नहीं चलते। सीनियर सीटीजन के लिए बैग खींचना बहुत मुश्किल होता है। खूबसूरत टाइल्स के साथ एक पट्टी सीमेंट की ही डाल दें तो महिलाओं और बुर्जुगों को लगेज़ खींचने में परेशानी तो नहीं होगी। वैसे ऑटो स्टैण्ड तक सौर्न्दयीकरण किया गया है। झील के साथ में बैंच लगे हुए हैं। एक बैंच पर कॉलकता के पवन हाथों में कांवड़ यानि कई मिट्टी की मटकियों में गंगा जल लिए सुस्ता रहे हैं। सारा वजन उनकी अंगुलियों में है। बाबा को चढ़ाने का जल नीचे नहीं रखते हैं।


लोगों ने झील में कचरा भी फैंक रखा है। यहां से होटल 7 किमी. दूर है। ऑटो में बैठ कर होटल की ओर चल दिए। हमारे ऑटो ड्राइवर का नाम प्रवीण अग्रवाल है।

वह देवघर के बारे में भी बताता जा रहा है। मसलन बिहार से अलग होकर यहां बहुत विकास हुआ है। बिजली खूब आती है। सड़के दुरुस्त रहतीं हैं। मैंने पूछा,’’चोरी, झपटमारी वगैरह।’’ उसने जवाब दिया,’’अब ऐसा नहीं है।’’जब बताया कि स्टेशन पर गाड़ी से उतरते समय एक महिला की चैन झपट ली गई। वो तुरंत बोला,’’वो झपटमार बिहार का होगा, यहां के लोग ऐसे नहीं हैं।’’ सुबह का समय है सड़कों पर सफाई हो रही है। ताज़ी सब्ज़ियां और फल दुकानदार सजा रहे हैं। फुटपाथ पर तरह तरह की दातुन बिक रही है। साथ में कुछ पत्ते भी लोग खरीद रहे थे। मैंने पूछा,’’ये पत्ते क्यों खरीद रहें हैं?’’ उसने बताया कि ये किरोता के पत्ते हैं। इसको खाने से पखाना ठीक आता है।

ऑटो ने हमें उतार दिया। आगे गलियां हैं। वहां कोई भी सवारी ले जाना मना है। सावन का महीना है। यहां सावन भादों जल चढ़ता है। चारों ओर भगवा रंग ही दिख रहा है और ’बोल बम’ की आवाजें हीं आ रहीं हैं। हम सामान उठा कर होटल की ओर चल दिए। गलियों के दोनों ओर नाश्ते खाने, चाय और पेड़ों की दुकाने हैं। होटल में मुझे जयपुर से आई डॉ. शोभा के साथ रुम मिला। रुम में आते ही मैंने लगेज़ खोला सब कुछ गीला, सामान फैलाया। जो कम गीले हैं वो कपड़े पहने। तैयार होकर हम होटल से बाहर आए। सामने ही रैस्टोरैंट में नाश्ता करना है। खाने के रेट यहां नौएडा के मुकाबले बहुत कम हैं। कई वैराइटी का परांठा साथ में दहीं, सब्जी, सरसों की चटनी और आचार। परांठा भी खूब बड़ा और खूब मसाला भरके और कुरकुरा सेकते हैं यानि लाजवाब।

दहीं में पूछते हैं कि चीनी डालें। हमने मना किया पर वह दहीं मिठास वाला। हमने पूछा,’’भैया आपने दहीं में मीठा क्यों डाला?’’ वो बोला,’’आपके सामने मिट्टी के कुनडे में से दिया है। आपने चीनी डालने को मना किया तो नहीं डाली।’’ बहुत ही स्वाद दहीं। यहां दहीं सप्लाई करने वाले अलग हैं। ठेलों में मिट्टी के कुंडों में दहीं रैस्टोरैंट में आता है। नाश्ते के बाद दूसरी दुकान पर हमें चाय पीनी है। यहां सिर्फ चाय ही बिकती है। चाय बनाने का तरीका भी बिल्कुल अलग है। कुल्हड़ में कड़ा हुआ मीठा दूध भर कर उसमें उबला हुआ चाय का पानी और मसाला डाल कर देते हैं। मुझे खूबसूरत टी सैट में चाय अलग, दूध चीनी अलग वाली चाय कभी मजेदार नहीं लगी। पर इस चाय का गज़ब का स्वाद। अगर मैंने भारी परांठा न खाया होता तो मैं बार बार चाय पीती। वहीं उसके बैंच पर बैठ कर चाय पीते हुए मंदिर जाते हुए श्रद्धालुओं को देखना बहुत अच्छा लग रहा है।

हमने चाय पी कर कुल्हड़ डस्टबिन में डाला। उसने तुरंत हमारी कुल्हड़ पकड़ने से मिट्टी लगी अंगुलियों पर अपने यंत्र से पानी डाला। उसका हाथ धुलाने का यंत्र है, कोलड्रिंक की बोतल में पानी भर कर उसके ढक्कन में छेद किए हुए हैं। उससे फुव्वारे की तरह पानी गिरता है। क्रमशः          

   


