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Tuesday, 27 June 2023

कमरे में ताज़गी! नीलम भागी Neelam Bhagi

 


एक्सीडेंट के बाद हॉस्पिटल से अंकुर मुझे अपने घर लेकर आ  गया। एक कमरे में तकलीफ के कारण कुछ दिन तक लेटे रहना मजबूरी थी, पर कमरे में बहुत ताज़गी !  उसने कॉर्नर में  जहां भी जगह  है, पानी में मनी प्लांट लगा रखा है, जिससे कमरा बड़ा अच्छा लगता है। इसे देखभाल की भी ज्यादा जरूरत नहीं  है। अंकुर सप्ताह में एक बार पानी बदल देता है।  मुझे याद आया, मैंने भी मनी प्लांट मिट्टी में लगा रखा है  जिसमें  मैं सप्ताह में 1 दिन केले का छिलका डाल देती हूं और नॉर्मल पानी। बहुत अच्छा उग रहा है पर मुझे कमरे में लगाने का कभी आइडिया नहीं आया। अब हाथ का प्लास्टर कटने पर मैं भी इसी तरह कमरे में लगाऊंगी।








Thursday, 8 June 2023

क्या फ्रिज में रखने से खाना ठीक हो जाता है? नीलम भागी Neelam Bhagi

अक्सर मैंने महिलाओं को देखा है वह  खाने आदि को पहले बाहर रखे रहेंगी, बाद में उसे फ्रिज में रख देती हैं। उनकी सोच है कि  फ्रिज में खाना खराब नहीं होता है।

 फ्रिज या  रेफ्रिजरेटर का काम है।

बैक्टीरिया की गतिविधियों को धीमा करना है। न कि आपके बनाए भोजन को, जिसे आपने कई घंटे बाहर रखा है, उसे सुधारना। फ्रिज आज के समय में बहुत बड़ी जरूरत है। पर उसका उपयोग भी समझना चाहिए। आप जिस स्थिति में उसमें खाद्य पदार्थ रखेंगे, वह उसकी खराब होने की समय सीमा बढ़ा देता है इसलिए उसे कुछ समय बाद उपयोग में लाया जा सकता है। कामकाजी महिलाएं समय के अभाव में घर में बड़ा से बड़ा फ्रिज रखती हैं क्योंकि छुट्टी के दिन फल, सब्जियां और कुछ भोजन के लिए तैयारियां करके, रोज की भागदौड़ की जिंदगी में, समय बचा लेती हैं । जिन लोगों के घर ऐसी जगह हैं, जहां प्रतिदिन वेंडर ताजी फल सब्जियां लेकर, आपके घर के आगे आते हैं।  वे भी बड़े-बड़े फ्रिज रखते हैं। चलिए यह तो अपनी अपनी जरूरत और सोच है, लेकिन फ्रिज में पका हुआ खाना रखने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है। अधिकतर घरों में ताजा खाना बनता है और उसी वक्त खाया जाता है लेकिन अगर बच जाता है तो उसे तुरंत ठंडा करके फ्रिज में रखें। ताकि बाहर रखा रहने से उसमें बैक्टीरिया बनने की क्रिया ज्यादा न हो जाए। हमेशा एक ही बात को दिमाग में रखना चाहिए वह यह है

" फ्रिज  बैक्टीरिया बनने की प्रक्रिया को धीमा करता है न कि ठीक करता है।"

हमारे देश में कुछ शहरों को छोड़कर, बिजली भी समस्या है। उसका असर भी खाने पर पड़ता है इसलिए उतना  बनाएं, जितना खाया जाए या फिर से जल्दी इस्तेमाल हो। गर्म खाना रूम टेंपरेचर  पर ही फ्रीज में रखा जाता है। अब खाने को रूम टेंपरेचर में लाने के लिए मौसम का भी  प्रभाव पड़ता है। जैसे सर्दी में तुरंत ठंडा हो जाता है और हम रख देते हैं। गर्मी और बरसात में देर से ठंडा होता है। मसलन दूध से तो हर परिवार का वास्ता पड़ता है। गर्मी में बाहर रूम टेंपरेचर पर लाने के लिए काफी देर बाहर रखा रहता है। जिससे  उसमें बैक्टीरिया बनने की प्रक्रिया भी तेजी से शुरू




