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Saturday, 6 July 2024

मालाबार पालक पोई का साग या पोयसाग Malabar Spinach for Strong immunity Neelam Bhagi नीलम भागी

  


मेरे दो कंटेनर में एक एक बहुत प्यारा सा पौधा उ गा, जिसका तना लाल था और पत्ते मोटे-मोटे दिल की शेप के। यह दोनों पौधे मुझे बहुत प्यारे लगे।  गर्मी हो रही थी मैंने उनकी तस्वीरें लेकर गूगल लेंस में सर्च किया।Basella Alba is an edible perennial vine in the family of Basellaceal हरे तने वाला. Basella rubra लाल तने  वाला उसका मुझे बोटैनिकल नाम वसीला अल्बा पता चला जो एक पेरेन्नियल वाइन है। जिसे इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि में खाया जाता है और बेनिफिट लिखें। अब मैंने जो भी सब्जी वाला मेरे घर के आगे से गुजरता, उसको पौधा दिखा कर रोक कर पूछती," कौन सी सब्जी है?" जवाब मिलता," नहीं पता।" एक सब्जी वाला चिल्लाता हुआ हरी पत्तेदार, ताजी-ताजी सब्जियां लाता है। मैंने उसे रोका और पूछा,"यह कौन सी हरी सब्जी है?" उसने कहा,"  नहीं जानता।" अब मुझे थोड़ा सा गुस्सा आया। मैंने कहा," मैं तो तुमसे यह सोच कर  सब्जी लेती हूं कि शायद तुम ताजी-ताजी हरी सब्जियां अपने खेत से लाते हो पर तुम्हें इसका पता ही नहीं।" उसने बताया,"  मेरे खेत से नहीं हैं मैं मंडी से लाता हूं। मैंने कहा," पौधे को अच्छी तरह देखो, मंडी से पता करना।" वह हां में मुंडी हिला कर चला गया। कोई माली निकलता पौधे बेचने वाला मैं उससे पूछती वे कहते कि कोई जंगली पौधा है। चलो जो भी हो मुझे खूबसूरत लग रहा था। मुझे तो इसको  रखना ही था। एक दिन जोर-जोर से मेरा गेट खटकने लगा। मैं गई हरी सब्जी वाला एक गुच्छा  साग लेकर खड़ा था। उसने कहा," यह पोई का साग है। मुझसे  पहले किसी ने लाल डंडी वाला सारा खरीद लिया। मैं आपको दिखाने के लिए हरा तने वाला गुच्छा लेकर आया हूं और आपका यह पक्का पोई का साग है। अब मैंने फिर इस पर जानकारी जुटाई। इसको मालाबार स्पाइनच कहा जाता है। यह पूर्वी भारत में बहुत खाया जाता है। पालक की तरह होता है पर इसके पत्ते मोटे होते हैं और पत्ते  में थोड़ा भिंडी की तरह रस होता है। अब मेरा पौधा बढ़ते बढ़ते बड़ा खूबसूरत हो गया और यह बेल की तरह होता है। जिसकी बेल 10 फीट तक  हो जाती है। इसकी खासियत यह है कि  पत्ते थोड़े मोटे होते हैं और चमकदार और यह गुणों की खान है। इसमें जरूरी मिनरल्स विटामिन A, B 12, C, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियमआदि पाए जाते हैं और सॉल्युबल फाइबर होता है। इसकी डंडी भी मुलायम होती है और खाने के काम आती है। गर्मी में हरी सब्जियां मिलनी मुश्किल हो जाती हैं और यह पौधा आंखों को सुकून देता है और साथ में खाने के काम आता है। जहां जल भराव के कारण हरी सब्जियां पालक आदि पहले तो अधिक गर्मी के कारण उगती नहीं है और जो बचती हैं। बरसात में जल भराव से हरी सब्जियों से इंफेक्शन होने का डर होता है। लेकिन यह बेल है। जमीन से ऊंची है इसलिए इंफेक्शन का डर नहीं है। यह पौधा गर्मी पसंद करता है। बस पानी की कमी के कारण मैंने इसके चारों ओर मल्चिंग कर दी । एक दिन शाम को मैं धूप कम होते ही पोई देखने गई। दोनों पौधे आधे आधे कोई तोड़ के ले गया। एक बाई आ रही थी। उसने मुझे देखते ही पूछा," पोई  तोड़ लिए!" मैंने कहा," पता नहीं कौन ले गई है?" वह बोली, "कोई ले गई होगी पकौड़ी बनाने को, साग बनाने को, भुजिया बनाने को। मैं तो सोच रही थी आप खाते नहीं होंगे इसलिए आपने तोड़ा नहीं होगा, मैं आपसे मांग लूंगी।" पहले तो मुझे अपने पर गुस्सा आया कि इसके बारे में जानकारी लेते-लेते , पौधे इतने बड़े हो गए थे! बाइयों से पूछ लेती! गांव में सब्जी तो यही बनाती  होंगी।  अब मैं इनका ध्यान रखती हूं। अब बड़े हो गए हैं।  सुबह ही तोड़ लूंगी। दो पौधे और अपने आप निकल आए हैं। उनको मैंने निकाल कर दो गमले में लगा दिया और गिफ्ट कर दिया। क्योंकि मैं तो इनमें लग गई हूं। अब इसी से ही पुदीने की तरह और पौधे बनाऊंगी। इस बेल वाली पालक भी कहते हैं।





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