Monday, 22 August 2022

बैद्यनाथ धाम देवघर झारखण्ड की यात्रा भाग 1 नीलम भागी Towards Baidyanath! Part 1 Neelam Bhagi

   


   दो महीने पहले जैसे ही बैजनाथ बाबाधाम यात्रा की सूचना मेरे पास आई, मैंने जाने के लिए बुकिंग करवा ली। मेरी व्हाट्सअप पर टिकट आ गई। गाड़ी का नाम भी बैजनाथ धाम है और नम्बर 22466 है और मेरी 3ए.सी के बी 2 में 20 नम्बर लोअर सीट है। पहले भी मैं जय प्रकाश गुप्ता द्वारा आयोजित नेपाल मुक्तिनाथ यात्रा पर जा चुकी थी। अब कुछ सोच विचार तो करना ही नहीं है। बुक करने से पहले फोन पर गुप्ता जी से एक ही प्रश्न किया था कि सावन की शिवरात्रि या सावन का सोमवार तो नहीं है। उन्होंने जवाब दिया,’’ नहीं है।’’ ऐसा मैंने इसलिए पूछा था क्योंकि यहाँ श्रद्धालुओं की हमेशा भीड़ रहती है। वैसे आप एक घण्टे में दर्शन कर सकते हैं पर सावन के सोमवार में 5 से 6 घण्टे लाइन में लगना मामूली बात है। ऐसा मैंने सुन रखा है। 3 अगस्त को हमें जाना है। जाने से 5 दिन पहले देखा, गलती से  मुझसे टिकट भी डिलीट हो गई। मेरी गुप्ता जी के साथ टिकट है, उनकी 17 नम्बर सीट है।  कोई चिंता नहीं। अब दो महीने बाद जाने से पहले ये भी याद नहीं आ रहा है। 5 दिन पहले सूचना आई 3 अगस्त को सब आनन्द विहार रेलवे स्टेशन पर प्लेटर्फाम नम्बर 2 पर 11.30 बजे पहुंच जाएं। अब रेल में बिस्तर तो मिलने लगा है। 3 को जाना और 6 को लौटना है। मामूली सामाना लेना है। मेरे घर से स्टेशन का 20 -25 मिनट का रास्ता है। घने बादल बरसने को तैयार हैं। अंकुर का मैसेज़ है कि 11.05 पर उसकी मीटिंग खत्म होगी, वह तुरंत कैब बुक कर देगा। 11 बजे गेट पर ही ऑटा मिल गया। बाबा बैद्यनाथ का घ्यान करके बैठ गई फिर उससे पूछा,’’ कितना पैसा लोगे?’’ वह बोला,’’150रु।’’ अब और भी हैरान! इतने खराब मौसम में स्टेशन के नाम पर कुछ भी मांग सकता था। जैसे ही ऑटो चला, झमाझम बारिश शुरु हो गई। उस दिन सीजन की सबसे ज्यादा बरसात थी। किसी तरीके से अंकुर को मैसेज़ किया कि मैं निकल चुकी हूं। ऑटोवाले ने बरसात के कारण ऑटो में इस तरह से इंतजाम किया है कि सवारी को बौछार न आए पर तेज हवा ने उसका सारा इंतजाम बेकार कर दिया है। ऐसे लग रहा है मैं मोटर बोट में जा रही हूं। पानी पानी दिख रहा है। स्टेशन पर 11.30 पहुुंच गई। सड़क से स्टेशन में जाने के लिए पानी में छपाक छपाक करके जाना पड़ा। जूते पानी भरने से भारी हो गए। मैं जाकर प्लेटफॉर्म न0 2 पर सीट पर बैठ गई। बाजू में बैठे मां बेटे ने मुझसे पानी टपकता देखकर दूरी बना ली।




उसी समय गुप्ता जी का फोन आया कि मैं लाउंज में आ जाऊँ। मैंने कहा,’’ मैं यहां ठीक हूँ। आप मुझे बोगी न0 बता दीजिए।’’ उन्होंने बताया कि हमारे सब लोग बी 2 और बी 3 में हैं और कुछ एस में हैं न0 याद नहीं आ रहा हैं। गाड़ी 12.45 पर जायेगी। यानि सवा घण्टा है। तब तक मेरे कपड़ों का पानी टपकना बंद हो जायेगा। ए.सी. में गीले कपड़ों में ठंड तो लगेगी ही। कुछ देर में गुप्ता जी अपने भतीजे प्रवीण के साथ मिलने आये। उन्होंने प्रवीण से मेरा परिचय करवाते हुए कहा,’’ये लेखिका नीलम भागी जी हैं।’’ मुझे बैच देकर और वे बाकि साथियों से मिलने चल दिए। बाजू वाले बच्चे के पापा ने अपने बेटे को समझाते हुए कहा,’’बाबू ये लेखिका हैं। इनसे सब समझिए कि कैसे लिखा जाता है? अपना नॉलिज बढ़ाइए।’’ कल सुबह हम पहुंचेंगे। लगेज़ भी भीग चुका था। मैं जूते कपड़े कब कैसे सूखाने है ये सोच रही थी और साथ ही कॉमिक्स पढ़ने की उम्र के बाबू के प्रश्नों के उत्तर भी दे रही थी। क्रमशः