पुरानी सब्ज़ी मंडी मोड़ से गुजरे तो चौक पर स्टील से बना रुपया और ईंट लगी देखकर बहुत हैरानी हुई। नाम भी उसका रुपया चौक है। क्लॉसिक लाइटें लगी हुई हैं। पता चला पहले यहां खाली पड़े इस चौक पर पशु खड़े रहते थे जो आते जाते वाहनों की चपेट में आने से घायल हो जाते थे। अखिल भारतीय अग्रवाल समाज जिला जींद ने 2007 में इस चौक का सौंन्दर्यकरण करवाना शुरु किया, जिसका नतीज़ा यह है कि रुपया चौक सबका ध्यान आकर्षित करता है।
अब हम रानी तालाब की ओर चलते हैं। स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर जींद रियासत के राजा रघुबीर सिंह द्वारा सरोवर में श्री हरि कैलाश मंदिर का निर्माण करवाया गया था। कहा जाता है कि राजा ने महल से तालाब को जोड़ती हुई एक सुरंग बनवाई थी। रानी यहां आकर स्नान पूजा करती थी। इसलिए इसका नाम रानी तालाब बन गया। मंदिर में देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। यहां बंदर भी खूब हैं। 1970 में ’पवित्र पापी’ फिल्म का गाना ’तेरी दुनिया से होके मजबूर चला, मैं बहुत दूर बहुत दूर चला’ का यहां शूट हुआ था। जब पानी की व्यवस्था ठीक रहती है तो यहां बोटिंग की जाती है।
12 जून को 45 डिग्री तापमान था। 4:00 बजे तो ज्यादा ही होगा। अच्छे मौसम में फिर से ऐतिहासिक जिला जींद के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने आउंगी। मैंने मन में सोचा और हम नौएडा की ओर चल दिए। अक्षय कुमार अग्रवाल जी तो रात को नरवाना चले गए थे। सुबह सत्र के समय आ गए थे। रास्ते में उनका यात्रा वृतांत सुनना है। पर वे तो भुवन सिंघल जी से कविता सुनने की फरमाइश करते जा रहे थे। मंच लूटने वाले कवि भुवनेश सिंगल जी को कैसे छोड़ा जा सकता है कविता सुने बिना!