इस यात्रा के इंतजाम के लिए गुप्ता जी पहले यहां आ चुके थे। कुछ लोगों ने नाश्ता नहीं किया। उनका कहना था कि वे बाबा दर्शन के बाद नाश्ता करेंगे। गुप्ता जी ने कहा कि जिसने वी आइ पी दर्शन करने हैं वो पण्डा जी को 500रु दे दो। सबने दे दिए। मैंने और डॉ. शोभा ने नहीं दिए। सबने चप्पल होटल में उतारी, नंगे पांव हम बाबा वैद्यनाथ के दर्शनों को चल दिए। गुप्ता जी ने सबको याद करवा दिया कि पूर्वी द्वार से ही जाना है और वहीं से आना है क्योंकि ये द्वार हमारे होटल के बिल्कुल पास है। मैं और डॉ. शोभा जरनल दर्शनों के लिए चल दिए। इतनी भीड़ है कि कंधे छील रहे हैं। https://youtu.be/oOmOGdUDQIw
श्रद्धालुओं के भगवा रंग के कपड़ों में पद, जाति, गोरा, काला, अमीर गरीब किसी में भेद नहीं है। हाथ में गंगा जल है, हर कोई गीला है।
गर्भग्रह में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। यहां फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी मना है। मंदिर प्रांगण में भी बहुत अधिक भीड़ है। लगातार सफाई चल रही है। असंख्य श्रद्धालुओं के कारण फर्श गीला है। सफाई करने वालों की अंगुलियों के बीच की जगह लाल हो रही है। उन्हें सफाई करने से र्फुसत हो तो पैरों पर ध्यान दें।
चिकित्सा, उपचार, प्रकृति और स्वास्थ्य के देवता, ज्योतिर्लिंग स्वरुप जिसे रावण ने स्थापित किया था। रावणेश्वर, वैद्येश्वर, बैजुनाथ, बैजनाथ और बाबा बैद्यनाथ के नाम से पुकारे जाने वाले बाबा के मंदिर और माता पार्वती के मंदिर को लाल कपड़े से बांधा गया है। शिवरात्रि को नया गठबंधन किया जाता है। पहले गठबंधन को उतारा जाता है। उस लाल पवित्र कपड़े को प्राप्त करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा होता है। मगर यहाँ वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशील लगे हैं।
बैद्यनाथ धाम मंदिर कमल के आकार का है और 72 फीट लम्बा हैं यहां बैद्यनाथ का मुख पूर्व की ओर है।
देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी देवताओं का निवास स्थान यहाँ भोलेनाथ का अत्यन्त पवित्र और भव्य मंदिर है। विभिन्न देवी देवताओं के इसी परिसर में 22 मंदिर हैं। मां पार्वती मंदिर, मां जगत जननी मंदिर, गणेश मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, संध्या मंदिर, कल मनाशा मंदिर, हनुमान मंदिर, मां मनशा मंदिर, सरस्वती मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, मां बागला मंदिर, राम मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, मां गंगा मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, मां तारा मंदिर, मां काली मंदिर, नारदेश्वर मंदिर, मां अन्नपूर्णा मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, नीलकंठ मंदिर। बाहर बड़ी स्क्रीन लगी है जिस पर अंदर का दृश्य दिखता है। बडी डण्डी वाली कलछी की तरह धूप बत्ती लगी मिलती है, जो नहीं जा सकते, वे बाबा मंदिर के द्वार के आगे उससे आरती कर लेते हैं। इतनी भीड़ में गर्भगृह में धूप बत्ती करना संभव ही नहीं है। सुल्तानगंज से 105 किमी. की पैदल कांवड़ यात्रा करके कांवड़िया बंधु अद्भुत भक्ति एवं निष्ठा के साथ ’बोलबम’ के पवित्र उच्चारण के साथ जल चढ़ाने की प्रतीक्षा में खड़े हैं।
तीर्थस्थल बैद्यनाथ धाम द्वादश ज्योर्तिलिगो में से नौंवा ज्योतिर्लिंग है। ये देश का एक ऐसा ज्योर्तिलिंग है, जो शक्तिपीठ भी है। मंदिर के तीन भाग हैं, मुख्य मंदिर, मुख्य मंदिर का मध्य भाग और मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार। सावन के महीने में श्रावणी मेला लगता है। बैद्यनाथ मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। प्रतिदिन मंदिर दर्शन के लिए प्रातः 4ः00 बजे से 3.30 बजे तक तथा सायं 6ः00 से 9.00 तक खुला रहता है। क्रमशः