हो जाती है। इसलिए मैं बड़ी थाली में पानी डालकर, उसमें गर्म खाना या दूध रख देती हूं। साथ में पंखा चल रहा हो तो बहुत जल्दी ठंडा  हो जाता है और फिर फ्रिज में संभाल दिया जाता है।  7 जून को विश्व खाद्य संरक्षण दिवस #World #Food #Saftey #Day मनाया जाता है। जिसका प्रतिवर्ष थीम होता है। और इस वर्ष खाद्य जनित बीमारियों को रोकना बीमारियों के बोझ को कम करना है। डब्ल्यूएचओ थीम 20 23 खाद्य मानक जीवन बचाते हैं। फूड स्टैंडर्ड सेव लाइफ #Food #Standards #Save #Lives  इस थीम का उद्देश्य खाने के नए मानकों के महत्व को बताना है। गलत खानपान से गंभीर बीमारियां से बचाना है जिससे लोग सुरक्षित और पौष्टिक आहार लें।


Friday, 2 June 2023

प्रकृति का सानिध्य, ज्ञान सरोवर!! माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 5 नीलम भागीनीलम Bhagi

 







जहां ट्रांसपोर्ट सेवा दी जाती है, वहां सड़क के दोनों ओर बैंच लगे हैं। जिस पर  लोग वाहन के इंतजार में बैठ जाते हैं। मैं भी वहां जाकर बैठ जाती हूं। ऊपर पेड़ों की घनी छांव है। जिधर देखो रंग-बिरंगे फूल हैं। सुंदरता के लिए वहां लगाता काम चलता है। पेड़ पौधों की सेवा करने वाले ऐसे लगन से सेवा कर रहे हैं , मानो वे उनके बच्चे हैं या  इस काम से मां प्रकृति की सेवा कर रहे हों । कोई किसी का सुपर विजन नहीं कर रहा है। आसपास की दुनिया से बेखबर, जिसका जो काम है वह कर रहा है। जिसका नतीजा यह खूबसूरत ज्ञान सरोवर है।  दूर-दूर से  यहां आए लोग हैं। जिन्हें मैं यहां आते, जाते  देख रही हूं । वाहन से उतरते हैं। इतना प्राकृतिक सौंदर्य और उसमें मानव का योगदान देखकर सबके चेहरे खिल से जाते हैं।

 अरावली पर्वत श्रंखला में 27 एकड़ भूमि पर 6 एकड़ में महान लक्ष्य  के लिए बना यह ज्ञान सरोवर अपने आप में  विस्मय विमुग्ध करने वाला है। मुझे बी. के . ज्योति पॉल का फोन आता है। ज्ञान सरोवर की कुछ जगहों का उन्होंने नाम बोला है कि मैं देखूं। पर मैं तो यहां आने वाले हजारों लोगों के चेहरे और मन से सजाया हुआ विभिन्न वनस्पतियां द्वारा यह स्थान ही नहीं छोड़ पा रही हूं। फिर भी थोड़ा सा चलती हूं। वहां की प्राकृतिक सजावट और बीच-बीच में  झूले बिल्डअप फर्नीचर बैठने को मजबूर कर देता है। थोड़ा सा वीडियो बनाती हूं https://youtu.be/QCQVtGgj3yA

और वही पेड़ों की छांव मैं बैठी रह जाती हूं। मन में आता है आज तो 5 तारीख है 9 तारीख तक रुकना  है। तब तक सब कुछ देख लूंगी। अभी तो यहां का आनंद उठा    लूं।  इतना समय बीत गया लंच का समय हो गया  चल दी। लंच गुजराती  उत्तरी भारत और महाराष्ट्र का मिलाजुला लजीज है। सौंफ और तिल से बना, मुखवास का स्वाद लेते, रूम की ओर चल दी। धूप तेज हो गई है अपने रूम की ओर  पेड़ों पर खूब लंगूर है पर किसी को कुछ नहीं कहते हैं। रूम में जाने से पहले कॉरीडोर से गुजरती हूं। वहां बहुत प्यारी हवा है।  कुर्सियां भी रखी हैं फिर वही बैठ जाती हूं। कुछ देर बैठ कर रूम में 1 घंटा सो कर, चाय के लिए जाती हूं और 4:00 बजे हारमोनी हॉल में पहुंचाती हूं। क्रमशः