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Wednesday, 26 April 2023

मोर झूले महियां नीलम भागी


 दित्या भारत आई। मैं उसे पैरों पर बिठाकर झूलाती और साथ में दादी नानी से सुनी पंजाबी लाइने दोहराती

 हूटे माइया, कुड़ियां कार नू आइयां

  मुंडे चंगे, राते सोंदे नंगे, 

कुड़ियों मुंडयो नेरी(आंधी)आई

 चरखा पुनी चुकलो। 

अमेरिका में जाकर  उसने भारत की याद कुछ लाइनें मिलाकर उसने बना लिया। उत्कर्षिनी को सिखा दिया। 

मोर झूले माइयां, मोर झूले माइयां 







 

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